पूरे विश्व में कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है। अधिकतर देशों में लॉकडाउन की स्थिति है। अब तक पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से ढाई लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। दुनियाभर के देश इस जानलेवा वायरस से निजात पाने के लिए वैक्सीन और दवा विकसित करने में जी-जान से जुटे हुए हैं।
इसी बीच अमेरिका और बेल्जियम के वैज्ञानिकों की ओर से एक जानवर के खून से कोरोना को हराया जा सकता है ऐसा दावा किया गया है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि इस जानवर के खून से इस वायरस के संक्रमण का कारगर इलाज संभव है। उनका कहना है कि कोविड-19 के इलाज में लामा (ऊंट की प्रजाति) इस वायरस से लड़ने में कारगर साबित हो सकती है।
लामा के खून में कोरोना का इलाज
दरअसल, इस शोध को अमेरिका के ऑस्टिन में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास और बेल्जियम की वीआईबी-यूजेंट सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है। मंगलवार को इनका संयुक्त शोध सेल पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। यह दावा इसलिए भी किया जा रहा है, क्योंकि 4 साल पहले इन्हीं वैज्ञानिकों ने सार्स और मेर्स वायरस से निजात के लिए एंटीबॉडी तैयार करने के लिए इसपर शोध शुरू किया था। उनके शोध के केंद्र में बेल्जियम के जानवर लामा थे।
नाम दिया गया ‘नैनोबॉडी’

लामा और ऊंट की अन्य प्रजातियां में खून में स्टैंडर्ड एंटीबॉडी बनाने की क्षमता होती है। जिसके कारण ही इस जानवर को शोध के लिए चुना गया है। शोध के दौरान 4 साल के लामा के शरीर में सार्स और मेर्स वायरस की सुरक्षित डोज दी गई थी। इसके बाद उसके खून के सैंपल की जाँच की गई। इस लामा को ‘विंटर’ नाम दिया गया। विंटर लामा के खून के सैंपल लिए गए और फिर इसमें से एंटीबॉडी पृथक किया गया। जिसके बाद पाया गया कि इन एंटीबॉडी में ऐसी क्षमता को पाया गया है। जो नोवेल कोरोना वायरस को कोशिकाओं में जाने और उसे संक्रमित करने से रोक पाती है।
विंटर के खून से ली गई एंटीबॉडी
शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों की ओर से इसके लिए विंटर के खून से ली गई एंटीबॉडी से नई एंटीबॉडी बनाई गई है। ये एंटीबॉडी नोवेल कोरोना वायरस के प्रभाव को खत्म करने में सफल परिणाम दे रही है। इससे कोरोना वायरस संक्रमण का कारगर इलाज संभव हो सकता है। विंटर लामा के एंटीबॉडी बढ़िया किस्म की है। इसे नैनोबॉडी नाम दिया गया है। शोध टीम के अनुसार, इस एंटीबॉडी का ट्रायल पहले जानवरों पर जल्द से जल्द किया जाएगा। एंटीबाडी को जैसे ही मंजूरी मिलेगी तो इस साल के अंत तक इंसानों पर भी इसका ट्रायल किया जाएगा।

