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भविष्य की राजनीति तय करने की कुव्वत

 

दो विधानसभा और 13 राज्यों में उपचुनाव

 

दो राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश, बंगाल, राजस्थान, उत्तराखण्ड समेत 13 राज्यों की 48 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनावों ने देश की राजनीति को खासा गर्म कर दिया है। एक तरफ ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के हिंदुत्ववादी नैरेटिव को लेकर भाजपा तो दूसरी ओर ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ के साथ विपक्षी दल मैदान में है। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हार-जीत योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक भविष्य तय कर सकती है तो उत्तराखण्ड में केदारनाथ सीट का नतीजा प्रधानमंत्री मोदी आौर मुख्यमंत्री धामी की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव नतीजे लोकसभा में दमदार प्रदर्शन करने वाले विपक्षी गठबंधन के लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना हरियाणा में शानदार
जीत दर्ज करने वाली भाजपा के लिए

पिछले महीने हुए हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बनी वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में भाजपा के जीत की हैट्रिक लगाने के बाद अब महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ ही 48 विधानसभा, 2 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। झारखंड में दो चरणों 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा तो महाराष्ट्र में एक ही चरण में 20 नवंबर को वोटिंग होगी और इनके नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में सवाल और कयासबाजी जोरों पर है। कहा जा रहा है कि एनडीए गठबंधन महाराष्ट्र और झारखंड में बूस्टर डोज ले पाएगा या फिर हरियाणा में मिली हार से सबक लेकर कांग्रेस साथी दलों के साथ वापसी करेगी? महाराष्ट्र में कौन मारेगा बाजी? झारखंड में किसकी बनेगी सरकार? ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं।

इन तमाम सवालों और अटकलों के बीच राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो इस बार महाराष्ट्र की जनता के सामने बहुत कुछ नया भी होने वाला है। गत पांच वर्षों में महाराष्ट्र ने तीन मुख्यमंत्री और दो बड़ी राजनीतिक बगावत देखी है। राज्य में जहां चार मुख्य पार्टियों के बीच चुनावी प्रतिद्वंद्विता देखने को मिलती थी इस बार यह छह बड़ी पार्टियों के बीच दिखेगी।

महाराष्ट्र में कौन मारेगा बाजी?

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है। राज्य में पांच महीने पहले सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी का गठबंधन महायुति से आगे था। अब सवाल ये है कि क्या यही तस्वीर 23 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी दिखेगी या कहानी पलटेगी? क्योंकि इंडिया ब्लॉक की सियासी किस्मत तो हरियाणा में भी पांच महीने में पलट गई।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि महाराष्ट्र का चुनाव न सिर्फ तीन-तीन दलों के दो गठबंधनों का मुकाबला है, बल्कि ये भी तय होना है कि जनता किसे असली शिवसेना और किसे असली एनसीपी मान रही है। महाराष्ट्र का चुनाव पवार परिवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के धड़ों अजित पवार और शरद पवार के गुट वाली एनसीपी के लिए भी बहुत बड़ी चुनौती है। लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के नाम का फायदा होने के बावजूद अजित पवार चाचा शरद पवार के सामने मजबूती नहीं दिखा पाए। जहां तक सवाल है महाराष्ट्र में कौन बाजी मारेगा तो कई सर्वे रिपोर्ट्स में महाराष्ट्र में सत्ता की दिशा और महायुति-महाविकास अघाड़ी के भविष्य का साफ संकेत दे रहे हैं। सर्वे की मानें तो राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को बढ़त मिलती नजर आ रही है। सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि 288 विधानसभा सीटों में से महायुति को 145 से 165 सीटें मिल सकती हैं, जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को 106 से 126 सीटों तक ही सिमटने की संभावना है। भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को 47 प्रतिशत वोट शेयर मिलने का अनुमान है, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को 41 प्रतिशत वोट शेयर की। अन्य को 12 फीसदी तक वोट शेयर मिलने के कयास लगाए गए हैं।

लोकसभा चुनाव में एमवीए पड़ा था भारी
पांच महीने पहले आए लोकसभा चुनावों के नतीजों को महाराष्ट्र में विधानसभा सीटों के आधार पर बांटकर देखें तो महाविकास अघाड़ी (इंडिया गठबंधन) 153 सीट पर आगे रहा, जबकि महायुति (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन 126 सीटों पर आगे रहा। लोकसभा चुनाव के नतीजों को पार्टियों के हिसाब से बांटकर देखें तो महायुति में बीजेपी 79, शिवसेना 40, एनसीपी 6 और आरएसपी 1 विधानसभा में एमवीए से आगे थी। वहीं कांग्रेस 63, शिवसेना यूबीटी 57, एनसीपी (एसपी) 33 सीटों पर आगे थी लेकिन अब हालत कुछ अलग नजर आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री के रूप में बने हुए हैं शिंदे

