इन दिनों प्रदेशभर के सरकारी कार्यालयों में केवल एक ही चर्चा गूंज रही है, वह है वरिष्ठ लेखा अधिकारी और वित्त नियंत्रक डॉ तंजीम वाली के विरुद्ध हुई शिकायत और उस पर कार्यवाही। डॉ तंजीम कई मलाईदार महकमों पर काबिज हैं। करीब आधा दर्जन से ज्यादा विभागों के वित्त नियंत्रक और लेखाधिकारी हैं। करीब 4 वर्षों से यह हरिद्वार जनपद में मौजूद महत्वपूर्ण विभागों जैसे हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण, हरिद्वार नगर निगम, मेला प्राधिकरण, संस्कृत विश्वविद्यालय, लोक सेवा आयोग, वक्फ बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण और मलाईदार महकमे पर काबिज हैं। इस मामले ने तब ज्यादा तूल पकड़ा जब हरिद्वार के ऋषिकुल निवासी सुनील शर्मा ने डॉ तंजीम अली की शिकायत कर उच्चस्तरीय जांच की मांग की। उसके बाद तो जैसे इस संबंध में चर्चाएं थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं। हालांकि इस दौरान कुछ दैनिक अखबारों ने पिछले दिनों इस पूरे प्रकरण में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी दिखाई पर इस पूरे मामले की तह तक केवल ‘दि संडे पोस्ट’ ही पहुंच पाया है।
अप्रैल 2018 में मुख्यमंत्री सहित करीब आधा दर्जन विभागों और उच्चाधिकारियों को शिकायत कर सुनील शर्मा ने यह अवगत कराया कि प्रदेश में जब कांग्रेस शासन था तो उस समय मुख्य वित्त नियंत्रक डॉक्टर तंजीम अली ने एक कांग्रेसी विधायक की कøपा से शासनकाल में बड़ी पैठ बना ली थी। जिसके बाद उनके पास एक नहीं, बल्कि आधा दर्जन मलाईदार महकमें आ गए। सबसे बड़ी बात यह है कि वह पिछले 3 वर्षों से अपने गृह जनपद में ही तैनात हैं जबकि नियमानुसार इस स्तर के अधिकारी की तैनाती गृह जनपद में की ही नहीं जा सकती। इनके बैच के अन्य अधिकारियों की तैनाती दुर्गम तथा पहाड़ी इलाकों में की गई है। डॉक्टर तंजीम अली हरिद्वार जनपद के रुड़की के स्थाई निवासी हैं। शिकायती पत्र में सुनील शर्मा ने यह भी आरोप लगाया था कि डॉ अली ने सिंडिकेट बनाकर अपने चहेतों को मोटा कमीशन लेकर अनुचित तरीके से कई बड़े ठेके दिलवाए हैं। इसी तरह उन्होंने मेवाड़ कला निवासी अपने एक नजदीकी ठेकेदार को भी आउट सोर्स का कार्य दिलवाया था जिसके द्वारा एक बडा घोटाला भी किया गया। उन्हांने शासन की अनुमति के बिना ही नियमों के विपरीत कुंभ मेला कार्यालय से अपने चहेतों के कई भुगतान स्वीकøत कराए। यही नहीं डॉक्टर तंजीम अली ने अपनी उंची साख का फायदा उठाकर निजी स्वार्थ के चलते रिटायरमेंट के बाद भी अच्छे पदों पर अपने चहेतों को प्रतिनियुक्ति दी। चर्चाएं हैं कि इस एवज में मोटी रकम भी वसूली गई। कुंभ मेला कार्यालय मदन सिंह तथा नगर निगम में अब्दुल रऊफ की प्रतिनियुक्ति ऐसे ही उदाहरण हैं। 20 जुलाई 2018 को सहायक नगर आयुक्त पीके बंसल ने नोटिस जारी पर तंजीम अली से इस बारे में स्पष्टीकरण भी मांगा था कि जब अवर अभियंता अब्दुल रऊफ का रिटायरमेंट काफी समय पहले हो गया है तो किस आधार पर वे अब भी कार्यालय में कार्यरत हं, पर खुद को पीके बंसल से वरिष्ठ कहने वाले तंजीम अली ने इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया।
