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संदेशखाली हिंसा को लेकर टीएमसी घेरे में

टीएमसी नेता आरोपों के घेरे में है। वहीं ममता बैनर्जी को भी विपक्षियों का तंज झेलना पड़ रहा है। पश्चिम बंगाल में 24 परगना जिले के संदेशखाली इलाके में स्थानीय महिलाएं उग्र प्रदर्शन कर रही हैं। स्थानीय महिलाओं द्वारा टीएमसी नेता शेख शाहजहां और उनके सहयोगियों पर जबरन जमीनों पर कब्जा करने समेत यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया है। महिलाएं शेख शाहजहां की गिरफ्तारी की मांग लगातार कर रही हैं।

 

बीजेपी ने इस मामले को लेकर ममता बैनर्जी पर निशाना साधा है। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा है कि पश्चिम बंगाल की महिलाएं कह रही हैं कि जंगल राज ममता राज जैसा होता है। बीजेपी प्रवक्ता के कहने अनुसार पश्चिम बंगाल में महिलाओं के साथ उत्पीड़न आम बात हो गई है। अनुसूचित जनजाति की महिलाओं का टीएमसी नेताओं द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा है ,उन पर हमले किए जा रहे हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मूकदर्शक बनी हुई हैं। टीएमसी प्रमुख पर यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि वे आरोपियों को संरक्षण प्रदान कर रही हैं। दरअसल शाहजहां के यहां पांच जनवरी को ईडी छापा मारने के लिए गई थी। जहां ईडी कर्मियों पर हमले किए गए । इस दौरान ईडी के तीन अधिकारी गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। इन सब के पीछे शाहजहां का हाथ माना जा रहा है। इस घटना के बाद से ही टीएमसी नेता शाहजहां फरार है।

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संदेशखाली हिंसा को लेकर महिलाओं का प्रदर्शन

स्थानीय महिलाओं द्वारा पुलिस पर भी आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस और आरोपियों की मिली भगत है। इन सबको देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा 13 फरवरी को मामले पर स्वतः संज्ञान भी लिया गया। इस दौरान न्यायालय द्वारा कहा गया कि संदेशखली में महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया, इसकी जानकारी अखबार के माध्यम से मिली जो जनजातीय समुदाय की है। कोर्ट ने ममता बैनर्जी से सवाल करते हुए कहा कि ममता बनर्जी को जनजातीय से नफरत क्यों हैं, उनकी जमीन का बंदूक की नोक पर ट्रांफर क्यों किया जा रहा है।

 

अनुसूचित आयोग ने ममता पर लगाया आरोप

 

राष्ट्रिय अनुसूचित जाति आयोग ने भी सन्देश खाली हिंसा को लेकर टीएमसी सरकार को घेरा है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) की सदस्य अंजू बाला ने कहा है कि मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी इस मामले को लेकर कुछ बताना नहीं चाहती , महिलाओं पर अत्याचार की एफआईआर दर्ज नहीं करती, देश उन्हें माफ़ नहीं करेगा। वहीं अनुसूचित आयोग सन्देशखाली में राष्ट्रपति शाषन लगाने की मांग कर रही है ,आयोग का मानना है कि यहां लोग बिलकुल सुरक्षित नहीं है। इससे पहले पश्चिम बंगाल के राजयपाल आनंद बोस ने भी बंगाल पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने पुलिस पर संदेशखाली में ‘उपद्रवी तत्वों’ के साथ मिले होने का आरोप लगाए थे।

 

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