पिछले साल जुलाई में केंद्र गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा बीजेपी की राजनीतिक यात्रा को रामेश्वरम से शुरू किया गया था। जिसके 103 दिन पूरे होने के बाद, यह यात्रा 26 फरवरी को अपने समापन के लिए तमिलनाडु पहुंची। इस यात्रा का कार्यभार अंतिम दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा संभाला गया। जिसके बाद यात्रा के समापन की चर्चा राजीनिक गलियारे में तेज हो गई है, तमिलनाडु में समापन समारोह के दौरान प्रधानमंत्री के द्वारा दिए गिये भाषण से साफ़ पता चलता है कि बीजेपी तमिलनाडु को कर्नाटक की तरह गवाना नहीं चाहती है। इसी के साथ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से मुलकात और बातचीत से भी यह साफ़ होता है कि वह तमिलनाडु में बरसों पुराना इतिहास दोहराने के लिए तमाम हथकंडे अपना रही है। इसकी तैयारी बीजेपी के द्वारा काफी समय से की जा रही है क्योंकि मुख्यमंत्री एमके स्टार्लिन के द्वारा की गई कुछ शिकायतों और आग्रह पर बीजेपी की तुरंत कार्यवाही इस बात का सुबूत देती है। इसी के चलते विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ‘कर्नाटक को छोड़ कर बीजेपी ने तमाम राज्यों में लोकसभा चुनाव के चलते अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए है।’
इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री के द्वारा कई ऐसे मुद्दों को उठाया गया है जिसका असर आने वाले समय में तमिलनाडु की राजनीति में देखने को मिल सकता है। इस यात्रा को वैसे तो मीडिया के द्वारा कवर नहीं किया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री के तमिलनाडु दौरे के बाद से यह यात्रा चर्चा का स्त्रोत बन गई है। इस यात्रा को नाम ‘एन मन एन मक्कल’ नाम दिया गया। इस यात्रा में प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिण में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में माहौल तैयार करने का प्रयास किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के साथ-साथ अन्य पार्टियों पर भी निशाना साधा है।
क्या है मामला
देश में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं जिनको लेकर देश की सभी पार्टियां तैयारी में लगी हुई हैं। भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी देश यात्राओं में लगे हुए तो अन्य पार्टियां अन्य तरीकों से वोटरों को इकठ्ठा करने में जुटी हैं। इसी तरह बीजेपी भी अपना वोटबैंक बढ़ाने के कार्यों में लगी है। इसके चलते ही तमिलनाडु में प्रधानमंत्री के द्वारा राजनीतिक यात्रा का समापन किया गया जिसमें उन्होंने तमिलनाडु की विपक्षी सरकारों के बारे में टिप्पणी की और वहां एआईएडीएमके और डीएमके की सराहना करते हुए दिखे। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा फिर से इन दोनों पार्टियों के साथ गठबंधन कर सकती है।
तेलंगाना, तमिलनाडु हो या फिर केरल। इन तीनों राज्यों में भाजपा अपने पैर पसारने की जीतोड़ कोशिश कर रही है। कर्नाटक में मिलने वाली हार के बाद बीजेपी अब इन राज्यों में सतर्क हो गई है। इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दक्षिण के राज्यों का दौरा कर रहे हैं। तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव के द्वारा पीएम मोदी का बॉयकाट के बाद भाजपा वहां से दूरी बनाये हुए है, लेकिन तमिलनाडु में हालत इसके विपरीत दिखाई दे रहे हैं। यात्रा के समापन समारोह में यह भी देखा गया है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पीएम मोदी के साथ गर्मजोशी से मिले हैं, और उनके द्वारा काफी बातचीत भी की गई है। इतना ही नहीं चेन्नई हवाई अड्डे के नए टर्मिनल के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री कुछ समय के लिए स्टालिन का हाथ पकड़े नजर आए हैं। ऐसा बर्ताव दोनों पार्टियों के बीच उस समय देखा गया जब दोनों पार्टियों के बीच काफी समय से तनातनी चल रही है।
क्या बदल सकता है तमिलनाडु का राजनीतिक इतिहास
तमिलनाडु की राजनीतिक हवाओं के रुख में पुरानी राजनीति की महक महसूस की जा रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ‘तमिलनाडु में भाजपा की पुरानी नीति ‘गठबंधन’ को अपनाया जा सकता है। क्योंकि यह देखा जा रहा है कि बीजेपी किसी भी हालत में तमिलनाडु को गवाना नहीं चाहती है। इसलिए यहां ग्रह मंत्री के द्वारा नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के द्वारा इस यात्रा का अंत तमिलनाडु में किया गया है। तमिलनाडु में बीजेपी दो प्रमुख पार्टियों ‘एआईएडीएमके’ और ‘डीएमके’ दोनों के साथ गठबंधन में रह चुकी है। ऐसे में पीएम मोदी तमिलनाडु में बीजेपी को मजबूत करने के लिए इन दोनों ही पार्टियों से गठबंधन करने के लिए अभी से ही कोशिशों में लगे हुए हैं।
तमिलनाडु राज्य की सत्ता में मौजूद डीएमके पार्टी की नाराजगी तेलंगाना केसीआर की पार्टी बीएसआर के द्वारा दिखाई गई है। पीएम मोदी और एमके स्टालिन की मुलाकात से राजनीतिक हलचल भी बेहद तेज हो गई हैं, यहां किसी खेला के होने की संभावनाएं नजर आने लगी हैं। वैसे तो एमके स्टालिन को वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी एकता से जुड़ते हुए देखा गया है, लेकिन पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उनका रुख मुड़ते हुए दिखाई दे रहा है।
सूत्रों से यह भी पता चालत है कि पीएम मोदी के तमिलनाडु दौरे से कुछ दिन पहले ही सीएम स्टालिन ने एक चिट्ठी के जरिये राज्य में कावेरी डेल्टा इलाके में चिह्नित किए गए तीन कोयला खंडों को राष्ट्रीय नीलामी की सूची से हटाने का आग्रह भी किया था। इसके जवाब में केंद्र ने फ़ौरन ही इन इलाकों को सूचि से हटा दिया था। इसके बाद एमके स्टालिन ने भी कहा था कि एक देश के रूप में भारत तभी समृद्ध हो पाएगा जब राज्यों के विकास के लिए केंद्र से पैसा मिलेगा। जिसके जवाब में पीएम मोदी ने तमिलनाडु के लिए 5 हजार करोड़ की नई परियोजनाओं की आधारशिला भी रख दी।
कब हुआ था गठबंधन
वर्ष 1999 में डीएमके एनडीए का हिस्सा रह चुका है। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में डीएमके को शामिल करने में उस समय प्रमोद महाजन ने अहम भूमिका निभाई थी। ये गठबंधन साल 2004 तक चला। जिसके दोहराए जाने की उम्मीद नजर आ रही है। दरअसल, डीएमके की ओर से मुरासोली मारन और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबियों में से एक थे और उन्होंने ही इस गठबंधन की जमीन तैयार की थी।

