शैक्षणिक करियर और प्रारम्भिक योगदान
डॉ. सिंह ने अपना करियर एक प्रोफेसर के रूप में शुरू किया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र पढ़ाया। उनके छात्रों और सहकर्मियों ने उन्हें हमेशा एक अनुकरणीय शिक्षक और प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में देखा। इसके बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) में भी योगदान दिया। 1971 में, डॉ. सिंह भारत सरकार से जुड़े और वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्यभार सम्भाला। इसके बाद, 1972 में वे वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार बने। 1982 से 1985 तक, उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया और देश की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ. मनमोहन सिंह की राजनीतिक यात्रा 1991 में शुरू हुई, जब वे प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री बने। यह वह समय था जब भारत गम्भीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग समाप्त हो चुका था और देश एक बड़े आर्थिक संकट के कगार पर था। डॉ. सिंह ने अपनी दूरदर्शी नीतियों के माध्यम से आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू की। उन्होंने लाइसेंस राज को समाप्त किया, विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए खोला। उनकी इन नीतियों ने भारत को एक मजबूत और विकसित अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर किया।
बतौर प्रधानमंत्री (2004-2014) डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की। उनका कार्यकाल कई दृष्टिकोणों से ऐतिहासिक रहा। यह पहला अवसर था जब भारत ने एक गैर-हिंदी भाषी, सिख प्रधानमंत्री को चुना।
प्रमुख उपलब्धियां
आर्थिक सुधार: उनके नेतृत्व में भारत की आर्थिक वृद्धि दर औसतन 7.9 प्रतिशत रही। यह उनके सुधारवादी दृष्टिकोण और स्थिर नीतियों का परिणाम था। उन्होंने ग्रामीण विकास, कृषि और शहरीकरण के क्षेत्रों में भी ध्यान केंद्रित किया।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) : इस योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने और गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत-अमेरिका परमाणु समझौता: यह डॉ. सिंह की दूरदर्शिता का परिणाम था कि भारत ने अमेरिका के साथ एक ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया, जिसने देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित किया।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM): इस मिशन ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधारने में मदद की।
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) : उनकी सरकार ने DBT योजना शुरू की, जिसने सब्सिडी और सरकारी योजनाओं को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में मदद की।
कठपुतली प्रधानमंत्री
डॉ. सिंह के नेतृत्व में, हालांकि यूपीए सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला, और राष्ट्रमंडल खेल घोटाला उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी आलोचनाओं में से रहे। उनकी सरकार की छवि को इन घोटालों से काफी नुकसान पहुंचा।
उन पर यह भी आरोप लगाया गया कि वे कठपुतली प्रधानमंत्री थे, जिनका नियंत्रण कांग्रेस पार्टी की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों में था। हालांकि उनके समर्थक इस आलोचना को खारिज करते हुए कहते हैं कि डॉ. सिंह हमेशा पार्टी और देश के हितों को प्राथमिकता देते थे।
पुरस्कार और सम्मान
डॉ. सिंह को उनके योगदान के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले।
पद्म विभूषण 1
शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए एडम स्मिथ पुरस्कार
यूरो मनी और एशिया मनी द्वारा उन्हें 1993 और 1994 में
‘वर्ष के वित्त मंत्री’ सम्मान प्रदान किया गया।
डॉ. सिंह का जीवन न केवल उनकी उपलब्धियों की कहानी है, बल्कि यह प्रेरणा का एक स्रोत भी है। एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ. सिंह ने अपनी प्रतिभा, मेहनत और नीतियों के माध्यम से भारत और दुनिया को दिखाया कि सच्चे नेतृत्व का मतलब क्या होता है।
उनके निधन पर मुझे कवि स्वयं श्रीवास्तव की एक कविता याद हो आई। यह कहना बिल्कुल सटीक होगा:
‘एक शख्स क्या गया
पूरा काफिला गया।’

