प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेशक हर वर्ष दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने की घोषणा करते हैं लेकिन दूसरी तरफ कई कंपनियां छंटनी कर सैकड़ों रोजगारों को बेरोजगार कर रहे हैं। अगर अकेले उत्तराखण्ड की बात करें तो राज्य बनने के साथ ही यहां के बेरोजागरों की संख्या महज ढाई लाख थी जो अब बढ़कर दस लाख हो चुकी है। महज डेढ़ करोड़ की आबादी वाले राज्य की यह हालत है तो देश के अन्य प्रदेशों की बेरोजगारी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था इस बात पर निर्भर करती है कि वहां के कितने हाथों में रोजगार है। बेरोजगारी के पहाड़ तले अर्थव्यवस्था का महल तो कतई नहीं बन सकता। सरकारों की नजरों में उसके आर्थिक आंकड़ें भले ही कितनी भी सच्चाई लिए क्यों न हों लेकिन धरातल की वास्तविक तस्वीरें ही यह तय कर पाती हैं, कि भविष्य किस तरह का होगा? अर्थव्यवस्था व रोजगार की वास्तविक स्थितियों को जानने के लिए माह अगस्त 2023 व सितम्बर 2023 के प्रथम सप्ताह में देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले कंपनियों में काम करने वालों की स्थिति का जब एक अध्ययन किया गया तो पाया गया कि तमाम कंपिनयों से लगातार कर्मचारियों की छंटनी हो रही है। अध्ययन निष्कर्ष यह भी निकला कि जिन कर्मचारियों को निकाला जा रहा है वह भीषण मानसिक व आर्थिक दबाव में जी रहे हैं। घर के सदस्यों के खाने- पीने, कपड़े-लत्तों, साग-सब्जी, फल-फूल, दूध सहित बच्चों की फीस के साथ ही ईएमआई, पेट्रोल आदि का खर्चा अब वह कहां से निकालें, यह उनकी बड़ी समस्या बन गई है। लगातार हो रही यह छंटनी व बढ़ती बेरोजगारी कहीं न कहीं अर्थव्यवस्था की राह में रोड़ा अटकाती नजर आती है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 की पहली छमाही में वैश्विक स्तर पर 2.12 लाख टेक कर्मचारियों ने अपनी नौकरी गंवाई है। इनमें बड़ी टेक कंपनियों के साथ ही स्टार्टअप कंपनी के कर्मचारी भी शामिल हैं। वैश्विक सॉफ्टवेयर कंपनी पेगासिस्टम ने इसी वर्ष दूसरी बार छटनी की है। इस बार वह 240 कर्मचारियों को निकाल रही है। इसी वर्ष जनवरी में कंपनी ने 4 प्रतिशत कर्मचारियों की छटनी की थी। कंपनी इसका कारण श्रमबल पुनर्गठन की योजना को बता रही है। इसी तरह पुनर्गठन योजना के तहत क्रिप्टो एक्सचेंज काइनस्विच ने 44 कर्मचारियों की छटनी की है। इसके चलते ग्राहक सहायता और आपरेशंस टीम से जुड़े कर्मचारी सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। कंपनी इसके पीछे भले ही बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने का तर्क देती हो लेकिन जो कर्मचारी निकाले गए उनके सम्मुख रोजी-रोटी का सवाल उठ खड़ा हो गया है। इसी तरह नावी टेक्नोलाजीज ने 200 कर्मचारियों की छंटनी की है। साथ ही कंपनी की तरफ से यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में और कर्मचारियों की छटनी की जा सकती है। पुरानी कार विक्रेता स्पिनी ने अपने 300 कर्मचारियों की छटनी की है। कंपनी का इसके पीछे का मकसद लागत में कमी लाना है। यह छटनी कुल कर्मचारियों का 4.5 प्रतिशत है।
