प्रकृति जिसपर इस दुनिया का अस्तित्व टिका है, जिसपर सम्पूर्ण मानव जगत आश्रित है कई बार यही प्रकृति मानव के विनाश का कारण भी बन जाती है। वर्तमान में पूरा दक्षिण भारत भी प्रकृति की ऐसी ही आपदा से जूझ रहा है। इन क्षेत्रों में “मिचौंग” नाम का चक्रवाती तूफ़ान आया है। जिसकी वजह से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल के लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस चक्रवाती तूफान के कारण पिछले दिनों तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के साथ-साथ अन्य जिलों में जमकर बारिश हुई, जिसके कारण सड़कें और घर जल में डूब गए हैं। जिससे बिजली संकट की भी समस्या पैदा हो गई है। हालांकि मिचौंग अब कमजोर पड़ गया है लेकिन मिचौंग का असर अभी तक कई जिलों और इलाकों में दिखाई दे रहा है। चेन्नई व उसके कई उपनगरों अभी भी पानी और बिजली की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस तूफ़ान के कारण अब तक सैकड़ों लोग विस्थापित हो चुके और कई अपनी जान गवा चुके हैं। इस बीच राहत व बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं।

चेन्नई में फैले इस कहर पर दुःख जताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा है कि चेन्नई भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है पिछले 8 सालों में यह तीसरी बाढ़ है। हम महानगरीय शहरों में अत्यधिक वर्षा होने के कारण अचानक बाढ़ आने के अधिक उदाहरण देख रहे हैं। वह कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 561.29 रुपये की पहली शहरी बाढ़ शमन परियोजना को मंजूरी दे दी है।
राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण निधि (एनडीएमएफ) के तहत ‘चेन्नई बेसिन परियोजना के लिए एकीकृत शहरी बाढ़ प्रबंधन गतिविधियों’ के लिए 561.29 करोड़ रुपये, जिसमें 500 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता भी शामिल है। यह शमन परियोजना चेन्नई को बाढ़ प्रतिरोधी बनाने में मदद करेगी। यह शहरी बाढ़ शमन प्रयासों की श्रृंखला में पहला है और शहरी बाढ़ प्रबंधन के लिए एक व्यापक ढांचा विकसित करने में मदद करेगा।
लाखों लोग प्रभावित
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार मिचौंग के प्रभाव से करीब 194 गांवों और दो कस्बों के लगभग 40 लाख लोग प्रभावित हुए, जिनमें 25 गांवों में बाढ़ भी शामिल है।
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