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छात्र नेता से सीएम तक का सफर

तेहाल ही में आए चुनावी नतीजों के बाद राजनीतिक पार्टियों में कहीं जीत का उत्साह तो कहीं हार की मायूसी है। लेकिन हार-जीत के इस खेल में एक नाम बड़ी तेजी से चर्चा में आया है। यह नाम है तेलंगाना के वर्तमान मुख्यमंत्री ‘ए. रेवंत रेड्डी’ का। राजनीतिक गलियारों में यह बात काफी गूंज रही है कि तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी की जीत के पीछे ‘रेवंत रेड्डी’ का बड़ा योगदान रहा है। तेलंगाना में उनके प्रभावी चहरे और कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया है। तेलंगाना कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहते रेवंत रेड्डी ने ही राज्य में पार्टी के चुनाव अभियान की कमान संभाली थी। सत्ताधारी बीआरएस और के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ उन्होंने आक्रामक रुख अपनाए रखा था। चुनावों में कांग्रेस को जीत हासिल होने के बाद से ही मुख्यमंत्री के संभावित उम्मीदवारों में रेड्डी सबसे आगे चल रहे थे। बहरहाल उनका नाम राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शामिल हो चुका है

तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले अनुमुला रेवंत रेड्डी शपथ लेकर राज्य के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। कांग्रेस आलाकमान ने रेवंत रेड्डी को बीते मंगलवार, विधायक दल का नेता बनाने के फैसले पर सर्व सम्मति से मुहर लगाई थी। इस घटनाक्रम के बीच रेवंत रेड्डी 5 दिसंबर की रात दिल्ली पहुंचे। इस दौरान मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और नई सरकार के गठन पर विचार-विमर्श किया था। 6 दिसंबर को वह वापस तेलंगाना रवाना हुए इसके अगले दिन यानी 7 दिसंबर को रेवंत रेड्डी ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण कर कार्यभार संभाला। यह तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री बने हैं। करीब एक दशक पहले तेलंगाना के नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने से लेकर अब तक भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख के ़चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री रहे।

कांग्रेस नेताओं ने किया विरोध
‘रेवंत रेड्डी’ की कहानी इसलिए भी अहम है, क्योंकि कांग्रेस के ही कई सीनियर नेताओं ने उन्हें रोकने की कोशिश की। तेलंगाना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एमपी हनुमंत राव ने तो खुलकर उनके खिलाफ मोर्चा खोला था। उन्होंने रेड्डी के एबीवीपी और आरएसएस के बैक ग्राउंड का हवाला तक दिया गया था। रेड्डी का नाम तेलंगाना मुख्यमंत्री के लिए घोषित किए जाने को लेकर नेताओं में काफी बहस भी हुई, लेकिन इसके बाद यह फैसला पूर्ण रूप से पार्टी नेतृत्व को सौंप दिया गया। इस मीटिंग में कांग्रेस की तेलंगाना इकाई के पूर्व अध्यक्ष और विधायक एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा था कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। हालांकि बाद में जब कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने रेड्डी के नाम की घोषणा की तो उनके साथ उत्तम कुमार रेड्डी भी मौजूद थे। वेणुगोपाल ने कहा कि विधायक दल के नेता का फैसला करने के लिए कल कांग्रेस विधायक दल की बैठक हैदराबाद में हुई थी। उस बैठक में सुपरवाइजर मौजूद थे।

कौन हैं ए.रेवंत रेड्डी
तेलंगाना में विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर भारत के इलाकों में बहुत से लोगों ने रेवंत रेड्डी का नाम सुना तक नहीं था, लेकिन चुनावी नतीजों के बाद से ही उनका नाम राजनीतिक गलियारे से लेकर आम जनता तक सुनाई देने लगा है। तेलंगाना में एक दशक से चली आ रही सरकार को हिलाने वाला व्यक्ति ‘रेवंत रेड्डी’ का नाम जब मुख्यमंत्री के रूप में दिया गया तो इनके बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी। इनका नाम तेलंगाना में आखिरी चरण के वोटिंग तक प्रमुखता से उभरा, एग्जिट पोल पर जब ज्यादातर सर्वे एजेंसियों ने कांग्रेस की जीत के दावे किए तब रेवंत रेड्डी का नाम सुर्खियों में आने लगा। इससे पता लगता है कि तेलंगाना में पिछले कुछ सालों में उन्होंने कांग्रेस के लिए जबरदस्त काम किया है। उनका राज्य की जनता पर काफी प्रभाव है, जिस कारण तेलंगाना की जीत के बाद सारा श्रेय ‘रेड्डी’ को दिया जा रहा है।

