Uttarakhand

प्रेमनाथ की नहीं सरकार की होगी संपत्ति

 

डांडा-कांडा में फूटा झूइ का भांडा

पिछले 14 सालों से सूबे का सरकारी तंत्र दिल्ली के एक पूर्व अधिकारी एवी प्रेमनाथ की पहुंच और धमक के आगे नतमस्तक रहा। उसने न केवल सरकारी जमीन पर कब्जा किया, बल्कि उस जमीन पर बड़े भवन भी बना डाले। सरकारी जमीन पर अपने संस्थान ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ के लिए अवैध सड़क बना डाली। हरे पेड़ उखाड़ कर मिट्टी में मिला दिए। इसके साथ ही अवैध अतिक्रमण के उद्देश्य से दीवालबंदी, फील्ड और पानी की टंकी के साथ ही क्या कुछ ऐसा नहीं किया गया जिससे सरकार के नियम कानूनों को तिलांजलि दे दी गई। चौंकाने वाली बात यह है कि कई जांच होने के बाद भी वह अपने रसूख के बल पर बार-बार बचता रहा। कई सरकारें आईं और गईं लेकिन उसका बाल-बांका तक नहीं हुआ। संस्थान अतिक्रमित जमीन पर दिनों-दिन फलता-फूलता रहा और प्रेमनाथ का जलवा जारी रहा। हालांकि जब से प्रदेश में पुष्कर सिंह धामी की सरकार बनी तब से उसकी उल्टी गिनती शुरू हुई। एवी प्रेमनाथ के काले कारनामों पर धाकड़ धामी का डंडा चल ही गया। धामी सरकार में ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ की दो बार हुई जांच में एवी प्रेमनाथ के भ्रष्टतंत्र की पोल खुली और एक बार फिर सच जीता और झूठ हारा है। बहरहाल, अल्मोड़ा की एसडीएम न्यायालय ने ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ की संपत्ति को जब्त करने के आदेश दे दिए हैं

अल्मोड़ा के डांडा-कांडा निवासी बिशन सिंह अधिकारी 21 नवंबर 2008 को एक पत्र देश की राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को लिखते हैं। पत्र की एक कॉपी ‘दि संडे पोस्ट’ को भी भेजी जाती है। पत्र में लिखा है ‘डांडा-कांडा स्थित उनकी पुश्तैनी जमीन पर दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कब्जा कर लिया है। जमीन पर विशालकाय भवन बनाए जा रहे हैं। बेनाप जमीन कब्जा करने, अवैध तरीके से पेड़ काटने, गांव की पेयजल लाइन तोड़कर पेयजल आपूर्ति अवरुद्ध करने और जेसीबी चलाकर वन विभाग की जमीन पर रास्ता बनाने से हो रही जनहानि को रोका जाए।’ पत्र के आधार पर ‘दि संडे पोस्ट’ टीम स्थलीय निरीक्षण करने जब डांडा-कांडा पहुंची तो उपरोक्त आरोप सही पाए गए। प्रथम दृष्टया स्पष्ट हो रहा था कि जिस जमीन पर भवन बनाए जा रहे हैं वहां खूब अनियमितताएं हो रही हैं। देखा गया कि वहां नवनिर्मित चार आलीशान भवनों को एक स्कूल का नाम दिया गया। जिसका संचालन दिल्ली की एक स्वयं सेवी संस्था प्लीजेंट वैली फाउंडेशन कर रही थी। यहां एनजीओ द्वारा वन विभाग की जमीन पर अवैध तरीके से न केवल सड़क का निर्माण कार्य चल रहा था बल्कि जेसीबी मशीन चलाकर सैकड़ों पेड़ों को जड़ से उखाड़कर मिट्टी में मिला दिया गया। बेनाप जमीन पर दशकों से बसे बिशन सिंह अधिकारी के परिवार को उजाड़कर उस पर भी कब्जा कर लिया गया। अधिकारी परिवार जमीन से बेदखल होने के बाद अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर काटने पर मजबूर हो गया। यही नहीं बल्कि अधिकारी परिवार पर ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ के कर्ताधर्ता एवी प्रेमनाथ ने दिल्ली में कई फर्जी मामले भी दर्ज करा दिए। इसके बाद इस प्रकरण पर ‘दि संडे पोस्ट’ द्वारा एक के बाद एक कई खोजी खबरों का प्रकाशन किया गया। ‘जमीन की लूट’ शीर्षक सीरीज से ‘दि संडे पोस्ट’ की पड़ताल में ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ नामक एनजीओ की आड़ में भू-माफियागिरी के खेल का पर्दाफाश किया गया।

