दो लड़कियों को बंधक बनाए जाने वाले मामले को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय के अंतरिम फैसले को बदलते हुए सर्वोच्च न्यायलय ने ईशा फाउंडेशन को राहत दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु पुलिस को निर्देश दिया कि वह मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में आगे कोई कार्रवाई न करे। जिसमें पुलिस को अपने आश्रम में दो महिलाओं को कथित रूप से अवैध रूप से बंधक बनाए रखने की जांच करने को कहा गया था। सर्वोच्च न्यायलय के अनुसार इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर ‘स्टेट्स रिपोर्ट’ सौंपी जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश तब पारित किया जब ईशा फाउंडेशन ने मद्रास उच्च न्यायालय के 30 सितंबर के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी मामले का विवरण इक्क्ठे करे और आगे के विचार के लिए उन्हें कोर्ट के सामने पेश करे।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि पुलिस उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार शीर्ष अदालत के समक्ष स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगी। फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की और कहा कि लगभग 150 पुलिस अधिकारी फाउंडेशन के आश्रम में प्रवेश कर चुके हैं और हर कोने की जांच कर रहे हैं। पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों महिलाओं से बातचीत की। महिलाओं ने बताया कि पुलिस 2 अक्टूबर की रात आश्रम से चली गई है। दोनों महिलाओं ने यह भी बताया कि वे अपनी इच्छा से इस आश्रम में रह रही हैं। न्यायालय के अनुसार मामले की सुनवाई 14 अक्टूबर से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।
गौरतलब है कि दोनों महिलाओं के पिता डॉ. एस कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा था कि फाउंडेशन उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश करके, उन्हें भिक्षुओं के रूप में परिवर्तित करके उनका दुरुपयोग कर रहा है। माता-पिता और रिश्तेदारों को उनसे मिलने की भी अनुमति नहीं दे रहा है। एस कामराज द्वारा उच्च न्यायालय से पुलिस को निर्देश देने की मांग की थी कि वह उनकी दो बेटियों को अदालत के समक्ष पेश करे और उन्हें आजाद कर दे, जिनके बारे में उनका आरोप है कि उन्हें ईशा फाउंडेशन के अंदर बंधक बनाकर रखा गया है। याचिकाकर्ता तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर थे। उनकी इन दोनों बेटियों ने इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया हुआ है। दोनों ही ईशा फाउंडेशन से जुड़ीं।
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