हाल ही में हुई पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मृत्यु के बाद उनकी याद में कांग्रेस की ओर से समाधि की मांग की गई है। लेकिन इस बीच सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के लिए पहले समाधि बनाने का फैसला लिया है और केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी। बिना किसी मांग के सरकार द्वारा समाधि बनाने के फैसले पर खुशी जताते हुए शर्मिष्ठा मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इसके लिए आभार जताया। इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि शर्मिष्ठा भाजपा में शामिल हो सकती हैं। वहीं यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या पिता के सम्मान के बाद बेटी शर्मिष्ठा को भी बीजेपी कुछ देगी? यह चर्चा तब से शुरू हो गई थी जब से शर्मिष्ठा ने कांग्रेस के ऊपर हमला शुरू किया। यहां तक चर्चा थी कि दिल्ली में भाजपा उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारेगी। मगर ऐसा होता दिख नहीं रहा है क्योंकि दिल्ली में भाजपा से चुनाव लड़ना अब भी जोखिम भरा है। उधर उनके भाई अभिजीत मुखर्जी दो बार सांसद रह चुके हैं और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से जुड़ गए हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि प्रणब मुखर्जी के प्रति अतिशय सदाशयता दिखाकर भाजपा कांग्रेस को तो कठघरे में खड़ा कर ही रही है, साथ ही शर्मिष्ठा के सहारे पश्चिम बंगाल पर उसकी नजर है। सम्भव है कि जब बंगाल में विधानसभा चुनाव होगा उस समय शर्मिष्ठा मुखर्जी के लिए भाजपा कोई भूमिका तय करे और उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। हालांकि इससे पहले मोदी सरकार 2019 में प्रणब मुखर्जी को देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित कर चुकी है।
भाजपा का दामन थामेंगी शमिष्ठा!

