कर्नाटक में इंसानियत को शर्मशार कर देने वाला मामला सामने आया है। इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 12 दिसंबर को स्वतः संज्ञान लिया है। कर्नाटक में 42 वर्षीय महिला के साथ हुए अभद्र व्यवहार को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायलय ने नराजगी प्रकट की है। उच्च न्यायलय के अनुसार इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस मामले में कानून कोई नरमी नहीं दिखाएगा।
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायलय ने कहा कि एक खतरनाक मिसाल कायम की जा रही है कि कानून का कोई डर नहीं है। प्रगतिशील राज्य कर्नाटक में यदि ऐसी घटनाएं होती हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उच्च न्यायलय द्वारा नराजगी प्रकट करते हुए बेलगावी के पुलिस आयुक्त को अगली सुनवाई में पेश होने के लिए कहा गया है। न्यायालय ने निर्देश में कहा कि कमिश्नर के साथ सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) 18 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में मौजूद रहें। इसके अतिरिक्त पुलिस से पूरे मामले पर रिपोर्ट दाखिल करने और हमलावरों को तुरंत गिरफ्तार करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। अबतक इस मामले में आठ आरोपियों को हिरासत में लिया जा चुका है।

महिला आयोग ने क्यों नहीं दिखाई कोई सक्रियता
उच्च न्यायालय ने महिला आयोग पर भी टीप्पणी की है। न्यायालय ने आश्चर्य जताया है कि इस मामले में महिला आयोग अभी तक कहां है? खंडपीठ ने कहा, बहुत भारी मन से न्यायालय को कहना पड़ रहा है कि महिला आयोग ऐसी बातों पर सक्रियता दिखाता है, जो किसी टीवी डिबेट में कही जाती हैं, लेकिन ऐसे गंभीर मामलों में ये आयोग कहां होता है? क्या उन्होंने संज्ञान लिया है? किसी महिला अधिकार या मानवाधिकार आयोग ने कुछ किया है? एक गांव में महिला को निर्वस्त्र कर घुमाया जाना, उसे बांध कर पीटना ,कोर्ट ने इसे असाधारण बताते हुए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया । यही नहीं कोर्ट ने सरकार को पीड़िता और उसके परिवार के लिए मुआवजा या आर्थिक मदद देने की योजना बनाने के लिए कहा है।
कर्नाटक न्यायालय ने महाभारत का किया जिक्र
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इस घटना को असाधारण बताते हुए महाभारत काल का भी जिक्र किया। न्यायालय के अनुसार उस काल में भी ऐसी घटनाएं नहीं हुई। सर्वजनिक तौर पर एक स्त्री को निर्वस्त्र करने जैसा अत्याचार महाभारत के दौरान भी नहीं हुआ ,जब द्रौपदी का वस्त्रहरण हो रहा था तब उन्हें बचाने भगवान कृष्ण आए थे ,लेकिन आज की दुनिया में जब दुर्योधन /दुशासन आते हैं तो कृष्ण मदद के लिए नहीं आते । न्यायधीश प्रसन्ना बी वराले और न्यायमूर्ति एम जी एस कमल की खंड पीठ ने घटना पर जमकर नराजगी जाहिर की है।
क्या है मामला
यह घटना बेलगावी जिले का है। मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार यह मामला 11 दिसंबर का है। 42 वर्षीय महिला का बेटा कथित तौर पर 4 दिसंबर को अपनी प्रेमिका के साथ भाग गया था, जबकि 5 दिसंबर को लड़की सगाई होनी थी। इस बात से स्थानीय आक्रोशित लोगों ने कथित तौर पर महिला को बिजली के खंभे में बांध कर उसके साथ मारपीट की। पीड़िता को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया गया। पीड़िता करीब 2 घंटे तक जूझती रही,जिसके बाद वो अस्पताल पहुँच गई। न्यायधीश वराले का कहना है कि मेरे पास कोई शब्द नहीं है ,उसे निर्वस्त्र किया गया ,खंभे में बांधा गया ,जानवरों की तरह पीटा गया। उस महिला को किस आघात से गुजरना पड़ा होगा। ऐसे आरोपियों को इंसान कहने में भी शर्म है ,जानवर भी इससे अच्छा बर्ताव करते हैं।

