चार साल केंद्र की सत्ता में रह चुकने के बाद अब चुनावी वर्ष में भाजपा आलाकमान को एहसास होने लगा है कि २०१९ के आम चुनाव में पार्टी की राह आसान नहीं होने जा रही। शाह स्वयं प्रतिष्ठत नागरिकों और वरिष्ठ राजनेताओं से मुलाकात कर उन्हें मोदी सरकार की सफलताओं से अवगत करा रहे हैं। पिछले दिनों वे शिव सेना के प्रमुख से मुंबई में जाकर मिले। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर से भी भेंट की। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यानाथ सिने कलाकार संजय दत्त से मिले तो केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने जामा मस्जिद के शाही इमाम से भेंट की। इस बीच खबर है कि भाजपा नेतृत्व पिचहत्तर वर्ष के बाद नेताओं का वनवास करने की अपनी नीति में भी परिवर्तन करने जा रहा है। वर्तमान में लोकसभा और राज्यसभा के करीब पंद्रह भाजपा सांसद पिचहत्तर की आयु सीमा पार कर चुके हैं। भाजपा आलाकमान नहीं चाहता कि इन नेताओं के असंतोष चलते पार्टी को २०१९ के आम चुनाव में नुकसान पहुंचे। इसके चलते इस नीति पर पुनर्विचार की बात हो रही है। हालांकि कर्नाटक ने सीएम येदियुरप्पा के मामले में पहले ही यह किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता कलराज मिश्र भी इस आयु सीमा को पार करने के बाद भी केंद्र में मंत्री बने हुए हैं। खबर यह भी है कि पार्टी आलाकमान चार बरस पूर्व बनाए गए मार्गदर्शक मंडल को भी सक्रिय करने जा रहा है। बहुत संभावना है कि पार्टी के संस्थापक आडवाणी और जोशी को चुनाव मैदान में उतारा जाए ताकि ऐसे बुजुर्गों में पनप रहे असंतोष को थामा जा सके।