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए एकनाथ शिंदे सबसे पसंदीदा चेहरा बने हुए हैं। सर्वे के अनुसार 40 फीसदी लोगों ने शिंदे को सीएम के रूप में समर्थन दिया है, जबकि उद्धव ठाकरे को 21 और देवेंद्र फडणवीस को 19 प्रतिशत लोगों ने पसंदीदा सीएम चेहरे के रूप में चुना है।

झारखंड में किसकी बनेगी सरकार?

झारखंड में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन होने का इतिहास रहा है। 81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 सीटों की जरूरत होती है। विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में सियासी हलचल तेज है। राजनीतिक दलों की ओर से युद्ध स्तर पर प्रचार चल रहा है और बड़े-बड़े चुनावी वादे किए जा रहे हैं। मुख्य मुकाबला बीजेपी नीत एनडीए और कांग्रेस-जेएमएम वाले इंडिया ब्लॉक के बीच माना जा रहा है। गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में से पहले चरण के मतदान 13 नवम्बर को हो चुके हैं। जिसके नतीजे 23 नवंबर को सामने आएंगे, लेकिन इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स और कई सर्वेक्षण इंडिया गठबंधन के लिए टेंशन लेकर आए हैं।

सर्वे रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है। सर्वे के अनुसार भाजपा गठबंधन को 45 से 50 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक को 18 से 25 सीट और अन्य के 2 से 5 सीट जीतने की उम्मीद है। इस लिहाज से प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है।

किसको कितना वोट शेयर मिलने की उम्मीद?
वोट प्रतिशत की बात करें तो भाजपा गठबंधन को 53 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद है। जबकि जेएमएम-कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन का वोट शेयर 27.9 फीसदी रह सकता है वहीं अन्य को 18.9 प्रतिशत वोट शेयर का अनुमान जताया गया है। कहा जा रहा है किकोल्हान (चाईबासा), दक्षिणी छोटानागपुर (रांची), पलामू (मेदिनीनगर) में जहां भाजपा और उसके सहयोगी दल की पकड़ मजबूत होती दिखाई दे रही है वहीं जेएमएम गठबंधन को इन पांच क्षेत्रों में भारी सीटों का नुकसान होने का अनुमान है। सर्वे के अनुसार संथाल परगना की 18 सीटों में से भाजपा गठबंधन को 6 से 9 सीटें मिल सकती हैं, वहीं जेएमएम गठबंधन को 4 से 10 सीटें। उत्तरी छोटानागपुर (हजारीबाग) की 25 सीटों में भाजपा गठबंधन को 14 से 17 और जेएमएम गठबंधन को 0-4 सीट मिलने की उम्मीद जताई गई है।

कोल्हान में जेएमएम को चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद भारी नुकसान होता दिखाई दे रहा है। सर्वे में कोल्हान क्षेत्र में जेएमएम और उसके सहयोगियों की करारी हार का अनुमान लगाया गया है जिसमें करीब 14 निर्वाचन क्षेत्र हैं। वोट शेयर के मामले में भी भाजपा इंडिया ब्लॉक पर बढ़त हासिल करती दिख रही है।

झारखंड में इंडिया ब्लॉक की चुनौतियां
राज्य में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 41 सीटों का है। 2019 के विधानसभा चुनाव में 30 सीटें जीतकर जेएमएम सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और सहयोगी दलों के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी। इस बार हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ एंटी इन्कम्बेंसी भी है। वहीं पिछली बार 3 सीटें जीतने वाली झाविमो का इस चुनाव में नाम-निशान नदारद है। बाबू लाल मरांडी ने अपनी पार्टी झाविमो का बीजेपी में विलय कर दिया था। बाबू लाल मरांडी फिलहाल झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं। कोल्हान रीजन में भी समीकरण बदले हैं, जहां से सीएम रहते रघुवर दास को पिछले चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा था। शिबू सोरेन के खासमखास रहे कोल्हान टाइगर चम्पाई सोरेन अब बीजेपी में जा चुके हैं। सोरेन परिवार में भी फूट पड़ चुकी है। हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन अब बीजेपी में हैं। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने इंडिया ब्लॉक के मुकाबले ज्यादा विधानसभा सीटों पर लीड हासिल की थी। इस लिहाज से इंडिया ब्लॉक के लिए इस बार के चुनाव में बीजेपी के मुकाबले ज्यादा चुनौतियां होंगी।

