तीन तलाक मुद्दे पर अपनी पीठ ठोक रही मोदी सरकार को देश की सबसे बड़ी अदालत ने झटका दे दिया है। इससे मोदी सरकार असमंजस की स्थिति में है। कारण यह है कि अल्पसंख्यक समुदाय की तरफ से इस मामले पर एक के बाद एक कयी बार याचिकाए न्यायालय में डाल दी है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है।
गौरतलब है कि तीन तलाक बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी । जिसकी सुनवाई करते हुए देश की शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को आज बड़ा झटका दिया है । जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है । इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक कानून की समीक्षा के लिए भी तैयार हो गया है ।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई धार्मिक प्रथा जैसे दहेज़ प्रथा और सती प्रथा को गलत करार दिया गया हो ऐसे में क्या इसे अपराध की सूची में नहीं रखेंगे । याद रहे कि तीन तलाक कानून के खिलाफ शीर्ष अदालत में तीन याचिकाएं दाखिल की गई थीं ।
उनमे से एक उलेमा-ए-हिंद ने डाली अपनी याचिका में कहा है कि तीन तलाक कानून का एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम पतियों को दंडित करना है । उन्होने कहा है कि यह मुस्लिम पतियों के साथ अन्याय है । याचिका में कहा गया है कि हिंदू समुदाय या अन्य में ऐसा प्रावधान नहीं है ।
दूसरी याचिका समस्त केरल जमीयतुल उलेमा ने भी तीन तलाक कानून के खिलाफ याचिका दाखिल की है । इस याचिका में कहा गया कि तीन तलाक कानून से मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है । इस कानून के खिलाफ तीसरी याचिका आमिर रशदी मदनी ने दाखिल की है ।
उल्लेखनीय है कि गत 30 जुलाई को राज्यसभा में लोकसभा के बाद तलाक बिल पास हो गया था । राज्यसभा में इसके पक्ष में 99 वोट पड़े थे तथा विपक्ष में 84 सदस्यों ने वोटिंग की थी । जिसमें तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में करीब 4 घंटे बहस हुई थी । कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी, टीडीपी और जेडीयू जैसी पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया था ।

