Uttarakhand

मानसखंड से पीएम का चुनावी आगाज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीमांत पिथौरागढ़ दौरे को विपक्षी दल सरकारी खर्चे पर 2024 की चुनावी रैली बतौर प्रचारित कर रहा है। हालांकि सुदूरवर्ती क्षेत्र में प्रधानमंत्री का आना पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी एक बड़ी बात होती है। पक्ष-विपक्ष व विश्लेषक इसे राजनीतिक दौरा बता रहे हैं

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीमांत जनपद पिथौरागढ़ का दौरा काफी चर्चा में रहा। भाजपा के शब्दों में कहें तो यह काफी सफल व विपक्ष की नजर में इसे विफल व सरकारी धन की बबार्दी के तौर पर देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री के इस सरकारी दौरे को विपक्षी दल सरकारी खर्चे पर 2024 की चुनावी रैली के तौर पर प्रचारित कर रहा है। हालांकि सुदूरवर्ती क्षेत्र में प्रधानमंत्री का आना पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी एक बड़ी बात होती है। चूंकि लोकसभा के चुनाव नजदीक है तो पक्ष-विपक्ष व राजनीतिक विश्लेषक इसे राजनीति के तराजू में तौलने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री ने इस सुदूरवर्ती क्षेत्र आकर पूरे उत्तराखण्ड के लिए 4200 करोड़ रुपयों की सौगात दी, उससे भाजपा अपने विपक्षियों से तैयारियों के मामले में दो कदम आगे निकल गई है।

  • क्या नहीं बोले प्रधानमंत्री:
    अग्निवीर योजना
    टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन
    टनकपुर से जौलजीबी तक मोटर मार्ग निर्माण
    पिथौरागढ़ में हवाई सेवा की शुरुआत
    बेस चिकित्सालय के संचालन
    मेडिकल कॉलेज के निर्माण
    कैलाश मानसरोवर यात्रा
    आदि कैलास को पांचवें धाम की मान्यता दिलाने
    हिमालयी क्षेत्र के विकास प्राधिकरण
    सांस्कृतिक एवं पारंपरिक व्यवस्था के संरक्षण
    सीमांत क्षेत्र में आजीविका प्रबंधन
    दुर्गम क्षेत्रों में चिकित्सकों व शिक्षकों की नियुक्तियों
    मानव-वन्य जीव संघर्ष से उत्पन्न स्थितियों
    विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी
    बिजली उत्पादित धारचूला में निःशुल्क बिजली देने की मांग
    केदारनाथ के मुख्य पुजारी-कर्मचारियों के आवास की कमी
    सीमांत की लचर स्वास्थ्य सेवाओं

साथ ही भाजपा ने यह संदेश भी दे दिया कि उत्तराखण्ड की पांचों सीटें उसके लिए बड़े महत्व की हैं। दूसरा प्रधानमंत्री ने जिस तरह से स्थानीय भाषा व प्रतीकों का इस्तेमाल कर जनता को अपने पक्ष में करने की भरपूर कोशिश की है उसने उत्तराखण्ड में विपक्षी दलों की चिंता तो बढ़ा ही दी है। इस मामले में अभी भाजपा एक कदम आगे बढ़ चुकी है। अगर विपक्ष को उत्तराखण्ड के पांचों सीटों को अपनी झोली में डालना है तो उसे भी रणनीतिक तरीके से अभी से आगे बढ़ना ही होगा। प्रधानमंत्री के दौरे ने निवर्तमान सांसदों से नाराज चल रहे और उन पर विकास, संपर्क न करने का आरोप लगा रहे लोगों के आक्रोश को भी कुछ हद तक थामने का काम किया है। एक बात जो महत्वपूर्ण रही वह यह कि जिस पिथौरागढ़ की सड़कें, नालियां, दीवारें बदहाल थी। बिजली के तार वर्षों से झूल रहे थे, तमाम मांगों के बाद भी उन पर काम पूरा नहीं हो पा रहा था। जिन आवारा कुत्तों से नगर पालिका दशकों से निजात नहीं दिला पा रही थी, वह प्रधानमंत्री के दौरे ने पूरी कर दी। अब लोगों को अपना शहर कुछ नया सा, अच्छा सा महसूस हो रहा है। वह कहीं न कहीं इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया तो अदा कर ही रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी अपने इस दौरे में जनपद के पार्वती कुंड, गुंजी गांव, जागेश्वर व पिथौरागढ़ पहुंचे। उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थानीय लोगों के साथ ही सेना, आईटीबीपी व बीआरओ के जवानों से भी मिले। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने जिन 42 सौ करोड़ योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया उसमें से पिथौरागढ़ की थरकोट कृतिम झील, विश्व बैंक पोषित बने 39 पुल, पिथौरागढ़-लोहाघाट के लिए बनी 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से बनी 67 ग्रामीण सड़कें व 25 ब्रिज, जिले में बने 9 विकासखंड कार्यालय, पेयजल से जुड़ी तीन परियोजनाओं, 38 पम्पिंग योजनाओं सहित कई अन्य विकास कार्यों का लोकार्पण किया तो वहीं हल्द्वानी स्टेडियम, चंपावत में 50 बिस्तरों का अस्पताल, नैनीताल में एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान, हल्द्वानी में पेयजल योजना, रूद्रपुर में वेलोड्रोम स्टेडियम, जागेश्वर धाम, हाटकालिका व नैनादेवी मंदिरों को मानसखंड मंदिर माला योजना के तहत विकसित करने, 21,398 पॉलीघरों का निर्माण, राज्य के 20 मॉडल डिग्री कॉलेजों में छात्रावास और कंप्यूटर लैब का विकास सहित 23 योजनाओं का शिलान्यास किया। इसके अलावा यह माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री का दौरा मानसखंड का कायाकल्प करेगा।

