केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को लेकर स्वीडन के अखबारों में गत् सप्ताह कुछ ऐसा प्रकाशित हुआ जिसके चलते बहुतों को बोफोर्स तोप सौदे की याद आ गई। राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्वकाल के दौरान उनकी सरकार पर बोफोर्स सौदों की खरीद में दलाली के आरोप सबसे पहले स्वीडन के मीडिया ने लगाए थे। ठीक उसी प्रकार के आरोप दशकों बाद गड़करी पर लगने के साथ ही भाजपा में गडकरी के विरोधियों की बांछें खिल उठी हैं। स्वीडन की एक वाहन निर्माता कंपनी ‘स्केनिया’ के ऑडिट के दौरान यह बात सामने आई है कि इस कंपनी ने गडकरी को उनकी पुत्री के विवाह से ठीक पहले एक लक्जरी बस उपहार में दी थी। इससे पहले 2013 में उन्हें बतौर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष दूसरा टर्म उनकी कंपनी ‘पूर्ति’ से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के चलते नहीं मिल पाया था। पूणे के आरटीआई एक्टिविस्ट सतीश शेट्टी की हत्या मामले की आंच भी गड़करी तक पहुंची थी लेकिन हर बार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उनके आगे ढाल बन खड़ा रहा। खबर है कि इस बार भी गड़करी विरोधियों का प्रयास उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने के लिए शुरू तो हो चला है लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत के आशीर्वाद के चलते उनका कुछ बिगड़ने वाला है नहीं।
गडकरी का कुछ नहीं बिगड़ेगा