कहा जा रहा है कि ‘रेवंत रेड्डी’ ने 8 साल पहले कसम खाई थी कि मेरे जीवन का उद्देश्य केसीआर (के. चंद्रशेखर राव) को मुख्यमंत्री की गद्दी से उतारना और उनके परिवार को राजनीति से खत्म करना है। जिसके लिए उन्होंने निरंतर प्रयास किए जो विधानसभा चुनावों में उन्होंने यह कर दिखाया। राज्य में उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने भारत राष्ट्र समिति को बड़े अंतर से मात दी है। इन्होंने जनता के लिए यह उदाहरण केवल तीन सालों में सेट किया। दरअसल, 2020 में उन्हें मोहम्मद अजहरुद्दीन की जगह राज्य में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। बेशक उनके छोटे कद का उपहास भी उड़ाया गया लेकिन अब उन्होंने दिखा दिया कि तेलंगाना की सियासत में उनका कद काफी बड़ा है।

केसीआर के खास रहे हैं रेड्डी

वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद केसीआर ने तेलंगाना में सरकार बनाई। तब वह केसीआर के राइट हैंड की तरह थे, कहा जाता है कि वह छाया की तरह उनके पीछे लगे रहते थे। उनकी निष्ठा और बोलने की कला से प्रेरित होकर
केसीआर ने उन्हें तेलंगाना टीडीपी का कार्यकारी अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा जिसके एक साल बाद ही वो गंभीर आरोपों में फंस गए। दरअसल, वर्ष 2015 में उन्हें एक गुप्त ऑपरेशन के जरिए टीडीपी (तेलुगू देसम पार्टी) एमएलसी (मेंबर ऑफ लेजिस्लेटिव कौंसिल) उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने के लिए एक विधायक एल्विस स्टीफेंसन को रिश्वत देते पकड़ा गया था। इस घटना के बाद रेवंत को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी तब हुई जब उनकी इकलौती बेटी निमिषा की शादी हो रही थी। गिरफ्तारी के बाद वह जमानत के लिए कुछ घंटों के लिए बाहर आए तभी सगाई और शादी में शामिल हो सके। इस घटना से आरोपित रेड्डी को केसीआर की पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया। रेवंत रेड्डी कृषि से जुड़े एक गैर-राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने हैदराबाद के एवी कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया। वहां उनकी पहचान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्या परिषद (एबीवीपी) के सक्रिय कार्यकर्ता और नेता की थी।

रियल एस्टेट और अन्य व्यवसायों में हाथ आजमाने के बाद उन्होंने 2001-02 के आस- पास टीआरएस (अब बीआरएस) के सदस्य के रूप में अपना सियासी करियर शुरू किया। जेल जाने के बाद उन्हें जब केसीआर और पार्टी से मदद नहीं मिली तो उन्होंने 2006 में उसे छोड़ दिया। 2007 में वह स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में एमएलसी बने। फिर तेलुगु देशम पार्टी में शामिल हो गए। पहली बार 2009 में कोडंगल निर्वाचन क्षेत्र से टीडीपी के विधायक चुने गए। अगले चुनाव में फिर टीडीपी विधायक बने। 2018 में केसीआर की लहर में वह पटनम नरेंद्र रेड्डी से लगभग 9,000 वोटों से हार गए। वह दो बार विधान परिषद में चुने गए। इसके बाद वर्ष 2019 मल्काजगिरी से सांसद भी रहे। रेवंत की शादी कांग्रेस के दिग्गज नेता जयपाल रेड्डी की बेटी गीता से हुई है। कहा जाता है कि सियासत के साथ उनका अपना एक बड़ा सामाजिक सर्कल है। इसमें कोई शक नहीं उनसे मिलने वाले उनके तेज-तर्रार अंदाज से प्रभावित होते हैं। उनमें संगठन बनाने की खूबी है। जब वह जेल में गए और केसीआर ने उनकी कोई मदद नहीं की, तब उन्होंने संकल्प लिया कि वह एक दिन केसीआर को मुख्यमंत्री की गद्दी से उतारकर ही दम लेंगे।

