नेपाल और भारत के दोस्ताना संबंधों में इस बीच इस कदर दरार आ गई है कि नेपाल न सिर्फ चीन के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है, बल्कि भारत से लगे उन क्षेत्रों में भी अपनी चौकियों पर सुरक्षा के मजबूत इंतजाम कर रहा है जिन क्षेत्रों के लोगों के भारत के साथ सदियों से रोटी-बेटी के रिश्ते रहे हैं। भारत के प्रति नेपाल की अविश्वसनीयता या भरोसा उठने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन चौकियों के सुरक्षा इंतजामों का जायजा खुद नेपाली सेना के प्रमुख ले रहे हैं।
उत्तराखंड के सीमांत पिथौरागढ़ जिले से नेपाल के लोगों के भावनात्मक एवं सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं। नेपाल के मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व ने इसी जिले के लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा इलाकों पर अपना दावा जताते हुए बाकायदा संसद से अपना नया नक्शा पास करवाकर उस पर राष्ट्रपति की मुहर भी लगा डाली है। इस बारे में भारत की भावनाओं या प्रतिक्रिया को नेपाल ने जिस कठोरता से नजरंदाज किया उससे यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि उसकी पीठ पर किसी न किसी का हाथ अवश्य है।
अब तो खुद चीन यह संदेश दे रहा है कि नेपाल उसके साथ है। चूंकि नेपाल में इस समय चीन की ओर से कई निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि अपने विकास को प्राथमिकता से लेकर नेपाल का चीन के प्रति स्वाभाविक झुकाव है। भारत के साथ उसके दोस्ताना रिश्तों पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन जो अड़ियल रवैया नेपाल के नेतृत्व ने इस बीच दिखाया है उससे भारत को अब सोचना होगा। देखना होगा कि जो नेपाल कभी भारत के लिए सुरक्षा दीवार माना जाता था, वह अब भरोसेमंद नहीं रहा।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बावजूद नेपाल ने न सिर्फ अपने नये नक्शे में भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया है, बल्कि भारतीय सीमा से लगी अपनी चौकियों में हथियारबंद सिपाही भी तैनात कर दिये हैं। पहले ये चौकियां अस्थायी होती थीं और इनमें लाठी रखने वाले पुलिस जवान होते थे । लेकिन अब वे हथियारों से लैस होंगे। कालापानी के पास चंगारू की अस्थाई चौकी को नया स्वरूप देकर यहां हथियारबंद सिपाही तैनात किये जाना और नेपाली सेना प्रमुख पूर्ण चन्द्र थापा का खुद आकर यहां का जायजा लेना वाकई बहुत महत्वपूर्ण है।
-दाताराम चमोली

