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“नए क्रिमिनल लॉ” को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी

मंजूरी

शीतकालीन सत्र में पास हुए  तीनों कानून  विधेयकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही तीनों विधेयक कानून बन गए हैं। राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी प्राप्त किये जाने वाले विधेयकों में भारतीय न्याय संहिता बिल-2023 , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता – 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक-2023, शामिल हैं।

इन विधेयकों को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान भी लोकसभा में पेश किया गया था जिसका आयोजन अगस्त माह में हुआ था। जिसमें  इन विधेयकों को पुनः अवलोकन करने के लिए संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया था। जिसका नया संस्करण इस बार शीतकालीन सत्र में पेश किया गया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन महत्वपूर्ण विधेयकों पर विचार करने का उद्देश्य आपराधिक कानूनों में सुधार करना है। क्योंकि इस विधेयक को पास किये जाने के बाद तारीख पर तारीख का जमाना नहीं रहेगा। किसी भी मामले में 3 साल में न्याय दिलाने जरूरी होगा।

 

आईपीसी में हुए परिवर्तन

 

भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) जो भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। इस विधेयक के पास होने के बाद इसमें भी कई परिवर्तन आये हैं। जिसके तहत भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी)  को अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) कहा जाएगा। अब तक आईपीसी में 511 धाराएं  थीं, जो  भारतीय न्याय संहिता में 358 हो गई हैं। इसके अलावा बीएनएस में  21 नए अपराध भी जोड़े गए हैं। वहीं 40 से अधिक अपराधों में कारावास की समय सीमा भी बढ़ा दी गई है। कई अपराधों में जुर्माना भी बढ़ा है। तो 19 धाराएं ऐसी  भी हैं जिन्हे  खत्म कर दिया गया है।

 

सीआरपीसी में हुए परिवर्तन

 

सीआरपीसी यानि दण्ड प्रक्रिया संहिता भारत में आपराधिक कानून की प्रक्रिया के लिये निर्मित एक दण्ड प्रक्रिया है।  जिसमें जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया के बारे में लिखा हुआ है। इसे  अब ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ के नाम से जाना जायेगा।पहले सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं। विधेयक के पास होने के बाद इनकी संख्या बढ़कर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 हो गयी है। इसके अलावा इस नए कानून में  177 धाराओं को बदल दिया गया है तो वहीं  9 नई धाराओं को भी शामिल किया गया है और 14 पुरनी धाराओं को खत्म कर दिया गया है।

 

इंडियन एविडेंस एक्ट

 

इंडियन एविडेंस एक्ट  में ये उल्लेखित है कि किसी भी केस के तथ्यों को सबूतों के आधार पर कैसे साबित किया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होंगे आदि। नए कानून के आधार पर इस एक्ट का नाम बदलकर भारतीय साक्ष्य संहिता रख दिया गया है।  जिसमें पहले 167 धाराएं थीं। जो भारतीय साक्ष्य संहिता में बढ़कर 170 हो गयी हैं। वहीं 24 धाराओं में परिवर्तन भी किये गए हैं।  इसके साथ ही इसमें दो नई धाराएं भी जोड़ी गयी हैं। वहीं  6 धाराओं की कटौती भी की गयी है।

 

देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर जेल

 

अंग्रेजों द्वारा बनाया राजद्रोह कानून को देशद्रोह कर दिया गया है, क्योंकि अंग्रेजों द्वारा बनाया गया कानून अभी भी जारी रहना सही नहीं है अब देश आजाद हो चुका है। ऐसे में अगर कोई देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सशस्त्र विरोध करता है या बम धमाके करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी जिसके तहत उसे उसे जेल जाना ही होगा।

 

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