मुख्यमंत्री के लिए सबसे लोकप्रिय चेहरा कौन?
बाबूलाल मरांडी झारखंड के मुख्यमंत्री के लिए सबसे लोकप्रिय चेहरा माने जा रहे हैं। उन्हें लगभग 44 फीसदी लोगों ने पसंदीदा सीएम माना है। जबकि हेमंत सोरेन को 30 प्रतिशत लोगों ने मुख्यमंत्री का पसंदीदा चेहरा बताया है।

विधानसभा उपचुनावों का हाल
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ ही 48 विधानसभा, 2 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इनके भी नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा और वायनाड लोकसभा सीट की हो रही है। जबकि सिक्किम की 2 सीटों पर 30 अक्टूबर को ही सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के दोनों प्रत्याशियों को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया था।

वायनाड लोकसभा सीट की बात करें तो यहां उपचुनाव राहुल गांधी के इस सीट को छोड़कर रायबरेली सीट चुनने की वजह से हो रहा है। यहां से उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस प्रत्याशी हैं। कांग्रेस का राज्य में गठबंधन है। भाजपा की ओर से नव्या हरिदास और लेफ्ट गठबंधन से सत्यन मोकेरी चुनावी मैदान में हैं। लेकिन प्रियंका की जीत तय मानी जा रही है।

कौन जीतेगा यूपी उपचुनाव का रण?
यूपी में लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) की रिकॉर्ड तोड़ जीत के बाद अब बीजेपी उपचुनाव में हिसाब बराबर करना चाहेगी। उपचुनाव में समाजवादी पार्टी अकेले उतर रही है। जबकि कांग्रेस ने त्रिकोणीय मुकाबले से बाहर रहने और ‘इंडिया’ गठबंधन का समर्थन करने का विकल्प चुना है।

प्रदेश की 9 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार आखिरी दौर में है वहीं भाजपा और सपा के ‘पोस्टर वॉर’ के बीच ये सवाल उठ रहा है कि उपचुनाव का रण कौन जीतेगा? बीजेपी और निषाद पार्टी को पटखनी देने के लिए समाजवादी पार्टी ने भी कमर कस ली है। बीजेपी के ‘अष्टभुजा’ प्लान के जवाब में अखिलेश यादव प्लान ‘07’ लेकर आए हैं। ऐसे में यूपी में उपचुनाव की जंग में अब मुकाबला कांटे का हो गया है और नए-नए चक्रव्यूह रचे जा रहे हैं। इस बीच यूपी में ‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर सियासत तेज हो गई है। अब समाजवादी पार्टी का ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ का पोस्टर वायरल हो रहा है। इससे पहले ‘27 का सत्ताधीश’ का पोस्टर लगाकर अखिलेश को पीडीए का मसीहा बताया गया था। जिसमें राहुल गांधी अर्जुन और अखिलेश यादव खुद योगेश्वर भगवान कृष्ण की भूमिका में रथ चला रहे थे। मतलब साफ है कि चुनावी रण जीतने के लिए तरह-तरह के पैंतरे अपनाए जा रहे हैं। एक ओर जहां बीजेपी ने 9 में से 9 सीटें जीतने के लिए ‘अष्टभुजा’ प्लान बनाया है वहीं इसके जवाब में अखिलेश यादव प्लान ‘07’ जिसके तहत अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर ज्यादा फोकस करना चाहते हैं।

अभी किस सीट पर कौन है मजबूत?

करहल 1993 से सपा का गढ़ मानी जाती है। इस पर मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप यादव और अनुजेश यादव के बीच आमना-सामना होगा। 2022 के विधानसभा चुनाव में सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा किया था, जबकि भाजपा ने फूलपुर, गाजियाबाद और खैर पर जीत दर्ज की थी। वहीं रालोद ने मीरापुर सीट जीती थी और निषाद पार्टी मझवां सीट पर विजयी हुई थी।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सभी नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सपा के चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। उन्होंने इसके बाद कांग्रेस के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के साथ अपनी एक तस्वीर साझा की और कहा कि दोनों दलों ने संविधान, आरक्षण और सौहार्द को बचाने का संकल्प लिया है।

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