यूं तो प्रधानमंत्री के सीमांत दौरे को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है जिसमें एक हिस्से के लोगों के पास कहने को व गिनाने को बहुत कुछ है तो दूसरे हिस्से के लोगों के पास बहुत सारे ऐसे जायज सवाल हैं, जिनके उत्तर अनुतरित हैं। जो लोग प्रधानमंत्री के दौरे की सफलता की बात कर रहे हैं, उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने चारधाम की तर्ज पर मानसखंड के विकास की बात कही है। अगर मानसखंड का विकास होगा तो यहां तीर्थाटन के साथ पर्यटन की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। लोगों को बड़ी मात्रा में स्वरोजगार प्राप्त होगा। खुद प्रधानमंत्री ने भी यह बात कही कि वह केदारखंड की तरह मानसखंड को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना चाहते हैं।

इसके अलावा पीएम ने सीमा पर सड़क, संचार, रेल सेवा, सुरंग, आपदा प्रबंधन के विकास के लिए केंद्र की मंशा को स्पष्ट किया। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने देश के अंतिम गांव को प्रथम गांव का दर्जा दिया व वहां तेजी से विकास कराया लेकिन इसकी एक दूसरी तस्वीर यह भी है कि सीमांत क्षेत्रों में सड़क, स्वास्थ्य, आपदा, पानी, शिक्षा जैसी तमाम प्राथमिक विषयों पर लोग आए दिन धरना, प्रदर्शन व आंदोलन करने को बाध्य रहते हैं। पलायन आज भी इन सीमावर्ती क्षेत्रों की एक बड़ी समस्या बनी हुई है। चीन सीमा से लगे जिस क्षेत्र में प्रधानमंत्री का आगमन हुआ, वहां भले ही सड़क पहुंच गई हो लेकिन अधिकांश समय यह सड़क बाधित रहती है जिसके चलते क्षेत्र के 18 गांव कई तरह की समस्याओं से दो-चार होते हैं। यह आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील है। आपदा की बड़ी कीमत यहां के लोग समय-समय पर चुकाते रहते हैं। चीन सीमा से लगे तिदांग, सीपू, गो, ढाकर, चल, बालिंग, दांतू, मार्छा, दुग्तू, सेला, बौगलिंग, नागलिंग सहित कई गांव मानसून काल में अलग-थलग पड़ जाते हैं।

 

