भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारियों की मोदी सरकार ने अस्तित्व में आते ही छुट्टी कर दी। इसके अलावा विकास के लिए निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सेवाएं भी सरकार लेने लगी है

वर्ष 2014 में पहली बार प्रधनमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की बात कही थी। मोदी ने अपनी मंत्री परिषद के गठन के समय ‘मिनिमन गवर्मेंट मैक्सिमम गवर्मेंट’ यानी ‘न्यूतम सरकार अधिकतम काम’ को अपना सिद्धांत बताया था। अब अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी इस पर अमल करते नजर आ रहे हैं। इसमें पहला फैसला केंद्रीय सेवाओं में वरिष्ठ पदों पर तैनात उन अफसरों पर कार्यवाही का रहा है। जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। सरकार का दूसरा फैसला सीधी भर्त्ती के जरिए निदेशक स्तर पर केंद्र सरकार में विशेषज्ञों की नियुक्ति करना है। अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने इस प्रक्रिया के तहत संयुक्त सचिव स्तर पर पदों में विशेषज्ञों की नियुक्ति कर दी थी। नौकरशाही में सरकार के इस कदम से भारी बेचैनी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार को खत्म करने का वादा किया था। जोर देकर कहा था कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा। अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही वादे के अनुरूप केंद्र सरकार ने 12 वरिष्ठ आयकर अधिकारियों की छुट्टी कर डाली। इन अधिकारियों में प्रमुख आयुक्त, आयुक्त अतिरिक्त, उपायुक्त, संयुक्त आयुक्त और सहायक आयुक्त के स्तर के अधिकारी शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि नियम 56 के तहत 50 से 55 साल की उम्र के जो अधिकारी 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हों, सरकार द्वारा उन्हें अनिवार्य रिटायरमेंट दिया जा सकता है। मोदी सरकार ने बेहतर काम न करने वाले और भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों की इसी नियम के तहत छुट्टी की है। आयकर विभाग के अधिकारियों के बाद सरकार ने सीमाशुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के भी 15 अधिकारियों की सेवाएं भी समाप्त कर दी। इन अधिकारियों में प्रधान आयुक्त स्तर का भी एक अधिकारी शामिल है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि सरकार ने बुनियादी नियमों के तहत नियम संख्या 56 (जे) का इस्तेमाल करते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के प्रधान आयुक्त से सहायक आयुक्त पद तक के अधिकारियों को सेवामुक्त कर दिया है। मंत्रालय के आदेश के मुताबिक इनमें कुछ पहले से निलंबित चल रहे थे। सूत्रों के मुताबिक इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, जबरन वसूली और आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप हैं। वित्त मंत्रालय के आदेश के मुताबिक दिल्ली स्थित सीबीआईसी में प्रधान अतिरिक्त महानिदेशक (ऑडिट) अनूप श्रीवास्तव, संयुक्त-आयुक्त नलिन कुमार, कोलकाता में आयुक्त संसार चंद, चेन्नई में आयुक्त जी श्री हर्ष, आयुक्त रैंक के अध्किरियों अतुल दीक्षित एवं विनय बृज सिंह को ‘सेवामुक्त’ कर दिया गया है। इसके अलावा दिल्ली जीएसटी जोन के उपायुक्त अमरेश जैन, अतिरिक्त आयुक्त रैंक के दो अध्किरियों अशोक महीदा एवं वीरेंद्र अग्रवाल, सहायक आयुक्त रैंक के अधिकारियों एस एस पबाना, एस एस बिष्ट, विनोद सांगा, राजू सेंगर, मोहम्मद अल्ताफ और दिल्ली के लॉजिस्टिक निदेशालय के अशोक असवाल शामिल हैं।

सेवामुक्त किए गए अधिकारियों में से दिल्ली में पदस्थ प्रधान आयुक्त अनूप श्रीवास्तव पर भ्रष्टाचार के छह गंभीर मामले हैं जिनमें से दो की जांच सीबीआई कर रही है। दिल्ली में ही पदस्थ अमरेष जैन के खिलाफ सीबीआई की जांच चल रही है। निलंबित संयुक्त आयुक्त नलिन कुमार पर सीबीआई दो मामलों में जांच कर रही है। निलंबित आयुक्त अतुल दीक्षित पर भ्रष्टाचार के दो गंभीर मामले हैं और इनकी भी जांच सीबीआई कर रही है।

