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जापान में जनसंख्या संकट

मौजूदा समय में जापान के सामने सबसे बड़ा संकट जनसंख्या का है। जापान की जनसंख्या में लगातार गिरावट हो रही है। घटती जन्मदर की स्थिति यदि ऐसी ही बनी रही तो एक समय ऐसा आएगा कि जापान के सभी नागरिक बुजुर्ग नजर आएंगे। जापान सरकार द्वारा हाल ही में रिपोर्ट पेश की गई है। जिसके अनुसार साल 2023 में 758,631 शिशुओं का जन्म हुआ है,जो 2022 की तुलना में 5.1%कम है। जापान द्वारा 1899 में आंकड़ों का संकलन शुरू करने के बाद से जन्मों की यह सबसे कम संख्या है।

 

27 फरवरी को जारी किए गए सरकारी आकड़ों से पता चलता है कि जापान में पिछले पैदा हुए शिशुओं की संख्या लगातार आठवें साल गिरकर निचले स्तर पर आ गई है। जनसंख्या में गिरावट के साथ -साथ विवाहों की संख्या में भी गिरावट आई है। विवाह दर 5.9% गिरकर 489,281 आ गई है , जो 90 वर्षों में पहली बार आधे मिलियन से भी नीचे है। कई सर्वेक्षणों से मालुम होता है कि कई युवा जापानी विवाह करने से कतरा रहे हैं। युवा जापानी नौकरी की धूमिल सांभवनाओं ,वेतन की तुलना में तेज गति से बढ़ती रहने की उच्च लागत और कॉर्पोरेट संस्कृतियों से निराश होकर शादी करने या परिवार बनाने से कतराते हैं, जो माता-पिता दोनों के काम करने के अनुकूल नहीं हैं।

 

जापान में लगातार गिरती जन्मदर की स्थिति इस मुल्क के लिए खतरे का संकेत दे रही है। मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने कहा कि अगले छह साल या उसके आसपास 2030 तक की अवधि, जब युवा आबादी तेजी से घटने लगेगी, यह आखिरी मौका होगा जब हम इस प्रवृत्ति को उलटने में सक्षम होंगे, बर्बाद करने के लिए समय नहीं है।” गिरती जनसंख्या पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने कम जन्म दर को “जापान के सामने सबसे बड़ा संकट माना है । इसलिए उन्होंने जापानी नागरिकों के सामने उपायों का एक पैकेज सामने रखा है जिसमें ज्यादातर बच्चों के जन्म, बच्चों और उनके परिवारों के लिए अधिक समर्थन और सब्सिडी शामिल है। अनुमान लगाया जा रहा है कि जापान की 125 मिलियन से अधिक की आबादी 2070 तक लगभग 30% घटकर 87 मिलियन हो जाएगी। जिसमें हर 10 में से चार लोग 65 या उससे अधिक उम्र के होंगे। घटती और बूढ़ी होती आबादी का अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा पर बड़ा प्रभाव पड़ता है।

 

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