‘दि संडे पोस्ट’ में प्रकाशित खबरों के साथ ही उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी द्वारा धरना-प्रदर्शन और जांच की मांग के बाद अल्मोड़ा के तत्कालीन जिलाधिकारी डीएस गर्ब्याल द्वारा एडीएम राजीव शाह की अध्यक्षता में 2011 में पहली बार एक जांच टीम का गठन किया गया। जांच टीम ने पाया कि स्वयं सेवी संस्था ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ द्वारा क्रय शुदा भूमि के अतिरिक्त राज्य सरकार की आरक्षित वन भूमि की श्रेणी/ परिधि वाली भूमि 0.911 हेक्टेयर भूमि में अवैध रूप से अतिक्रमण किया गया है। इस संस्था द्वारा उक्त क्षेत्र में चार बड़े भवनों और ब्लॉकों का निर्माण किया गया है। जिसमें से एक बड़ा भवन पूर्ण रूप से राज्य सरकार की भूमि में निर्मित किया गया है। इस जांच उपरांत ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ द्वारा राज्य सरकार की भूमि आरक्षित वन श्रेणी की परिधि वाली भूमि में किए गए अतिक्रमण के सम्बंध में पटवारी द्वारा चालान किया गया। हालांकि राज्य सरकार की भूमि में 30 चीड़ के वृक्षों के क्षतिग्रस्त होने के संबंध में क्षेत्रीय पटवारी अथवा वन विभाग द्वारा वृक्षों के अवैध कटान पर भारतीय दंड सहिता एवं वन अधिनियम के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए थी, जो नहीं की गई। संस्था के विरुद्ध तीन चालानी रिपोर्ट की गई। जिसमें पहली सरकारी जमीन से कच्चे रोड का निर्माण करने पर, दूसरी सरकारी जमीन पर कच्ची सड़क, फील्ड, मकान, पानी की टंकी निर्माण करने सम्बंधित थी। जबकि तीसरी रिपोर्ट कच्ची रोड, भवन निर्माण, दीवालबंदी फील्ड तथा 30 वृक्षों को मलबे से दबाकर क्षति पहुंचाने के संबंध में दर्ज की गई।

अल्मोड़ा के तत्कालीन जिलाधिकारी डीएस गर्ब्याल ने इस प्रकरण में धोखाधड़ी से भूमि क्रय करने की दशा में आपराधिक मामला दर्ज किया जाना और फर्जी तौर पर भूमि को क्रय कर नामांकन की कार्यवाही करने पर उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 167 के अंतर्गत उक्त क्रय की गई भूमि को राज्य सरकार के पक्ष में निहित करने की संस्तुति राज्य सरकार को दी थी लेकिन सरकारी तंत्र सोता रहा। इस जांच के लगभग नौ बरस बाद ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ की एक और जांच तत्कालीन उपजिलाधिकारी सीमा विश्वकर्मा के द्वारा 15 अप्रैल 2020 को की गई। इस जांच में भी प्लीजेंट वैली पर सरकारी जमीन कब्जाने की पुष्टि की गई है।

26 मार्च 2022 को जिलाधिकारी अल्मोड़ा के आदेश पर एक और जांच कमेटी गठित की गई। इस जांच कमेटी ने सबसे पहले जमीन का सीमांकन किया। इस जांच में भी पाया गया कि प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की ओर से पिछले एक दशक से अपने क्रय शुदा भूमि 86 नाली 07 मुट्टी का सीमांत नहीं किया गया है और संस्थान में स्कूल भवन, हॉस्टल, खेल मैदान आदि के निर्माण के दौरान क्रय शुदा भूमि से लगते राज्य सरकार की भूमि पर भी अवैध अतिक्रमण किया गया है।

