बिहार में विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं लेकिन राजनीतिक दलों ने अपने फायदे को लेकर अभी से रणनीतियां बनानी शुरू कर दी हैं। आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने ‘इंडिया’ गठबंधन में नेतृत्व को लेकर एक ओर जहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन किया तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव में 70 सीटों की मांग कर राजनीतिक दबाव बढ़ा दिया है। इन दोनों बयानों को प्रेशर पॉलिटिक्स से जोड़कर देखा जा रहा है और इनके कई मायने निकले जा रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भले ही लालू राजनीति में उतने सक्रिय नहीं हों लेकिन अब भी मानसिक तौर पर दबाव बनाने से नहीं चूकते हैं। हाल में ही जिस तरह चार विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशी चारों खाने चित हुए और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति बेहतर हुई है उससे लालू को डर सता रहा है कि कांग्रेस उन पर दबाव बनाएगी। लालू राज्य की राजनीति और कांग्रेस की नब्ज पहचानते हैं और चुनाव को लेकर अभी से कांग्रेस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इसलिए आरजेडी कांग्रेस को राष्ट्रीय नेतृत्व के मुद्दे पर उलझाए रखना चाहती है नहीं तो ये वही लालू यादव हैं जिन्होंने ‘इंडिया’ गठबंधन में राहुल गांधी को ‘दूल्हा’ बनाने की बात कही थी। वह जानते हैं कि कांग्रेस किसी भी हाल में नेतृत्व के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगी। दूसरी ओर बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने आगामी विधानसभा चुनाव में 70 सीटों की मांग कर दबाव की राजनीति शुरू कर दी है और अपने संगठन को भी मजबूत करने में जुट गए हैं। जिससे उनके जमीनी संगठन पर सवाल उठाने का मौका राजद को नहीं मिल सके। उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस 70 सीटों पर ही चुनाव लड़ी थी जिसमें उसे महज 19 पर जीत मिली थी।

