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अलग-थलग पड़ता तुर्की

उत्तर पूर्व सीरिया में तुर्की के एकतरफा हमलों की दुनिया के कई मुल्क आलोचना कर रहे हैं। अमेरिका ने तो उसे बर्बाद करने की चेतावनी तक दे डाली है

 

सीरिया के कुछ हिस्सों में तुर्की द्वारा किए गए हमलों का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। दुनिया के तमाम देशों ने तुर्की की इस कार्रवाई को लेकर नाराजगी जताई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका तुर्की के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाएगा, साथ ही स्टील पर लगने वाले टैरिफ को भी बढ़ा देगा। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच 100 बिलियन डॉलर के व्यापार सौदे पर चल रही बातचीत को भी रद्द कर देगा। उत्तर- पूर्व सीरिया में तुर्की की कार्रवाई पर गुस्साए अमेरिका ने यहां तक चेताया है कि वह उसकी अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगा।
अमेरिका इसके लिए तैयार है।

दरअसल, तुर्की ने नौ अक्टूबर को सीमा पार कुर्दिश लड़ाकों पर हमला शुरू किया। उसने यह कदम तब उठाया जब वाशिंगटन ने यह निर्णय लिया कि वह सीरिया में तैनात अपने सैनिकों को वहां से बाहर निकालेगा, जिसके बाद रिपब्लिकन ने इस कदम की आलोचना की थी। उनमें से कुछ ने तो इसे कुर्दों के साथ धोखेबाजी करार दिया था। ट्रंप ने एक बयान में कहा कि ‘यह (कार्यकारी) आदेश अमेरिका को उन लोगों पर शक्तिशाली अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने में सक्षम बनाएगा जो गंभीर मानवाधिकारों के हनन में शामिल हो सकते हैं, युद्ध विराम में बाधा डाल सकते हैं, विस्थापितों को घर लौटने से रोक सकते हैं, शरणार्थियों को जबरन वापस कर सकते हैं या सीरिया में शांति, सुरक्षा या स्थिरता को खतरे में डाल सकते हैं।’

ट्रंप ने आगे कहा कि तुर्की की सैन्य कार्रवाई इस क्षेत्र में नागरिकों को खतरे में डाल रही है। साथ ही इस क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और स्थिरता को भी बिगाड़ रही है। मानवीय संकट पैदा कर रही है और युद्ध अपराधों के लिए परिस्थितियां तैयार कर रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रंप ने कहा कि स्टील टैरिफ को 50 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा। उनका प्रशासन आक्रामक रूप से उन लोगों पर आर्थिक प्रतिबंधों का उपयोग करेगा, जो सीरिया में जघन्य कøत्यों को सुविधा प्रदान करने और उसे वित्त पोषित करेंगे। तुर्की को धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों सहित नागरिकों की सुरक्षा
सुनिश्चित करनी चाहिए। तुर्की अब या भविष्य में इस क्षेत्र में आईएसआईएस आतंकवादियों की के लिए जिम्मेदार हो सकता है। दुर्भाग्य से तुर्की अपने आक्रमण के मानवीय प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठाता नहीं दिख रहा है। अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अब अमेरिका सीरिया में कुर्द लड़ाकों का बचाव नहीं करेगा। इसके लिए लड़ाके सीरिया या रूस से मदद मांग सकते हैं। इस बीच कुर्द बलों और सीरिया सरकार के बीच हुए समझौते के बाद सीरियाई सैनिक तुर्क सेना का सामना करने के लिए उत्तर की तरफ मोर्चा संभाल चुके हैं।

लंबे अरसे से सीरिया में अमेरिकी सहयोगी रही कुर्दिश फौज ने एक नए समझौते के तहत दमास्कस में अपनी शत्रु सीरिया सरकार से हाथ मिला लिया है। सीरिया सरकार को रूस का समर्थन है। अब सीरियाई सेना कुर्दों की मदद को तुर्की के खिलाफ जंग में कूद पड़ी है। इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने सीरिया में कुर्द आतंकियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि धमकियों के बाद भी तुर्की उत्तरी सीरिया में कुर्द आतंकियों के खिलाफ अपने अभियानों पर रोक नहीं लगाने वाला है।

उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि यह कार्रवाई दूसरे देशों के लिए खतरा है। इस्तांबुल में एर्दोगन ने कहा कि हम पीछे नहीं हटेंगे। हम इस लड़ाई को तब तक जारी रखेंगे जब तक कि सभी आतंकवादी हमारी सीमा से दक्षिण में 32 किलोमीटर की दूरी तक नहीं चले जाते हैं। तुर्की ने 10 अक्टूबर बुधवार को उत्तरी सीरिया में कुर्दिश पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स के खिलाफ एक अभियान शुरू किया। जिसे तुर्की ने एक आतंकवाद निरोधी अभियान बताया था। तुर्की ने इसका उद्देश्य कुर्दिश पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स को अपनी सीमा से दूर रखने के लिए एक बफर जोन स्थापित करना बताया है।

ट्रंप और अन्य पश्चिमी सहयोगियों ने तुर्की द्वारा इस सप्ताह की गई कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है, क्योंकि तुर्की ने वाईपीजी को हाल के वर्षों में इस्लामिक स्टेट समूह से लड़ने में इस्तेमाल किया था। वहीं, भारत का कहना है कि वह उत्तर-पूर्व सीरिया में तुर्की के एकतरफा सैन्य हमले पर बहुत चिंतित है। भारत ने कहा कि इस कार्रवाई से क्षेत्र में अस्थिरता फैलने के साथ-साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई भी कमजोर हो सकती है। विदेश मंत्रालय ने घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि उत्तर-पूर्व सीरिया में तुर्की के एकतरफा सैन्य हमले पर हमें गहरी चिंता है। मंत्रालय ने कहा था कि हम तुर्की से संयम बरतने और सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का आह्नान करते हैं। हम बातचीत और चर्चा के जरिए सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह करते हैं। गौरतलब है कि जर्मनी तुर्की का मुख्य हथियार आपूर्तिकर्ता है। कई देशों ने तुर्की के हमले की निंदा की है। फिनलैंड, नार्वे और नीदरलैंड पहले ही तुर्की को हथियार निर्यात पर रोक लगाने की घोषणा कर चुके हैं। अब फ्रांस के बाद जर्मनी ने तुर्की को हथियारों के निर्यात पर रोक लगा दी है।

इस बीच संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरी सीरिया में हुए हमलों के बाद लगभग एक लाख लोग अपना घर-बार छोड़कर जा चुके हैं। उत्तरी सीरिया में कुर्द विद्रोहियों के खिलाफ तुर्की की कार्रवाई के चलते कम से कम 1,30,000 लोग विस्थापित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक बयान में इस बात की जानकारी दी। एक न्यूज चैनल के अनुसार, मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओसीएचए) के हवाले से कहा कि कुछ लोगों ने दूसरी जगहों पर अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ले ली है। वहीं, अन्य लोगों ने दक्षिण क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकी संगठन के इलाके ताल अम्र, हसकाह और रक्का जैसे शहरों में सामूहिक आश्रय लेने के लिए यात्रा की। बयान में कहा गया है कि आने वाले दिनों में 4,00,000 से अधिक लोगों को मानवीय सहायता और सुरक्षा की आवश्यकता हो सकती है। साथ ही चेताया कि 11 अक्टूबर से रास अल-आइन और ताल अबयद के अस्पताल बंद कर दिए गए हैं। इस बीच, अमेरिकी
समर्थित और इस्लामिक स्टेट से लड़ने वाले कुर्द विद्रोहियों के ग्रुप पीपल प्रोटेक्शन यूनिट (वाईपीजी) के खिलाफ तुर्की की सेना ने ऑपरेशन तेज कर दिए हैं।

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