भारतीय जनता पार्टी भीतर लोकसभा चुनाव नतीजों बाद बहुत कुछ बहुत तेजी से बदलने लगा है। ‘अबकी बार चार सौ पार’ के नारे साथ लोकसभा चुनाव में अपने लक्ष्य को पाने में पार्टी सफल रहती अथवा 2019 के आंकड़े को ही यथावत रख पाती तो सम्भवतः यह बदलाव नहीं होता, होता भी तो इस गति से नहीं। लेकिन चुनाव नतीजे अपेक्षानुसार आए नहीं और केंद्र में सरकार बनाने के लिए तेलगुदेशम और जनता दल (यू) की बैसाखियों का सहारा भाजपा को लेना पड़ा। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की कार्यशैली से नाइत्तेफाकी रखने वाले भाजपा नेताओं के दिन बहुरने लगे। पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने आम चुनाव के दौरान यह कहकर कि ‘शुरू में हम थोड़ा कमजोर थे तब हमें संघ की जरूरत पड़ती थी, आज हम सक्षम हैं तो भाजपा अपने आपको चलाती है’ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को गहरा नाराज करने का काम किया था। 2024 के खराब नतीजों के बाद संघ की तरफ से कई नाराजगी भरे बयान आए थे। हालांकि आधिकारिक तौर पर संघ ने इसे ‘फैमिली मैटर’ कह रफा-दफा करने का प्रयास जरूर किया लेकिन उसकी नाराजगी भाजपा के वर्तमान नेतृत्व को लेकर बनी रही है। अब खबर है कि नाराज संघ ने नड्डा के स्थान पर मोदी-शाह की पसंद के नेता को नया भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने पर अपना वीटो लगा डाला है। खबर बेहद गर्म है कि बीते दिनों संघ ने घोर मोदी-शाह विरोधी भाजपा नेता संजय जोशी को नया भाजपा अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव आगे कर खलबली मचा डाली।

जानकारों की मानें तो संजय जोशी के नाम को आगे कर संघ ने एक तीर से कई निशाने साधने का काम कर दिखाया। राजनीतिक पंडितों की मानें तो संघ भलीभांति जानता है कि जोशी के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके विश्वस्त कतई भी तैयार नहीं होंगे, फिर भी जान- बूझकर यह दांव संघ ने चला ताकि मोदी उनकी ऐसे नाम पर सहमत हो जाए जो भले ही उनकी पसंद का न हो लेकिन संजय जोशी सरीखा घोर विरोधी भी नहीं हो। खबरों का बाजार गर्म है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और वर्तमान में मोदी कैबिनेट के सदस्य शिवराज सिंह चौहान के नाम का प्रस्ताव संघ को भेजा है।

शिवराज संघ के उन करीबी नेताओं में हैं जिनका नाम बतौर पीएम फेस 2014 में खासा चर्चा में रहा था। इस बार लेकिन शिवराज सिंह चौहान के नाम का प्रस्ताव संघ ने नहीं स्वीकारा है और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का नाम आगे कर मोदी-शाह के समक्ष बड़ी उलझन पैदा कर डाली है। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया लम्बे अर्से से राजनीतिक बियावान में है। कहा जाता है कि हठी स्वभाव वाली वसुंधरा को भाजपा का वर्तमान नेतृत्व खास पसंद नहीं करता है।

माना जा रहा है कि संघ इस बार हर हालत में ऐसे नेता को भाजपा की कमान सौंपने का मन बना चुका है जो संघनिष्ठ हो और समय आने पर और जरूरत पड़ने पर संघ के निर्देशों को तरजीह दे। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या संघ वाकई ऐसा कर पाने में सफल होगा या फिर जैसा नड्डा ने आम चुनाव के समय कहा था, मोदी-शाह की जोड़ी अपनी पसंद के नेता को पार्टी अध्यक्ष बना संघ से मुक्त होने का जोखिम उठाएगी।

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