मानसखंड का पाखंड
प्रधानमंत्री जी के आगमन से हमको लाभ मिलता, हम उनको धन्यवाद देते! बशर्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा का यह ऐतिहासिक मार्ग जो भाजपा के शासनकाल में बंद हुआ यदि पुनः प्रारंभ हो जाता, इससे चीन के साथ व्यापार का भी मार्ग खुलता। रहा सवाल इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का, यह सड़क निर्माण के कार्य चाहे दारमा वैली में हो, चाहे चौदास-व्यास वैली में हो, यह जोहार मिलम वैली में हो, बहुत पहले से ही स्वीकृत होकर वर्ष 2014 से काफी पहले निर्माणाधीन थे और काम बहुत आगे तक बढ़ गया था। चीन के साथ हमारी सामरिक आवश्यकताओं को देखते हुए निर्माण कार्य में तेजी अवश्य आई है। मगर हमारी आवश्यकता का ध्यान रखा गया या हमको कुछ सौगात दी गई, मैं यह तब मानता जब नैनी-सैनी अर्थात पिथौरागढ़ के हवाई अड्डे को कामर्शियल परिचालन के लायक ताकि वहां बड़े जहाज उतर सकें, हवाई पट्टी को विकसित करने और हवाई अड्डे के रूप में नैनी-सैनी को विकसित करने की परियोजना स्वीकृत होती!! पिथौरागढ़ को सारी सौगातें पहले से प्राप्त हैं जिसके लिए पिथौरागढ़ सुपात्र भी है। हां, एक सौगात प्रधानमंत्री जी दे सकते थे इंदिरा जी द्वारा स्वीकृत पंडा फॉर्म जहां डीआरडीओ का जो रिसर्च सेंटर है उसको एक विकसित अनुसंधान संस्थान के रूप में यदि स्वीकृति मिल जाती। जागेश्वर जहां महायोगी शिव विराजमान हैं, कांग्रेस की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय योग मेला प्रारंभ किया था जिसको भाजपा की सरकार ने बंद कर दिया। प्रधानमंत्री जी के भगवान जागनाथ जी के दर्शन के बाद यदि अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव फिर से जागेश्वर में प्रारंभ होता है तो मैं इसको उपलब्धि मानूंगा और फिर एक रेलवे लाईन जिसका सारा कुमाऊं बकौल भाजपा का मानस खंड लंबे समय से इंतजार कर रहा है। सर्वेक्षण आदि के काम तो वर्षों-वर्षों पहले पूरे हो चुके हैं, वर्तमान सत्ता के जन्म से पहले पूरे हो चुके हैं। यदि रेल निर्माण कार्य की स्वीकृति सरयू के किनारे-किनारे जौलजीवी तक भी मिल जाए, यदि धारचूला तक मिल जाए तो और बेहतर होगा, तो मैं इसको माननीय प्रधानमंत्री जी के दौरे की मानसखंड के लोगों के लिए बड़ी उपलब्धि मानूंगा। मैं ‘मानस खंड’ शब्द का उच्चारण इसलिए कर रहा हूं कि भाजपा को शायद ‘कुमाऊं’ शब्द पसंद नहीं है। मेरा मानना है कुमाऊं, गढ़वाल और हरिद्वार, ये हमारी अंतरराष्ट्रीय पहचानें हैं। हमारे लोगों ने अपनी बुद्धि, पराक्रम, कौशल, शौर्य और वीरता से इस मुकाम/ऊंचाई को हासिल किया है। अब भाजपा ‘कुमाऊं’ का नया नामकरण करना चाहती है ‘मानस खंड’। 4200 करोड़ रुपए के पैकेज में ऐसी-ऐसी स्वीकृतियां भी सम्मिलित हैं या ऐसे-ऐसे लोकार्पण भी सम्मिलित हैं जो अभी आधे-अधूरे हैं या बहुत पहले की स्वीकृतियां हैं 2015-16 की। कैसी विडंबना है कि सोमेश्वर का 100 बैड का महिला चिकित्सालय उसके साथ के स्वीकृत 100 बैड के चिकित्सालय त्यूनी और शिमली के भवन बन चुके हैं और सोमेश्वर के 100 बैड का हॉस्पिटल अभी पैकेज के बंद डिब्बे में शोभायमान है। खैर में और अधिक पोस्टमार्टम नहीं करूंगा अन्यथा मेरी बातों से यह आभास जरूर जाएगा कि मुझे प्रधानमंत्री जी का आना अच्छा नहीं लगा। मैं कह रहा हूं चुनाव के बहाने आए, लेकिन आए।
हरीश रावत की फेसबुक से

 

 

बात अपनी-अपनी
प्रधानमंत्री के दौरे से पिथौरागढ़ को विश्व पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान मिलेगी। यह दौरा सामरिक के साथ ही आध्यात्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण रहा है। इससे पिथौरागढ़ के साथ ही अल्मोड़ा में विकास के नए द्वार खुलेंगे। हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिथौरागढ़ में रखे गए विजन को धरातल पर मूर्त रूप देने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में चलाए जा रहे विकास कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण कराया जाएगा।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड

प्रधानमंत्री का सीमांत दौरा केवल राजनीतिक दौरा साबित हुआ। इससे उत्तराखण्ड को कुछ हासिल नहीं हुआ। केदारनाथ, बदरीनाथ और अब मानसखंड के नाम पर लोगों की भावनाओं से खेला जा रहा है। प्रदेश व राष्ट्रीय महत्व की किसी भी बड़ी परियोजना की आधार शिला यहां नहीं रखी गई।
यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष, उत्तराखण्ड

 

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