Uttarakhand

बागनाथ की धरती पर त्रिकोणीय संघर्ष

  •                दिकदर्शन रावत

सरयू और गोमती नदी के संगम पर स्थित बाबा बागनाथ की धरती बागेश्वर के नगर पालिका चुनाव में सभी दल अपनी जीत के लिए मतदाताओं के दर पर जा रहे हैं। यहां भाजपा और कांग्रेस के साथ ही एक निर्दलीय प्रत्याशी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। जिससे चुनाव दिलचस्प हो गया है।

भाजपा ने यहां अपने वादे को निभाते हुए पूर्व में नगर पालिका अध्यक्ष रहे सुरेश खेतवाल को चुनावी मैदान में उतारा है। खेतवाल को उम्मीदवार बनाते समय भाजपा ने अपनी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को नाराज कर दिया है। जिनमें पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सुबोध लाल शाह प्रमुख रूप से शामिल हैं। शाह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खास नेताओं में गिने जाते हैं। इसके बावजूद भी शाह की बजाए भाजपा ने खेतवाल पर दांव क्यों लगाया है इसको जानने के लिए डेढ़ साल पीछे जाना होगा।

गौरतलब है कि डेढ़ साल पहले बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव हुआ था। जिसमें कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा के प्रयासों से बागेश्वर के तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल को भाजपा ज्वाइन कराई गई। तब पार्टी द्वारा खेतवाल को नगर पालिका चुनाव में टिकट देने का वादा किया गया था। इस वादे को निभाते हुए पार्टी ने खेतवाल को उम्मीदवार तो बना दिया लेकिन पार्टी के लिए भितरघात की सम्भावना जताई जा रही है। सुबोध लाल शाह के साथ ही भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रमोद मेहता भी नगर पालिका में चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी जता रहे थे।

यहां यह भी बताना जरूरी है कि भाजपा ने जब गत् विधानसभा चुनाव में सुरेश खेतवाल को पार्टी में शामिल कराया था तो उनसे काफी अपेक्षा की थी। लेकिन बताया जा रहा है कि सुरेश खेतवाल के क्षेत्र से भाजपा को जितना वोट पूर्व में मिलता रहा है वह विधानसभा चुनाव में उससे भी कम रहा था।

कांग्रेस ने इस बार एक बार फिर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष गीता रावल को टिकट देकर चुनाव को रोचक बना दिया है। गीता रावल बागनाथ मंदिर की पूजा पाठ कराने वाले पुजारी परिवार से ताल्लुक रखती हैं। बताया जाता है कि महिलाओं में उनकी अच्छी छवि है। बागेश्वर की महिलाओं में वह लोकप्रिय हैं। जिसका उनको फायदा मिलना तय है। इसी के साथ निर्दलीय के तौर पर कवि जोशी मैदान में हैं। कवि जोशी ब्राह्माणवाद पर इस चुनावी जंग को जीतने की जुगत में हैं। यहां भाजपा और कांग्रेस ने ठाकुर प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं तो ऐसे में कवि जोशी ब्राह्माण कार्ड का दांव चल रहे हैं। फिलहाल कवि जोशी इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाते हुए नजर आ रहे हैं। जोशी बागेश्वर के व्यापार मंडल अध्यक्ष भी हैं। इस नाते उनका व्यापारियों में भी खासा असर देखने को मिल रहा है। बागेश्वर की राजनीति में यह भी याद रखना जरूरी है कि यहां पर दो बार निर्दलियों के हाथ में अध्यक्ष पद रहा है। सबसे पहले यहां निर्दलीय के रूप में चंदन राम दास अध्यक्ष बने थे जबकि दूसरी बार सुरेश खेतवाल भी पालिका के सिरमौर बने। इस चलते बागेश्वर निकाय चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार को कम नहीं आंका जा सकता है।

किधर पड़ेगा कपकोट का वोट
कपकोट नगर पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष रहे गोविंद बिष्ट की पत्नी धना बिष्ट को टिकट दिया है जबकि भाजपा ने गीता ऐठानी को अपना उम्मीदवार बनाया है। धना बिष्ट को जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रहे हरीश ऐठानी का समर्थन मिलने के साथ ही उनका सौम्य व्यवहार उनकी मजबूत स्थिति बना रहा है जबकि भाजपा के विधायक सुरेश गड़िया अपनी पार्टी की उम्मीदवार गीता ऐठानी को जिताने के लिए पूरा दमखम लगा रहे हैं। हालांकि भाजपा उम्मीदवार को विधायक के प्रति चल रही एंटी इनकम्बंेसी नुकसान पहुंचा सकती है। जनता इस चुनाव को भाजपा विधायक के रिपोर्ट कार्ड के रूप में भी देख रही है।

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