उत्तर प्रदेश के पूर्व काबिना मंत्री आजम खान के दिन गर्दिश में चल रहे है। आज आखिर आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान की विधायकी चली गयी। हाईकोर्ट इलाहाबाद ने इस मामले में फैसला देते हुए अब्दुल्ला की विधायकी रद्द करने के आदेश दे दिए है। अब्दुल्ला पर विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए फर्जी प्रमाणपत्रो का सहारा लिया था। कोर्ट में आज यह साबित भी हो गया।
गौरतलब है की अब्दुल्ला आजम ने रामपुर से जीत तो दर्ज कर ली, लेकिन नवाब काजिम अली ने उनके खिलाफ शिकायत कर दी। काजिम अली ने आरोप लगाया कि उम्र ज्यादा बताने के लिए फर्जी दस्तावेज दिए गए, जिनके आधार पर चुनाव लड़ा गया।
बता दें कि चुनाव लड़ने के लिए 25 साल उम्र की सीमा है और आरोप है कि चुनाव लड़ने के वक्त अब्दुल्ला की उम्र थी, लेकिन उन्होंने फर्जी दस्तावेज के आधार पर चुनाव लड़ा। बता दें कि यूपी विधानसभा के वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, अब्दुल्ला आजम की जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 बताई गई है।
इसके अलावा आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम पर दो जन्म प्रमाणपत्र बनवाने का आरोप भी लगाया गया. यह आरोप एक बीजेपी नेता ने लगाया था। शिकायत में कहा गया था कि अब्दुल्ला आजम का एक जन्म प्रमाणपत्र 28 जून, 2012 को रामपुर नगरपालिका परिषद से जारी किया गया और यह प्रमाणपत्र आजम खां और तजीन फातिमा के शपथपत्र के आधार पर जारी किया गया। इस पत्र में अब्दुल्ला का जन्म स्थान रामपुर दिखाया गया है।
शिकायत में यह भी दावा किया गया कि दूसरा प्रमाणपत्र 21 जनवरी, 2015 को लखनऊ नगर निगम से बना है, जो क्वीन मेरी अस्पताल के डुप्लीकेट जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर जारी किया गया है। इसमें अब्दुल्ला का जन्म स्थान लखनऊ दिखाया गया है।
बहरहाल, इन तमाम शिकायतों के बीच बसपा नेता नवाब काजिम के आरोपों पर कोर्ट में में सुनवाई हुई और आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उनका निर्वाचन रद्द कर दिया है। इसे आजम खान की बड़ी हार के रूप में देखा जा रहा है।

