उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं असम प्रभारी हरीश रावत ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया है । उन्होंने पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए यह इस्तीफा दिया है । साथ ही उन्होंने पार्टी के निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रति अपनी निष्ठा प्रकट करते हुए कहा है कि वह कांग्रेस को मजबूती प्रदान करने में सक्षम होंगे । फिलहाल उनके इस्तीफे पर उत्तराखंड में हलचल मच गई है। इसी के साथ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओ के इस्तीफो पर रहस्यमय चुप्पी साधने से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है ।
उत्तराखंड में खुद हरीश रावत नैनीताल लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं । इसके साथ ही हरीश रावत ने इस्तीफा देकर उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को सीधे तौर पर निशाने पर ले लिया है ।हरीश रावत के इस्तीफे के साथ ही कांग्रेस के उन वरिष्ठ नेताओं पर भी उंगली उठ रही है जो महत्वपूर्ण पदों पर आसीन है ।लेकिन यह अपने पद से इस्तीफा देने को तैयार नहीं है ?
यही नहीं बल्कि पार्टी के एक वरिष्ठ नेता तो हरीश रावत की तरह ही लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं इस्तीफा देने पर चुप्पी साधे हुए है । यह नेता है प्रीतम सिंह । उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अपना टिहरी से लोकसभा चुनाव हार चुके हैं ।इसके बावजूद भी उन्होंने हार की जिम्मेदारी नहीं ली है । उत्तराखंड कांग्रेस में प्रीतम सिंह के प्रदेश अध्यक्ष रहते जिस तरह से पार्टी ने पांचों सीटें हारी है, वह पार्टी की बदहाली को स्पष्ट करता है ।
अगर हरीश रावत की बात करें तो वह राष्ट्रीय महामंत्री बनने के बाद कांग्रेस की देश की राजनीति में सक्रिय हो गए थे । इसके साथ ही वह असम के प्रभारी भी बन गए थे । जिसके चलते उनका अधिकतर ध्यान असम की ओर लगा हुआ था । फिलहाल रावत इस्तीफा देने के बाद उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय होते दिख रहे है।
सोशल मीडिया पर दिए गए अपने इस्तीफा पर हरीश रावत स्पष्ट लिखते हैं कि अब मिशन 2022 की तैयारी करनी है । इसी के साथ ही 2024 में वह मोदी को परास्त करने की बात भी कर रहे हैं । हालाकि यह तो समय ही बताएगा कि वह इसमें कितना सक्षम साबित होंगे।

फिलहाल उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती उनका गृह प्रदेश उत्तराखंड है । क्योंकि उत्तराखंड में कुछ दिनों बाद पंचायत चुनाव होने हैं । जिसमें पार्टी की जमीनी हकीकत सामने आ जाएगी ।हालांकि इससे पहले संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी आलाकमान उत्तराखंड में फेरबदल करने के पक्ष में है । हो सकता है लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की गाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पर गिर सकती है।
शायद यही वजह है कि पार्टी आलाकमान की नाराजगी को भापकर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह प्रदेश के दौरे पर निकल गए हैं । सर्वविदित हैं कि जब से वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं तब से उनका दौरा पूरे प्रदेश में नहीं हो सका था । यह पहली बार है जब वह देहरादून से बाहर कुमाऊ के दौरे पर निकले हैं । इस दौरान कार्यकर्ताओं की खरी-खोटी भी उन्हें सुनने को मिल रही है । इसका ताजा उदाहरण है अल्मोड़ा कांग्रेस के कार्यकर्ता । बताते हैं कि एक दिन पूर्व अल्मोड़ा के कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को जमीनी कार्यकर्ताओं ने खरी खरी सुनाई और पार्टी के गिरते जनाधार का जिम्मेदार उनको बताया । इससे पार्टी के संगठन की पोल खुलती नजर आ रही है।

