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रिपोटार्ज: धूम मचा गया खाद्य एवं अतिथ्य मेला

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का प्रगति मैदान गत् पखवाड़े खासा गुलजार रहा। मौका था ‘इंडियन ट्रेड प्रमोशन आर्गेनाइजेशन’ द्वारा आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय खाद्य एवं आहार मेला’। इस मेले में 12 देशों की कंपनियों ने भाग लिया। इन कंपनियों एवं भारतीय कंपनियों के उत्पाद देखने और खरीदने के लिए लाखों प्रगति मैदान पहुंचे। इस मेले में हर तरह के उद्योग से जुडी मशीनों का काफी बड़ा मजमा लगा हुआ था। हर देश और भारत के हर राज्य से लोगों ने बढ़-चढ़ कर इसमें हिस्सा लिया। इस बार विशेष लाइमलाइट हरियाणा के 15 स्टाल्स ने खींची। किसानों की सरकार से एमएसपी को लेकर चल रही लड़ाई की बीच इस मेले में किसानों ने अपने व्यापार को खुद आगे बढ़कर प्रदर्शित किया। किसानों द्वारा घरेलु चक्कियां, अच्छी टेक्नोलाॅजी से प्रेरित ट्रैक्टर्स, खाद बनाने वाले उपकरण, दाल और हर्ब को अलग करने वाली मशीने, तेल निकालने वाली आसान और छोटी से बड़ी मशीने, रोटी, पज्जा, फ्राइज, टिक्की, ब्रेड, मिठाई, रस, नमकीन आदि बनाने की छोटी से बड़ी-बड़ी मशीनें आकर्षण का हिस्सा बनी रही। यह पिछले 41 वर्षों में सबसे बड़ा मेला माना जा रहा है। इसमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अवसरों के साथ-साथ कई तरह के स्लाइड शो का आयोजन भी किया गया। जिनमें भारतीय टेक्नोलाॅजीज और भारत सरकार द्वारा व्यापार में बढ़ावा, और युवाओं को दिए गए रोजगारों को प्रदर्शित किया गया।

 

नई दिल्ली का प्रगति मैदान अंतरराष्ट्रीय मेलों का मंडप है। यहां हर साल कई तरह के अंतरराष्ट्रीय मैले देखने को मिलते हैं जिनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं। कुछ महीनों के अंतराल में लगने वाले मेलों में ‘अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला’, ‘अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला’, ‘अंतरराष्ट्रीय नक्षत्र मेला’, ‘अंतरराष्ट्रीय आजीविका मेला’ आदि में न केवल आपको प्रदर्शनी देखने को मिलती है, बल्कि इन मेलों में आपको आजीविका बढ़ाने, कारोबार करने के भी अवसर प्रदान किए जाते हैं। इस बार 7 मार्च से 11 मार्च तक ‘आहार अंतरराष्ट्रीय खाद्य एवं आतिथ्य मेला’ आयोजित हुआ। यह मेला बेहद खास रहा। इस बार यह आयोजन 1,10,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में किया गया जबकि हर वर्ष केवल 90,000 वर्ग मीटर के भीतर ही इन मेलों को आयोजित किया जाता था। इतने बड़े स्तर पर आयोजित इस मेले में पहले की तुलना में 1900 से 2 हजार तक प्रतिभागियों की भागीदारी में वृद्धि हुई। इसी के साथ इस मेले में 1800 से भी अधिक उत्पादन स्टाल्स लगाए गए जिसमें 12 देशों की कंपनियों ने हिस्सा लिया जिसमें चीन, जर्मनी, ईरान, इटली, जापान, नेपाल, रूस, स्वीडन, ताइवान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। यह मेला अंतरराष्ट्रीय खाने में उत्पादन, खाना बनाने के उपकरण, खाना पैक करने की लाजवाब क्रिएटिव टेक्नोलाॅजी और घरेलू सामान जैसे कटलरी, मैट्स, डेकोरेशन आइटम्स आदि का समावेश रहा। इस अंतरराष्ट्रीय मेले में उद्यमियों को उनके ट्रेड से जुड़े व्यवसायियों से मिलने का अवसर मिला, वहीं व्यापार बढ़ाने को लेकर वे एक दूसरे के पूरक भी बने। इस पांच दिवसीय मेले में हर व्यवसाय से जुड़े नए स्टार्टअप भी देखने को मिले है। खाद्य पदार्थ व होटल व्यवसाय से जुड़े सेक्टर में आ रहे नए बदलाव व्यापारियों के लिए सुनहरा मौका बना। इस सुनहरे मौके और व्यापारियों की प्रदर्शनी का अनुभव लेने और उनसे चर्चा करने हमारे अखबार ‘दि संडे पोस्ट’ की रिपोर्टर ‘आयशा’ इस मेले में पहुंची।