2021 में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बने थे रेवंत

रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ भी काम किया है, लेकिन पहली बार टीडीपी से विधायक बने। टीडीपी के साथ काम करने के बाद रेवंत रेड्डी कांग्रेस में शामिल हो गए। रेवंत फिलहाल कांग्रेस के सांसद हैं। इससे पहले दो बार टीडीपी से और एक बार कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। रेवंत रेड्डी को साल 2021 में सोनिया गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया। चाहे वीआरएस के खिलाफ खुलकर बोलने की बात हो, अपने खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस की बात हो या फिर अपनी जमीन तलाश रही
बीजेपी के खिलाफ डटकर लड़ने की, रेवंत रेड्डी ने हर चुनौतियों को अवसर में बदलने का काम किया और कांग्रेस आलाकमान का भरोसा हासिल किया। तेलंगाना में कांग्रेस एक ऐसे नेता की तलाश में थी, जो वहां केसीआर के खिलाफ लड़ सके, बीजेपी को चुनौती दे सके और रेवंत ये सब बड़ी आसानी से कर रहे थे। यही नहीं रेवंत रेड्डी ने कई कांग्रेस नेताओं को भी अपने साथ जोड़ा और केसीआर के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष की नींव रखी। महज 4 साल में रेवंत रेड्डी ने पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने का काम किया है।

रेवंती रेड्डी का अब तक का राजनीतिक सफर

रेवंत रेड्डी छात्र जीवन के दौरान एबीवीपी से जुड़े थे। 2006 में उन्होंने स्थानीय निकाय चुनाव लड़ा और एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मिडजिल मंडल से जेडपीटीसी सदस्य के रूप में चुने गए। 2007 में रेवंत रेड्डी को एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य के रूप में चुना गया था। बाद में उनकी मुलाकात तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख एन.चंद्रबाबू नायडू से हुई और वे तेलुगु देशम पार्टी में शामिल हो गए। 2009 में रेवंत रेड्डी टीडीपी उम्मीदवार के रूप में 46.46 फीसदी वोटों के साथ कोडंगल निर्वाचन क्षेत्र से आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। टीडीपी के टिकट पर ही 2014 में रेवंत रेड्डी कोडंगल सीट से जीते और तेलंगाना विधानसभा पहुंचे। उन्हें तेलंगाना विधानसभा में तेलुगु देशम पार्टी के फ्लोर लीडर बना दिया था, लेकिन 25 अक्टूबर 2017 को टीडीपी ने उन्हें तेलंगाना टीडीपी के फ्लोर लीडर के पद से हटा दिया। फिर 31 अक्टूबर 2017 को रेवंत रेड्डी कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में कोडंगल से 2018 तेलंगाना विधानसभा चुनाव लड़ा और टीआरएस उम्मीदवार पटनम नरेंद्र रेड्डी से हार गए, जो किसी भी चुनाव में उनकी पहली हार थी। 20 सितंबर 2018 को, उन्हें तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के तीन कार्यकारी अध्यक्षों में से एक नियुक्त किया गया। फिर कांग्रेस ने मल्काजगिरी लोकसभा से उन्हें प्रत्याशी बनाया और वह जीत भी गए। जून 2021 में रेवंत रेड्डी को एन ़उत्तम कुमार रेड्डी की जगह तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने 7 जुलाई 2021 को पद संभाला और अब रेवंत रेड्डी की अगुवाई में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 64 सीटों पर जीत दर्ज की। पार्टी ने उन्हें इसका इनाम भी तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री बनाकर दे दिया है।

पांच साल पहले ली थी कांग्रेस की सदस्यता
जब वह टीडीपी से कांग्रेस में आए तो इस पार्टी में आने के 5 साल के अंदर ही अपनी खासियतों के कारण राज्य में पार्टी के अगुवा नेता बन गए। तीन साल पहले उन्हें राज्य में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर कमान सौंप दी गई। उनकी धारदार राजनीति पार्टी में धाक जमाती गई। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ रेवंत को राहुल गांधी के करीब ले आई। वह भारी भीड़ जुटाने की उनकी क्षमता से प्रभावित थे। इस यात्रा में उनकी तस्वीरें और गाने प्रमुखता से दिखाए गए, जिससे पार्टी में उनका दबदबा बढ़ता गया।

ऐसे रहे थे चुनाव परिणाम

तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए गए। अब राज्य में कांग्रेस की सरकार भी बन गई है। पार्टी ने के ़चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के हैट्रिक लगाने के सपने को चकनाचूर कर दिया। कांग्रेस ने 64 सीटों पर जीत हासिल की है वहीं बीआरएस 39 सीटों पर जीत हासिल कर सकी। आठ सीटों पर भाजपा और छह सीटों पर एआईएमआईएम ने जीत दर्ज की है। एक सीट पर भाकपा ने जीत हासिल की। राज्य की 119 सीटों वाली विधानसभा के लिए 30 नवंबर को मतदान हुआ था।

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