उत्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों में अक्सर नेटवर्क प्रॉब्लम रही है। फोन न मिलने की समस्या बराबर बनी रहती है। ऐसे में शासन-प्रशासन प्रधानों को ऐसे सैटेलाइट फोन रखने को कह रहा है जो मुश्किल घड़ी में काम आ सके। पौड़ी जिला प्रशासन ने भी मानूसन सीजन से निपटने के लिये शासन द्वारा भेजे गये सैटेलाइट फ़ोन को नो नेटवर्क जोन में पहुंचाना शुरू कर दिया है। इस फ़ोन को लेने से मना कर रहे ग्राम प्रधानों को इसका महत्व समझाकर बताया गया कि आपदा दौर में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने का ये फोन्स महत्वपूर्ण जरिया है। वे भी तब, जब जिले के ये क्षेत्र मोबाइल के दृष्टिकोण से नो नेटवर्क जोन में शामिल हों। प्रधानों को सैटेलाइट फ़ोन का महत्व समझाकर इनका वितरण खिर्सू ब्लॉक से शुरू किया गया है। ग्राम प्रधान मंहगी काॅल दर के चलते इन्हें लेने से कतरा रहे थे।

पौड़ी जिले में सैटेलाइट फ़ोन का पहला वितरण खिर्सू क्षेत्र के उन ग्राम प्रधानों को किया गया जहां मोबाईल नैटवर्क इन क्षेत्रों में पहुंचते ही नो नेटवर्क जोन में तब्दील हो जाया करते हैं और आपदा के दृष्टि से भी क्षेत्र काफी संवेदनशील हैं। ऐसे में इस फ़ोन को चलाने का प्रशिक्षण एसडीआरएफ टीम ने दिया। जिला प्रशासन ने इस क्षेत्र की 10 ग्राम सभाओं को ये फोन दिये हैं जो कि आपदा की दृष्टि से काफी संवेदनशील ग्राम सभायें हैं। इन ग्रामसभाओं में मथिगांव, चोपडा, नलई, नौगांव, चुठाली, मसेली, कटखोला, गोदा और मलुण्ड जैसी ग्राम सभाये शामिल हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि जिले के और भी क्षेत्रों में ये सैटेलाइट फ़ोन दिये जाने हैं जिसका प्रशिक्षण ग्राम प्रधानों को एसडीआरएफ की टीम देगी और बतायेगी कि आपदा दौर में सूचना के आदान-प्रदान के बाद ही रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच सकेगी।

