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तो क्या बसपा में मायावती के वारिस बनेंगे आकाश?

जिस तरह से आए दिन रैलियों में बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ एक नवयुवक आकाश आनंद दिखाई दे रहे हैं इससे लग रहा है कि जल्द ही वह राजनीति के आकाश में नया सितारा बनकर उभरेगा। जी हां, ऐसा होने वाला है। बसपा की राजनीति का यह नया सितारा आकाश आनंद आजकल मायावती के साथ हर कदम पर साए की तरह दिखाई देता है। इस युवक पर सबकी नजर लगी है। नजर लगे भी क्यों ना? मायावती किसी को ऐसे ही नहीं अपने साथ नहीं लगाती हैं। कभी परिवारवाद के विरोध में रही बसपा सुप्रीमो मायावती लगता है कि अब परिवारवाद को राह देने में लगी हैं। तभी तो उनके साथ उनके भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद मंच से लेकर बर्थडे तक और उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक पार्टी के हर कार्यक्रम में दिखाई देते हैं। मायावती मन से आकाश को पॉलिटिकली प्रोजेक्ट भी करती हुई दिखती हैं। मंच पर आकाश का परिचय देते हुए वह कहती हैं कि यह मेरा भतीजा है। लंदन से अभी एमबीए करके आया है। आकाश फिलहाल बसपा की राजनीति सीख रहा है। कहें तो राजनीति का ककहरा सीख रहे इस नौजवान पर सबकी नजरें हैं।

याद रहे कि आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार को मायावती ने पहले बसपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। कुछ इसी तर्ज पर जिस तरह से काशीराम ने मायावती को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। इससे लगने लगा कि आनंद कुमार जल्द ही मायावती के राजनीतिक वारिस घोषित हो सकते हैं। लेकिन कुछ दिनों बाद ही मायावती ने आनंद से यह पद छीन लिया था। तब से परिवारवाद पर जैसे बसपा में अंकुश लग गया। उसके बाद कभी यह बात नहीं चली कि बसपा का नया राजनीतिक वारिस कौन होगा ? देखा जाए तो जब से चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है तबसे मायावती के मन में बेचैनी है। मायावती को लगने लगा है कि बसपा में भी एक ऐसा युवा नेता होना चाहिए जो दलित युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर सके। हालांकि यह भी गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी में कोई युवा प्रकोष्ठ भी नहीं है। शायद मायावती इसकी भरपाई आकाश के रूप में करना चाहती हैं। हो सकता है जल्द ही वह आकाश को बसपा के युवा प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर नई जिम्मेदारी सौंप दें। गौरतलब है कि करीब चार साल पहले मायावती ने यह कहकर सबको अचंभित कर दिया था कि उनका राजनीतिक वारिस जल्द ही आने वाला है। तब उन्होंने वारिस का नाम न लेते हुए यह भी कहा था कि वह उनसे उम्र में 18 साल छोटा है। तब कयास रामलाल को लेकर लगाए जाने लगे थे। मायावती ने रामलाल को दो बार राज्यसभा सदस्य बनाया था। लेकिन मायावती रामलाल को अपना राजनीतिक वारिस घोषित करने में हिचकती रहीं। शायद वह अपना वारिस अपने परिवार से बनाने का मन बहुत पहले ही बना चुकी थीं। आकाश की बसपा में एंट्री से तो फिलहाल यही लग रहा है कि आकाश जल्द ही राजनीति के क्षितिज पर सितारे की तरह चमकने वाला है।

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