कोलकाता में पदस्थ आयुक्त संसार चंद पर भ्रष्टाचार के दो मामले हैं। एक मामले में सीबीआई ने रिश्वत लेने हुए रंगे हाथों संसार चंद को गिरफ्तार किया था। कोलकाता के पदस्थ अतिरिक्त आयुक्त अशोक आर महिदा के विरुद्ध भ्रष्टाचार के दो मामले हैं जिनमें से एक मामले में सीबीआई ने रिश्वत लेते हुए उनको गिरफ्तार किया था जबकि दूसरे मामले की सीबीआई जांच जारी है। चेन्नई में पदस्थ आयुक्त जी हर्ष रिश्वत लेते हुए सीबीआई द्वारा गिरफ्तार हो चुके हैं, भ्रष्टाचार के दो गंभीर मामले हैं जिनकी सीबीआई जांच चल रही है। निलंबित आयुक्त विनय ब्रिज सिंह पर रिश्वत के गंभीर आरोप हैं और मामले को सीबीआई को भेजा जा चुका है। नागपुर में पदस्थ अतिरिक्त आयुक्त विरेंद्र कुमार अग्रवाल के खिलाफ सीबीआई एक मामले की जांच कर रही है। उनके विरूद्ध दो और मामले भी चल रहे हैं। निलंबित सहायक आयुक्त एस एस पबना के खिलाफ राजस्व खुफिया निदेशालय की जांच चल रही है। भुवनेश्वर में पदस्थ सहायक आयुक्त एस एस बिष्ट पर रिश्वत लेने के आरोप हैं और इस संबंध में उनके विरुद्ध मामला दर्ज है।

मुंबई में पदस्थ सहायक आयुक्त विनोद कुमार सांगा पर भ्रष्टाचार के दो मामले हैं और एक मामले राजस्व खुफिया निदेशालय की जांच जारी है। विशाखापत्तनम में पदस्थ
अतिरिक्त आयुक्त राजू सेकर पर भ्रष्टाचार के तीन मामले हैं जिनमें से दो सीबीआई के पास हैं। दिल्ली में पदस्थ उपायुक्त अशोक कुमार असवाल पर सीबीआई की जांच चल रही है। इलाहाबाद में पदस्थ सहायक आयुक्त मोम्मद अल्ताफ पर भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं। कई लोग इसे मोदी सरकार के सफाई अभियान के रूप में देखते हैं। जिन अधिकारियों की छुट्टी की गई उनमें से कुछ कथित रूप से भ्रष्टाचार, वसूली, रिश्वत लेने और यौन उत्पीडन के मामले में भी अरोप लगा शामिल रहे हैं।

मोदी सरकार द्वारा लिया गया दूसरा बड़ा कदम पार्श्व प्रविष्टिया हैं। केंद्र ने नौकरशाही पदानुक्रम में महत्वपूर्ण निर्णय लेने के स्तर के रूप में उप सचिव और निदेशक के पदों पर निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल करने की योजना है। आमतौर पर इन पदों पर आईएएस और केंद्रीय सचिवालय सेवा के पदोन्नोत अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है। यही वजह है कि इन पदों पर विशेषज्ञों की नियुक्ति अधिकिरयों को खल रही है।

मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में पायलट आधार पर निजी क्षेत्र के नौ संयुक्त सचिवों की भर्ती की थी। पिछले महीने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटने के बाद यह निदेशक और उप सचिव स्तर पर बड़ी संख्या में विशेषज्ञों की भर्ती करना चाहती है। शुरू में कुल 40 ऐसे विशेषज्ञों को नियुक्त किए जाने की संभावना हैं।

लेटरल एंट्री को लेकर सिविल सेवकों में अशंति है। अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से 24-25 वर्ष की आयु में सेवा में शामिल होने वाले सिविल सेवकों पर प्रभाव पड़ेगा। पार्श्व प्रविष्टि के माध्यम से सिविल सेवा में भर्ती होने वाले विशेषज्ञां को आरक्षण नहीं देने के मोदी सरकार के फैसले ने कई दलित आईएस अधिकारियों और अन्य सिविल सेवकों को परेशान किया है। प्रमुख सरकारी विभागों में विशेषज्ञ भर्तियां की गई हैं और इसका उद्देश्य विभिन्न सरकारी विभागां में उन विशिष्ट प्रतिभाओं को लिया जाना है, जो बेहतर प्रशासन में योगदान कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुबंध की अवधि तीन साल की होगी और प्रदर्शन के आधर पर इसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है।

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