यह संयोग ही कहा जाएगा कि अरविंद केजरीवाल ने कल तीसरी बार दिल्ली फतह की और इसी दिन उनकी पत्नी का जन्मदिन भी था। अरविंद केजरीवाल की जीत में उनकी पत्नी सुनीता का विशेष योगदान रहा है। वह हर मुकद्दस मौके पर उन्हें साथ लिए दिखते हैं। ऐसा करके वह देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को भी आइना दिखाते नजर आते है। मोदी की अपनी पत्नी से दूरी और केजरीवाल की निकटता राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनती है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर से दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज कर भाजपा को शिकस्त दे दी है है। अब केजरीवाल का तीसरी बार मुख्यमंत्री बनना तय हो गया है।
कल आए चुनाव परिणाम के अनुसार, आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है। जबकि भारतीय जनता पार्टी को 8 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस को इस बार भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में निराशा ही हाथ लगी। वह अपना खाता भी नहीं खोल पाई।
हालांकि, 2015 के मुकाबले इस बार आप को 5 सीटों का नुकसान और भाजपा को इतनी ही सीटों का फायदा हुआ है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से खुद के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत दिलवाकर पत्नी सुनीता को जन्मदिन का तोहफा दिया है।
इसे उनकी पत्नी ने अब तक का सबसे शानदार तोहफा करार दिया है। सुनीता केजरीवाल का कल ही जन्मदिन था। सुनीता केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की जीत के लिए दिल्ली की जनता का आभार जताया है।
दिल्ली फतह करने से पहले केजरीवाल ने चुनाव के दौरान किसी भी तरह के विवादास्पद मुद्दे से दूरी बनाए रखी। दिल्ली चुनाव में भाजपा ने शाहीनबाग को एक बड़ा मुद्दा बनाया लेकिन केजरीवाल ने पूरे चुनाव में शाहीनबाग से दूरी बनाए रखी। इसके उलट वह अपनी सरकार के कार्यों का ही प्रचार करते रहे।
केजरीवाल और उनकी पार्टी के बड़े नेताओं ने अपने सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी भाजपा के नेताओं के खिलाफ बोलने से परहेज करते रहे। चुनाव के दौरान केजरीवाल ने मीडिया में कई साक्षात्कार दिए लेकिन भाजपा के मोदी-शाह समेत तमाम बड़े नेताओं के खिलाफ कोई आक्रामक बयान नहीं दिया बल्कि विनम्रता और शालीनता के साथ सभी मंचों पर अपनी बात रखते रहे। बावजूद इसके कि भाजपा ने केजरीवाल को आतंकवादी तक कहा।
चुनाव की बड़ी बात ये रही कि केजरीवाल और उनकी पार्टी ने पूरे विधानसभा चुनाव में अपना फोकस किसी भी राष्ट्रीय मुद्दे पर नहीं किया और न ही केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। आम आदमी पार्टी की ताकत उसके कर्मठ कार्यकर्ता थे जो अंतिम समय तक डटे रहे। तमाम विरोध और बाधाओं के बावजूद आप कार्यकर्ता चुनाव की अधिसूचना जारी होने से मतगणना तक पूरी तरह से डटे रहे।
यहा यह भी उल्लेखनीय है कि दिल्ली चुनावों में आप के चुनावी वादे भी दिल्ली की जनता की रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े थे। इन चुनावी वादों में बिजली और पानी का बिल माफी हो या शिक्षा और स्वास्थ्य की बुनियादी जरूरतों को मुफ्त करने और बसों में महिलाओं का सफर मुफ्त जैसी लुभावनी वादे केजरीवाल की जीत का एक मजबूत स्तंभ बने। जबकि जनता ने भाजपा के राष्ट्रीय मुद्दों को नकार दिया।

