पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे की मुलाकात के बाद राजनीतिक हलकों में कानाफूसी है कि महाराष्ट्र की राजनीति में जल्द ही नया समीकरण देखने को मिल सकता है। इसके सियासी गलियारों में कई कारण बताए जा रहे हैं। इसमें सबसे पहला कारण विपक्षी महाविकास आघाडी के तीनों दलों में शिवसेना (यूबीटी) के पास ज्यादा विधायक हैं। नियम के मुताबिक तय 10 प्रतिशत सीटों से कम संख्या होते हुए भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और डिप्टी स्पीकर के पद पर भी उद्धव दावा कर रहे हैं। जिसमें उन्हें भाजपा की मेहरबानी की जरूरत है। यानी भाजपा के बिना उद्धव का उद्धार सम्भव नहीं है। उनकी इस मुलाकात को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। असल में शिवसेना (यूटीबी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पुत्र आदित्य ठाकरे के साथ फूलों का गुलदस्ता लेकर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनने की बधाई देने के लिए पहुंचे थे। दोनों पुराने साथियों ने लगभग पांच साल बाद बेहद गर्मजोशी से एक-दूसरे से हाथ मिलाया। इस दौरान पिता-पुत्र ने फडणवीस के साथ ठहाके लगाए। सोशल मीडिया पर सामने आई मुलाकात की तस्वीरों को देखकर किसी को यकीन नहीं होगा कि महाराष्ट्र के इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच कभी मनमुटाव भी रहा होगा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के बाद जिन हालातों में भाजपा और शिवसेना का गठबंधन टूटा और उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई। फिर ढाई साल बाद शिवसेना टूटी और भाजपा ने शिंदे गुट के साथ सत्ता में वापसी की और फिर लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के कब्जे से कई सीटें निकल गईं। इस पूरे पांच साल में देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच जमकर तल्खियां दिखीं। एक-दूसरे पर तमाम तरह के आरोप लगाए गए। लेकिन दोनों नेताओं की ताजा तस्वीरों ने सब कुछ छोड़ने के साथ ही नई शुरुआत के संकेत दिए हैं। इस मुलाकात में उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे के साथ सीएम फडणवीस से मिलने पहुंचे शिवसेना के नेताओं में विधान परिषद सदस्य अंबादास दानवे, विधायक अनिल परब, विधायक भास्कर जाधव, विधायक सचिन अहीर, विधायक संजय पोटनिस और विधायक वरुण सरदेसाई भी शामिल थे। मुलाकात के बाद आदित्य ठाकरे ने कहा, आज हमारे पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सीएम देवेंद्र फडणवीस और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मुलाकात की है। यह आगे की ओर एक कदम है। वहीं सीएम फडणवीस से मिलने के तुरंत बाद उद्धव ठाकरे की कांग्रेस से दूरयिां बढ़ती दिखीं। उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी को नसीहत देते हुए साफ कहा कि अब उन्हें वीर सावरकर को लेकर रोना बंद करना चाहिए। उद्धव ठाकरे महाविकास आघाड़ी में सहयोगी कांग्रेस नेता पर पहले हमला बोलने से परहेज करते थे। जबकि राहुल गांधी शुरू से ही वीर सावरकर को लेकर काफी आक्रामक रुख अपनाते रहते हैं। उद्धव और आदित्य के रुख को देखते हुए महाराष्ट्र में यह चर्चा शुरू हो गई कि आखिर सीएम फडणवीस के साथ बंद कमरे में क्या बात हुई कि उनके सुर बदल गए हैं।
उद्धव का होगा उद्धार!

