”कई सारे संदेश पिछले कुछ महीनों में आए हैं, जिसमें लोगों ने कहा कि वो ‘मन की बात’ को मिस कर रहे हैं। जब मैं पढता हूं, सुनता हूं मुझे अच्छा लगता है। मैं अपनापन महसूस करता हूं। मुझसे कई लोगों ने पूछा कि आप बीच में केदारनाथ क्यों चले गए? चुनाव की आपाधापी में मैं चल पड़ा। कई लोगों ने इसके राजनीतिक अर्थ निकाले। लेकिन मैं तब खुद से मिलने चला गया था। मन की बात के कारण जो खालीपन था। उसे केदारनाथ की खाली गुफा ने भरने का मौका दिया।”
रविवार को मन की बात में मोदी ने जब केदारनाथ यात्रा का जिक्र किया तो उनका देवभूमि उत्तराखंड के प्रति उनकी आस्था एक बार फिर सामने आई । लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद गत 19 मई को केदारनाथ में गुफा में की गयी अपनी साधना पर सोशल मीडिया मे चर्चा होने को उन्होने अपने पक्ष में बताया था। इसी के साथ उनका केदार कनेक्शन भी सामने आया था। सभी जानते है कि मोदी के प्रसिद्ध तीर्थस्थलो में केदारनाथ शामिल रहा है। उनकी गुफा में की गयी साधना ने केदारनाथ को चर्चा के केंद्र में ला दिया था।
मोदी की साधना के बाद केदारनाथ के आने वाले भक्तो में भारी बढोत्तरी देखने को मिली है।
अगर हम आकडों की बात करे तो वर्ष 2013 में 3.33 लाख लोग केदारनाथ आए। जबकि 2013 की आपदा के बाद यह आकडा सिमटकर 2014 में सिर्फ 40,922 तक ही रह गया था । जबकि वर्ष
2015 में 1.54 लाख तो वर्ष
2016 में आकडे में थोडी बढोतरी हुई। तब 3.09 लोग यहा आए। इसके बाद वर्ष
2017 में 4.71 लाख तो वर्ष
2018 में 7.32 लाख लोग देवदर्शन के लिए केदारनाथ पहुंचे थे। इस वर्ष सिर्फ 45 दिन की बात करे तो 2019 में रिकार्डतोड 7.35 लोगों ने केदारनाथ में पूजा अर्चना की।
हालांकि गत वर्ष मोदी कुंभ को लेकर भी अपनी मन की बात कर चुके हैं। जिसमे उन्होने कहा था कि “ हमारी संस्कृति में ऐसी चीजों की भरमार है, जिनपर हम गर्व कर सकते हैं और पूरी दुनिया को अभिमान के साथ दिखा सकते हैं – और उनमें एक है कुंभ मेला. कुंभ की दिव्यता से भारत की भव्यता पूरी दुनिया में अपना रंग बिखेरेगी । मेरा आप सब से आग्रह है कि जब आप कुंभ जाएं तो कुंभ के अलग-अलग पहलू और तस्वीरें सोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करें ताकि अधिक से अधिक लोगों को कुंभ में जाने की प्रेरणा मिले ”
30 जून को मोदी ने अपने मन की बात में जल संरक्षण पर भी देश दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। उन्होने कहा कि जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है । इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे । मेरा पहला अनुरोध है– जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया । आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें । देशवासियों से मेरा दूसरा अनुरोध है । हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं । मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को शेयर करने का आग्रह करता हूं ।
गौरतलब है कि मोदी ने मन की बात के पहले कार्यकाल का अंतिम प्रसारण 24 फरवरी 2019 को किया था।
पीएम मोदी ने 2014 में 4 जुलाई को अपने पहले कार्यकाल में इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसके तहत पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने 53 बार देश को संबोधित किया था । मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का अंतिम प्रसारण 24 फरवरी को हुआ था । यह प्रसारण लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले हुआ था । इसके बाद चुनाव की घोषणा होने के बाद आचार संहिता लग गई और मन की बात कार्यक्रम का प्रसारण नहीं हो सका था।