आहार अंतरराष्ट्रीय खाद्य एवं आतिथ्य मेले में चार दिनों के भीतर 12 लाख से अधिक लोगों ने भ्रमण किया। इस मेले का आयोजन खासा सफल रहा और इसके जरिए न केवल लोगों को व्यापार करने के तोर-तरीके समझ आए, बल्कि विदेशी टेक्नोलाॅजीज को भी समझने और जानने का मौका मिला। इस मेले में हर तरह के उद्योग से जुडी मशीनों का काफी बड़ा मजमा लगा हुआ था। हर देश और भारत के हर राज्य से लोगों ने बढ़-चढ़ कर इसमें हिस्सा लिया। इस बार विशेष लाइमलाइट हरियाणा के 15 स्टाल्स ने खींची। किसानों की सरकार से एमएसपी को लेकर चल रही लड़ाई की बीच इस मेले में किसानों ने अपने व्यापार को खुद आगे बढ़कर प्रदर्शित किया। किसानों द्वारा घरेलु चक्कियां, अच्छी टेक्नोलाॅजी से प्रेरित ट्रैक्टर्स, खाद बनाने वाले उपकरण, दाल और हर्ब को अलग करने वाली मशीने, तेल निकालने वाली आसान और छोटी से बड़ी मशीने, रोटी, पज्जा, फ्राइज, टिक्की, ब्रेड, मिठाई, रस, नमकीन आदि बनाने की छोटी से बड़ी-बड़ी मशीनें आकर्षण का हिस्सा बनी रही। यह पिछले 41 वर्षों में सबसे बड़ा मेला माना जा रहा है। इसमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अवसरों के साथ-साथ कई तरह के स्लाइड शो का आयोजन भी किया गया। जिनमें भारतीय टेक्नोलाॅजीज और भारत सरकार द्वारा व्यापार में बढ़ावा, और युवाओं को दिए गए रोजगारों को प्रदर्शित किया गया।

 

मेले का उद्देश्य

इस मेले का उद्देश्य होटल उद्योग और पर्यटन क्षेत्र को दिल्ली-एनसीआर समेत अन्य जगहों में बढ़ावा देना, उद्योग के नए स्टार्टअप को मौका देना, ताकि उन्हें व्यवसाय बढ़ाने में मदद मिल सकें, नए आइडिया व स्टार्टअप को नई तकनीक के साथ लोगों के सामने लाना है। इस मेले के माध्यम से खाद्य व पेय पदार्थ, खाद्य और पेय उपकरण, जिसमें उत्पाद को तैयार करने से लेकर उसकी प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और उत्पाद से जुड़ी तकनीक, एक्वाकल्चर व सी फूड (समुद्री उत्पाद), डेयरी उत्पाद को प्रदर्शित करना शामिल रहा। यहां पर थोक विक्रेता, कैटरर्स, होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोग और रेस्त्रां मालिक अपनी मौजूदगी दर्ज कराते नजर आए। इस मेले में पहले ही दिन 30 हजार से अधिक लोगों ने शिरकत की। मेले की आयोजक ‘भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन’ (आईटीपीओ के अनुसार) इसमें आखिरी दिन तक एक लाख से अधिक लोगों ने विजिट किया है। इस मेले की टिकट 300 पर व्यक्ति रखी गई जिससे मालूम चलता है कि ‘इसमें करोड़ों रुपए के टिकट बेचे गए’।

हरियाणा के स्टाल्स की रही चर्चा

इस मेले में सबसे अधिक चर्चा में हरियाणा के स्टाल्स रहे इनके स्टाल्स पर टेक्नोलाॅजी को देखने के लिए लोगों की भीड़ हर समय मौजूद रही। ट्रेड फेयर अथाॅरिटी के हरियाणा मंडप के निदेशक अनिल चैधरी बताते हैं कि ‘इस मेले में हरियाणा सरकार की उद्योग अनुकूल नीति व माहौल के कारण बढ़ रहे नए उद्योग व स्टार्टअप को भी देशभर के व्यापारियों व व्यवसायियों को देखने का मौका मिला है। उम्मीद है कि यह मेला इसमें हिस्सा ले रहे व्यवसायियों को व्यापार बढ़ाने का अच्छा मौका देकर गया है।’ मेले में हरियाणा की ओर से खाद्य उत्पाद व मशीनरी से संबंधित 15 स्टाॅल लगाई गई थी। चैधरी कहते हैं कि ‘मेले में निवेशकों को बड़ी संख्या में उन व्यापारियों से मिलने का मौका मिला है। जो उन्हीं के सेक्टर में काम कर रहे हैं। यह एक ऐसा प्लेटफार्म है। मशीनरी निर्माण से जुड़े व्यवसायियों से लेकर उत्पाद की बिक्री कर रहे फर्मों को भी मेले ने सांझा प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया है। अन्यथा उन्हें माल की खपत या बिक्री के लिए मार्केटिंग करनी पड़ती है, जिसमे काफी खर्च होता है। देश के सबसे बड़े आहार एवं आतिथ्य मेले में बिजनेस-टू-बिजनेस कैटेगरी के रूप में अपनी पहचान बनाई है। हरियाणा से इस बार उन्हीं फर्मों को आमंत्रित किया गया जो बड़े स्तर पर काम कर रही हैं। सहकारी क्षेत्र के दो बड़े उपक्रम वीटा और हैफेड की सहभागिता भी मेले में रहे जो पौष्टिकता के मामले में दोनों उपक्रम फेमस ब्रांड बने हुए हैं।’