कोर्ट का चला चाबुक, सरकार की होगी सम्पत्ति 13 जुलाई 2022 को स्वयं सेवी संस्था ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ को 2 दिसंबर 2008 को दी गई अनुमति का दुरुपयोग करते सार्वजनिक भूमि पर कब्जा कर उस पर भवन निर्माण करने की जिला प्रशासन ने नोटिस जारी किया। इस नोटिस के खिलाफ ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ ने अपर जिला न्यायाधीश के यहां स्टे ऑर्डर लेने हेतु गुहार लगाई। इस अपील को रमेश सिंह अपर जिला न्यायाधीश अल्मोड़ा ने नौ अगस्त को खारिज कर दिया। इस अपील के खारिज होते ही ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ को जारी धारा 167 के तहत नोटिस दिनांक 13 जुलाई 2022 की पुष्टि करते हुए एसडीएम अल्मोड़ा जयवर्धन शर्मा ने गत 16 अगस्त को कुल रकबा 1.729 हेक्टर भूमि को सभी भार से मुक्त राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दे दिए हैं। साथ ही उन्होंने आदेश दिए हैं कि भूमि में मौजूद वृक्ष, फसल व कुओं को भी राज्य सरकार में निहित समझा जाएगा।

‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ को तीन माह का समय देते हुए उन्होंने आदेश दिए हैं कि वह इस दौरान अपनी चल सम्पत्ति को वहां से हटा सकता है। इसके अलावा इसी के साथ फेडरेशन में चल रहे स्कूल पर भी न्यायालय ने निर्णय लिया है। जिसमें मुख्य शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा को आदेश देते हुए कहा गया है कि यहां अध्यनरत छात्र-छात्राओं की शैक्षणिक गतिविधियां प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती है तो इस संबंध में वह अपने स्तर से वैकल्पिक व्यवस्था करना सुनिश्चित करेंगे। साथ ही तहसीलदार अल्मोड़ा उक्त भूमि का नक्शा बनाकर भूमि पर कब्जा प्राप्त कर अभिलेखों में अमल दरामद की कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। न्यायालय ने नक्शा एवं कब्जा प्रताप की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के आदेश दे दिए हैं।

113 नाली जमीन हो चुकी है सरकार में निहित यहां यह भी बताना जरूरी है कि पूर्व में एवी प्रेमनाथ की पत्नी आशा प्रेमनाथ उर्फ आशा यादव पर फर्जी खसरा खतौनी के आधार पर अल्मोड़ा जिले के मैणी गांव में 100 नाली जमीन खरीद ली थी। इस मामले में 2012 में अल्मोड़ा कोतवाली में मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद 100 नाली जमीन सरकार में निहित की जा चुकी है। यही नहीं बल्कि डांडा-कांडा की जिस 87 नाली जमीन पर ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ बनाया गया है वहां भी अतिक्रमित सरकारी जमीन में से 13 नाली जमीन को सरकार में निहित किया जा चुका है।

 

 

प्रेमनाथ के आपराधिक मामले 
1. राउज एवेन्यू जिला न्यायालय नई दिल्ली में भ्रष्टाचार निरोधक मुकदमा संख्या 34/2020 राज्य बनाम एवी प्रेमनाथ व अन्य                                       जांच – एंटी करप्शन ब्रांच 
2. न्यायिक मजिस्ट्रेट, अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) मुकदमा संख्या 96/2024 धारा 420, 468, 469, 471, 120बी, 153ए आईपीसी, 66 सी,                       जांच – उत्तराखण्ड पुलिस
66 डी आईटी अधिनियम के तहत
3. विशेष सत्र न्यायाधीश, अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) वाद संख्या 73/2022 एलडी के न्यायाल में विशेष सत्र पिचारण वाद                                                जांच – उत्तरखण्ड पुलिस
4. राउज एवेन्यू जिला न्यायालय, नई दिल्ली, एलडी के न्यायालय में भ्रष्टाचार, वाद संख्या एसीबी 02                                                                          जांच – एंटी करप्शन ब्रांच
5. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, तीस हजारी कोर्ट की अदालत, एलडी के समक्ष आपराधिक मामला संख्या 7907/2021                                                  जांच – दिल्ली पुलिस
6. सुश्री रितु बाला यादव द्वारा आईपीसी की धारा 354ए, 506, 509, 120बी, पुलिस स्टेशन वजीराबाद उत्तरी दिल्ली अपराध संख्या 0311/2024          जांच – दिल्ली पुलिस
7. थाना तिलक मार्ग, नई दिल्ली, धारा 480, 460, 471, 34 के तहत अपराध संख्या 0044/2024                                                                         जांच – दिल्ली पुलिस
8. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) फौजदारी संख्या 224/2023 दिनांक 5 नवम्बर 2022, आपराधिक विविध संख्या 191/2022         जांच – उत्तराखण्ड पुलिस
एलडी के निर्देशानुसार

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