सुनील शर्मा की शिकायत के बाद सहायक नगर आयुक्त पीके बंसल को ही इस जांच का अधिकारी बनाया गया हालांकि इस जांच को लेकर पीके बंसल और तंजीम अली के बीच अंदरूनी विवाद भी काफी गहरा गया था क्यांकि पीके बंसल ने तंजीम अली को पूरी तरह कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया। पीके बंसल ने जांच के दौरान 13 जुलाई को पत्र जारी कर नगर निगम के अधिशासी अभियंता और राजस्व अधीक्षक से उन सभी फाइलों को तलब कराए जाने के आदेश दिए जिनमें तंजीम अली के नगर निगम के पार्किंग, पेड़ां की नीलामी, स्लेज फार्म, अन्य सभी निर्माण कार्यों के ठेके दिये जाने का उल्लेख है। यही नहीं शहरी विकास निदेशालय को 19 जुलाई को लिखे एक पत्र में खुद पीके बंसल ने कहा है कि जांच के दौरान तंजीम अली को उनके पद से हटाया जाए क्योंकि उनके अपने पद पर तैनात रहने के दौरान निष्पक्ष जांच होना नामुमकिन है। जांच से संबंधित सारे दस्तावेज उन्हीं के पास उन्हीं के पटल पर उपलब्ध हैं और तंजीम अली अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उनमें कुछ फेरबदल भी कर सकते हैं। इसके लिए वो पूरी तरह सक्षम हैं पीके बंसल ने यह भी तर्क रखा कि तंजीम अली के खिलाफ पहले भी कई जांच हुई हैं, पर कोई भी जांच निष्पक्ष तरीके से इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि डॉक्टर तंजीम अली अपनी सीट पर बनकर बने रहकर अपने अधिकारों का गलत फायदा उठाते हैं।
तंजीम अली के खिलाफ पहले भी एक पूर्व कांग्रेसी नेता अरविंद चंचल शिकायत कर चुके हैं। शहर कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव अरविंद चंचल ने जून 2017 में शहरी विकास सचिव को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि नगर निगम के तंजीम अली अपने अधिकारों का गलत फायदा उठा रहे हैं तथा सिंगल हस्ताक्षर कर करोड़ों रुपए के चेक जारी कर रहे हैं, जबकि ऐसा करने का उनको अधिकार ही नहीं है। वे ऐसा करके केवल सरकारी धन को ठिकाने लगा रहे और नगर निगम के मेयर मनोज गर्ग से मिलीभगत कर ये नियम विपरीत कार्य कर रहे हैं उनके इन सवालों से कटघरे में आए तंजीम अली का उस समय कुछ नहीं बिगड़ पाया क्योंकि चर्चा है कि शासन में इनकी पकड़ बहुत उम्दा किस्म की है। जिस कारण यह तीन साल से गृह जनपद में तैनात हैं और वह भी मलाईदार महकमों पर। जबकि इसके विपरीत इनके बैच और इनके साथ के अधिकारी दुर्गम स्थानों पर तैनात हैं।
बात अपनी-अपनी
इस मामले की जल्द से जांच करके शासन को सौंपी जाएगी। अधिक से अधिक एक सप्ताह के भीतर जांच पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। जांच का परिणाम क्या निकलेगा इस विषय पर मैं अभी कोई बयान नहीं दे सकता।
ललित नारायण मिश्र, नगर आयुक्त नगर निगम
शासन द्वारा नगर निगम के वित्त अधिकारी एवं लेखाकार तंजीम अली के विरुद्ध शिकायत पर जांच के आदेश किए गए हैं जो वर्तमान समय में गतिमान है। पर ‘अतिक्रमण हटाओ’ अभियान की व्यस्तता के कारण अभी तक जांच पूरी नहीं हो पाई पंद्रह से बीस दिनों में जांच पूरी हो जाएगी।
संजय कुमार, सहायक नगर आयुक्त नगर निगम
मेरे खिलाफ कोई जांच नहीं चल रही है। पूर्व में भदौरिया सर ने एक आदेश जारी कर सुनील शर्मा की शिकायत को निरस्त कर दिया था। पीके बंसल मेरा जूनियर था उसे मेरे खिलाफ कोई जांच करने का अधिकार नहीं था।
डॉ. तंजीम अली, मुख्य वित्त नियंत्रक

