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पश्चिम बंगाल में भाजपा को झटका , तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करेगा गोरखा मुक्ति मोर्चा 

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा  चुनाव होने वाला  है । चुनाव की तैयारियों में  सभी राजनीतिक पार्टियां अभी से जोर शोर से जुट गई हैं। इस बार राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच  कड़े मुकाबले  के आसार बन रहे हैं। भाजपा की पूरी कोशिश है कि वह इस बार ममता बनर्जी  के गढ़  में अपना झंडा गाड़  डाले । लेकिन इस बीच भाजपा के इस अभियान को  बड़ा झटका लगा है। वर्ष 2017 से फरार चल रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) सुप्रीमो बिमल गुरूंग ने  कहा कि उनके संगठन ने एनडीए से बाहर होने का फैसला किया है, क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहाड़ी क्षेत्र के लिए ‘स्थायी राजनीतिक समाधान तलाशने में नाकाम रही है। गुरूंग की पार्टी दार्जिलिंग में अलग राज्य के लिए आंदोलन चलाती आ रही है।

राज्य  में अगले साल 2021 में विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है।  गुरूंग ने  कहा कि उनका संगठन तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगा और 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव भाजपा के खिलाफ लड़ेगा। अपने करीबी सहयोगी रोशन गिरि के साथ सामने आए गुरूंग ने कहा कि केंद्र सरकार 11 गोरखा समुदायों को अनुसूचित जनजाति के तौर पर चिन्हित  करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है। उन्होंने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मुकाबले में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया है।

बता दें कि इससे पहले भाजपा के दो सबसे पुराने सहयोगी रहे शिवसेना और अकाली दल भी एनडीए गठबंधन से रिश्ता तोड़ चुके हैं , हालांकि संसद में जीजेएम के एक भी सांसद नहीं हैं।

गुरूंग ने  कहा, ‘2009 से ही हम एनडीए का हिस्सा रहे हैं, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने पहाड़ के लिए स्थायी राजनीतिक समाधान निकालने का अपना वादा नहीं निभाया।  उसने अनुसूचित जनजाति की सूची में 11 गोरखा समुदायों को शामिल नहीं किया।  हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, इसलिए  हम एनडीए छोड़ रहे हैं।

जीजेएम नेता गुरूंग ने कहा कि पहाड़ छोड़ने के बाद वह तीन साल नई दिल्ली में रहे और दो महीने पहले झारखंड चले गए थे। आंदोलन में कथित तौर पर हिस्सा लेने के लिए गुरूंग के खिलाफ 150 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे।  उन्होंने कहा, ‘अगर आज मैं गिरफ्तार हो गया तो कोई मुझे परेशानी नहीं है।

सूत्रों के मुताबिक, गुरूंग पिछले एक महीने से तृणमूल कांग्रेस के संपर्क में थे। खबरों के अनुसार, गुरूंग ने कहा, ‘मैं ममता बनर्जी को दोबारा मुख्यमंत्री बनते देखना चाहता हूं और 2021 के चुनाव में उन्हें उत्तरी बंगाल की सभी सीटें दिलाने के लिए अपनी पूरी कोशिश करूंगा।

गुरूंग की घोषणा के बाद टीएमसी ने शांति के लिए उनकी प्रतिबद्धता और एनडीए से समर्थन वापस लेने का स्वागत किया। टीएमसी ने ट्वीट कर कहा, ‘गोरखालैंड के मुद्दे को राजनीति के लिए इस्तेमाल करने के भाजपा के प्रयास और उनकी अविश्वनियता अब पूरी तरह से साफ हो गई है।

घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह गोरखालैंड की मांग का समर्थन करती है या नहीं। तृणमूल कांग्रेस को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि वह गुरूंग के खिलाफ आपराधिक मामलों को वापस लेगी या नहीं। वहीं, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नेता के साथ समझौता करने के लिए ममता बनर्जी की आलोचना की है। चौधरी ने कहा, ‘अब सवाल यह है कि क्या ममता जी गोरखालैंड के मुद्दे पर विचार करेंगी या गुरूंग अलग राज्य की अपनी मांग छोड़ेंगे।

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