कृषि कानूनों को लेकर देश भर के किसान सिंधु बार्डर पर पिछले कई दिनों से डटे हुए हैं। किसानों की 1 दिसंबर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ वार्तालाप है। वार्तालाप दिल्ली के विज्ञान भवन में हो रही है। एक तरफ केंद्र सरकार किसानों के साथ वार्तालाप करने के लिए तैयार है तो दूसरी तरफ बीजेपी के हरियाणा के अंबाला से सांसद किसानों पर तीखे प्रहार कर रहे है। अंबाला से बीजेपी सांसद रतन लाल कटारिया ने विवादित बयान देते हुए कहा कि “ये किसान कहीं और मर लेते यहां मेरे कार्यक्रम में आने की क्या जरूरत थी।
"ये किसान कहीं और मर लेते यहां मेरे कार्यक्रम में आने की क्या जरूरत थी"
अंबाला से BJP सांसद रतन लाल कटरिया किसानों द्वारा अपना विरोध होने पर भड़के… #किसान_आंदोलन @angrishvishal pic.twitter.com/4q2QtTvVSx
— News24 (@news24tvchannel) December 1, 2020
दरअसल रतन लाल कटारिया एक जनसभा को संबोधित करने गए थे। जहां किसानों ने उनका विरोध नारे लगाकर और काले झंडे दिखाकर किया था। उसके बाद बीजेपी सांसद ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि “अरे भले मानसों किसी और की नहीं सोचनी, अंबाला के विकास के बारे में सोच लो। 60-70 साल से जो चीज पेटिंग पड़ी थी, आज वो हो रही है। उन्होंने विरोध कर रहे किसानों को जवाब देते हुए कहा कि तुमने काले झंडे दिखाने थे, तो 7-8 और उद्घाटन हो रहे है कही और मर लेते, जरुरी था यहां बीच में खूंटा ठोकना।
किसानों के 35 प्रतिनिधि 1 दिसंबर विज्ञान भवन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ कर रहे है। बैठक में क्या हल निकलेगा यह तो बैठक के बाद ही पता चलेगा। इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर किसान आंदोलन को पंजाब का आंदोलन बता रहे थे। वह बार-बार पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साध रहे थे। क्योंकि पंजाब के ज्यादातर किसान हरियाणा के रास्ते दिल्ली पहुंचे हैं। हालांकि किसानों को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने तमाम कोशिशें की थीं, लेकिन किसानों ने सभी अटकलें पार करते हुए आखिर दिल्ली तक पहुंच गए हैं।