इसी तरह दिग्गज टेक्नोलाजी हायरिंग प्लेटफार्म हैकररेंक ने 53 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। चैटिंग प्लेटफार्म डिस्कार्ड ने अपने कुल कर्मचारियों के 4 प्रतिशत की छटनी कर दी है। कंपनी ने 37 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। कंपनी के इस निर्णय से मार्केटिंग, टैलेंट और पब्लिक पॉलिसी टीम के सदस्य प्रभावित हुए हैं। माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने पिछले ही हफ्ते अपने 1000 से अधिक कर्मचारियों की छटनी की है। इससे बिक्री व ग्राहक सेवा विभाग में काम कर रहे कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। शॉर्ट-वीडियो एप चिंगारी ने दो महीने के अंतराल में दूसरी बार छंटनी की है। दूसरी बार में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। कंपनी के हालात ऐसे हैं कि यहां अब 60 के आस-पास ही कर्मचारी बचे हैं। एआई चैटबाट ‘दुकान’ ने ग्राहक सेवा से जुड़े 90 प्रतिशत कर्मचाारियों को निकाल दिया है। यह तब हो रहा है जब सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दावा किया था कि एआई में नौकरियों को कोई खतरा नहीं है।
इसी तरह घरेलू ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म मोबाइल प्रीमियर लीग ने अपने 50 प्रतिशत कर्मचारियों की छटनी की घोषणा की है। कंपनी के इस कदम से 350 कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। इसी तरह गेमिंग प्लेटफार्म ‘हाइक’ ने भी अपने 55 कर्मचारियों को निकाल दिया है। गेमिंग कंपनियों ने यह कदम ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने के चलते उठाया है। साइबर सिक्युरिटी फर्म मालवेयरबाइट्स ने 100 कर्मचारियों की छुट्टी कर दी। ऑनलाइन कर्ज देने वाले प्लेटफार्म खाताबुक ने 400 कर्मचारियों की छुट्टी की है। जून 2023 तक छंटनी पर नजर रखने वाली वेबसाइट लेआफ्स डॉट एफवाईआई के अनुसार 30 जून 2023 तक भारत में 27 हजार कर्मचारियों की छटनी हुई है।
रोजगार के लिए जिस स्टार्टअप से उम्मीद थी उसके हाल भी बेहद खराब चल रहे हैं। वर्ष 2023 में इसमें सबसे कम निवेश हो पाया है। निवेश में लगातार कमी आ रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2023 की पहली छमाही में स्टार्टअप में 3.8 अरब का निवेश हुआ जिसमें 258 सौदे हुए। जबकि पिछले साल की दूसरी छमाही में 5.9 अरब डॉलर का निवेश हुआ था। इस तरह स्टार्टअप में निवेश की दृष्टि से देखें तो 36 प्रतिशत कम निवेश हुआ। इस तरह लगातार स्टार्टअप में निवेश में कमी देखी जा रही है। यही नहीं वर्ष 2023 में अब तक 3 स्टार्टअप ही यूनिकॉर्न बन सके हैं जबकि पिछले साल 24 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने थे। ताजा तस्वीर यह है कि सरकारी नौकरियां लगातार सिकुड़ रही हैं। प्राइवेट सेक्टर मंदी सहित कई तरह की मार झेल रहा है। कुटीर व लघु उद्योग पनप नहीं पा रहे हैं। व्यवसाय लगातार मंदा होता जा रहा है। शिक्षा के प्रसार ने डिग्रियों की जिस तादाद में बढ़ोतरी की है, उसी अनुपात में बेराजगारी भी बढ़ी है। कुछ हाथों को अगर करोड़ों का पैकेज मिल रहा है तो हजारों हाथ बेकाम हो रहे हैं।
कुल मिलाकर देश में रोजगार की स्थितियां बेहद कमजोर बनी हुई हैं, प्रदेशों की स्थितियां और भी डांवाडोल हैं। अकेले उत्तराखण्ड को देखें तो डेढ़ करोड़ की आबादी वाले उत्तराखण्ड में 10 लाख से अधिक लोग बेराजगार घूम रहे हैं। जबकि राज्य बनते समय यहां पर बेरोजगारों की संख्या 2.50 लाख थी। ऐसे में तीसरी व दूसरी अर्थव्यवस्था के दावों पर सवाल उठ खड़े होते हैं।