हाय फन फूड्स

इस मेले के पांचवे हाॅल में सबसे अधिक भीड़ अगर कही थी तो वह स्टाॅल था ‘हायफन फूड्स स्टाल’। यहां लगी हुई भयानक भीड़ इसको सबकी तरफ आकर्षित कर रही थी। आकर्षण के इस बहाव में मैंने भी प्रवेश किया और इस कंपनी के सीईओ ‘हरेश करमचंदानी’ जी से बात की जिन्होंने बताया कि ‘यह गुजरात की बेस्ट फूड कंपनी है जो फ्रोजेन फूड्स सप्लाई का काम करती है और यह देश विदेश की नामी गिरामी कम्पनीज जैसे बर्गर किंग, पोपाये, हाॅटडाॅग, डोमिनोस, केएफसी जैसी कंपनियों को अपना फ्रोजेन फूड सप्लाई करती है।’ हरेश करमचंदानी बताते हैं कि ‘हमारी कंपनी देश विदेश दोनों प्लेटफाम्र्स पर डील करती है। हमारे सभी प्रोडक्ट फ्रोजेन हैं लेकिन इनमंे किसी भी प्रकार के प्रेसिटिव्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। हमारे फूड्स मेकिंग के फौरन बाद ही इसकी पैकजिंग की जाती है जिससे फूड की शुद्धता बनी रहती है। हमारे प्रोडक्ट्स 80 प्रतिशत आलू से बने होते हैं जैसे-फ्रेंच फ्राइज, चिप्स, आलू टिक्की, पोटैटो विंग्स, पिज्जा, रोटी, पराठा आदि।

ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज

हम सभी रोजमर्रा में ‘गुड डे’ बिस्कुट का उपयोग जरूर करते हैं। इसी के साथ गुड दे के कई नई क्वालिटी भी हमें देखने को मिली हैं। ‘गुड डे’ की निर्माता कंपनी ब्रिटानिया के एमडी (मैनेजिंग डायरेक्टर) वरुण बेरी ने बताया कि ‘लोग गुड डे बिस्कुट को काफी पसंद करते हैं।

स्विगी

स्विगी देश में काफी फेमस फूड प्लेटफाॅर्म है। इसे हम सबने कभी न कभी जरूर इस्तेमाल किया होगा इसी के साथ इसकी बढ़ती लोकप्रियता की और जानकारी लेने हम इसके स्टाल पहुंचे तो पता चला कि श्स्विगी हर साल 3 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व डोसा दिवस से पहले, स्विगी ने डोसा के साथ देश के प्रेम संबंध का एक अनोखा खुलासा किया। स्विगी ने 25 फरवरी 2023 से 25 फरवरी 2024 तक का आॅर्डर विश्लेषण में दक्षिण भारतीय स्टेपल की लगातार बढ़ती लोकप्रियता पर प्रकाश डालते हुए पिछले 12 महीनों में 29 मिलियन डोसे की डिलीवरी की है। अकेले नाश्ते के दौरान प्रति मिनट औसतन 122 डोसे का आॅर्डर दिया है और यह देश भर में ग्राहकों के बीच इस पाक आनंद की अपार लोकप्रियता को रेखांकित करता है।

स्कैंडलस फूड्स

‘स्कैंडलस फूड’ अपनी बेहतरीन मिठाइयों के लिए जाना जाता है जिसके निर्माता अपनी आने वाले प्लान्स पर बात करते हुए बताते हैं कि ‘वित्तीय विकास के बारे में नहीं है, बल्कि भोजन के बाद उपभोग के क्षेत्र में भारतीय मिठाइयों के परिदृश्य को फिर से परिभाषित करने के हमारे दृष्टिकोण में हमारे विश्वास का एक प्रमाण है। हम आगे चलकर 1.4 करोड़ रुपए के साथ, हम अपने विविध ग्राहकों की बढ़ती मांगों को पूरा करने, नवाचार करने, विस्तार करने और पूरा करने के लिए पहले से कहीं बेहतर ढंग से सुसज्जित हैं। एक उभरते स्टार्टअप से उद्योग में अग्रणी बनने तक की हमारी मात्रा उत्साहजनक रही है और यह सिर्फ शुरुआत है।’

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री

आईसीएफ के अध्यक्ष दविंदर कुमार ने अपना उत्साह व्यक्त करते हुए बताया कि ‘हमें भारत वर्ष 2024 के लिए प्रतियोगिता श्रेणियों की विस्तृत लाइन अप प्रस्तुत करने पर गर्व है। यह कार्यक्रम सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि पाक कला कलात्मकता का उत्सव है। आज की दुनिया में जहां नई तकनीकों ने हमारे रहने, संवाद करने और खाने के तरीके को तेज कर दिया है, वहीं भारत उद्योग में उभरते रुझानों के अनुकूल होने के लिए एक मंच प्रदान करता है। जो किसी भी भारतीय के लिए गर्व की बात है।’

 

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