Uttarakhand

जल संरक्षण हेतु जनसहभागिता

राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं संचार परिषद व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा हरिद्वार जनपद के भगवानपुर विकासखंड में आयोजित ‘जल संरक्षण, कृषि एवं स्वास्थ्य विज्ञान जागरूकता शिविर’ में परम्परागत जल संरक्षण, कृषि, स्वास्थ्य विज्ञान संचार के वैज्ञानिक पक्षों से लोगों को परिचित कराया गया। सीमित जल भंडार को बचाने के लिए जल संरक्षण बेहद जरूरी है जो बगैर जनसहभागिता के संभव नहीं है। अगर हम जल का सही उपयोग करें। जल स्रोतों को बढ़ाएं। जल संरक्षण के लिए बरसात के पानी का संग्रह करें। नदियों व अन्य पानी के स्रोतों को प्रदूषित न करें। रोजाना जिंदगी में जल का सदुपयोग करें तो हम एक हद तक पानी को बचा सकते हैं। जल संरक्षण के जरिए हम पीने लायक ताजे पानी के संसाधनों का रक्षण कर सकते हैं। वर्तमान व भविष्य में जल की मांग के बीच संतुलन बना सकते हैं

डब्ल्यूसीए के हरिद्वार भोगपुर सभागार में आयोजित शिविर

धरती पर समस्त जीवन चक्र को बनाए रखने के लिए हवा, पानी और भोजन जरूरी है, किसी एक की कमी के बिना कोई भी जीवित नहीं रह सकता। इसमें जल को अमूल्य संपत्ति कहा गया है। इसकी एक-एक बूंद मनुष्य के लिए कीमती है। यूं तो धरती पर जल का 70 प्रतिशत भाग जल है लेकिन उपयोग की दृष्टि से 1 प्रतिशत ही जल उपलब्ध है। इसलिए जरूरी है कि हम जितनी जल्दी जल के महत्व को समझ जाएं उतना अच्छा है। सीमित जल भंडार को बचाने के लिए जल संरक्षण बेहद जरूरी है जो बगैर जनसहभागिता के संभव नहीं है। अगर हम जल का सही उपयोग करें। जल स्रोतों को बढ़ाएं। जल संरक्षण के लिए बरसात के पानी का संग्रह करें। नदियों व अन्य पानी के स्रोतों को प्रदूषित न करें। रोजाना जिंदगी में जल का सदुपयोग करें तो हम एक हद तक पानी को बचा सकते हैं। जल संरक्षण के जरिए हम पीने लायक ताजे पानी के संसाधनों का रक्षण कर सकते हैं। वर्तमान व भविष्य में जल की मांग के बीच संतुलन बना सकते हैं। ये बातें राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं संचार परिषद व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा हरिद्वार जनपद के भगवानपुर विकासखंड में आयोजित ‘जल संरक्षण, कृषि एवं स्वास्थ्य विज्ञान जागरूकता शिविर’ में विषय विशेषज्ञों द्वारा जन समुदाय को प्रदान की गई।

उत्कर्ष नव चेतना व उत्थान समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में परम्परागत जल संरक्षण, कृषि, स्वास्थ्य विज्ञान संचार के वैज्ञानिक पक्षों से भी लोगों को परिचित कराया गया। इस शिविर में संदर्भ व्यक्ति के तौर पर कृषि अधिकारी दिनेश कुमार ने कृषि हेतु सिंचाई में पानी के उचित प्रयोगों के साथ ही लोगों को बताया कि अगर जीवन स्तर को उठाना है तो जल जागरूकता बेहद जरूरी हो जाती है। जनता को बताया गया कि आवश्यकता अनुसार जल का उपयोग करें। पानी का रिसाव न होने दें। पानी के नलों के इस्तेमाल के बाद बंद कर दें। आवश्यकतानुसार ही पानी का उपयोग करें। इस कार्यक्रम में जल प्रबंधन के समक्ष आने वाली चुनौतियों मसलन जल की मांग व पूर्ति के अंतर को कम करना, खाद्य उत्पादन के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराना, बढ़ती पानी की मांग को पूरा करना, अपशिष्ट जल का उपचार करने के साथ ही जल संरक्षण के उपायों के बारे में भी बताया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि जल संरक्षण के लिए जनजागरण अभियान जरूरी है। अगर जल संरक्षण में जनसहभागिता सुनिश्चित होती है तो जल बचत प्रभावी ढंग से लागू की जा सकती है। बच्चों, महिलाओं, पुरुषों को जल संरक्षण के महत्व व आवश्यकता के बारे में बताने की आवश्यकता है। जल प्रबंधन के तरीकों मसलन अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रणाली, सिंचाई प्रणालियां, प्राकृतिक जल निकायों की देखभाल करना, जल संरक्षण, बर्षा जल संरक्षण, पानी की पैमाइश, ग्रे पानी रीसाइक्लिंग, जल कुशल बाथरूम सहायक उपकरण के उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान की गई।

जैविक कृषि विशेषज्ञ कुंवर सिंह सैनी ने जैविक कृषि की उपयोगिता के साथ ही कृषकों और कृषि समुदायों में प्रौद्योगिकियों से जुड़े पहलुओं में सुधार की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि ऐसी
हाईटेक प्रणाली की जरूरत है जो कृषि क्षेत्र में पानी की बचत कर जल संसाधन का आधार बनाए रख सकें। यह तय है कि आज के समय में सूचना प्रौद्योगिकी का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। अगर कृषकों के जीवन को बदलना है तो नीतियों, प्रौद्योगिकियों और बाजार के अवसरों का बेहतर इस्तेमाल करना होगा। उन्नत बीजों व कृषि यंत्रों को प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों तक पहुंचाना होगा। कृषि उद्यम में दक्षता के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग बेहद जरूरी है। जागरूकता शिविर में स्वास्थ्य विज्ञान के सामान्य नियमों के बारे में बताते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए कुछ सामान्य बातों को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है। छोटी-सी गलती या लापरवाही कभी भी जानलेवा बन सकती है। इस जागरूकता शिविर में लोगों ने जाना कि अच्छा स्वास्थ्य अच्छे विज्ञान पर आधारित है। विज्ञान संचार यह समझाने की कोशिश करता है कि चीजें कैसी होती हैं। विज्ञान संचार सूचना को समझने योग्य, संबंधित और अर्थपूर्ण बनाने का प्रयास करता है। स्वास्थ्य संचार विज्ञान के उन तरीकों से संप्रेषित करने का प्रयास करता है जो दर्शकों के साथ प्रतिध्वनित होते हैं और उन्हें अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने या बीमारी को रोकने के लिए प्रेरित करते हैं।

जल संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि आजकल जल की उपलब्धता में कमी हो रही है। जल स्रोत लगातार सिकुड़ रहे हैं। पानी की गुणवत्ता निरंतर घट रही है। जागरूकता की कमी के चलते लोग पानी की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते, जिससे जल से होने वाली बीमारियों में इजाफा हो रहा है। जनजागरूकता अभियान के जरिए ही हम जल संरक्षण के महत्व से समुदाय को परिचित करा सकते हैं। उन्हें जल बचत व जल संरक्षण व्यवहार के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
विजया जोशी, परियोजना समन्वयक

 

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