जाने-माने अभिनेता मनोज वाजपेयी ने फिल्मी करियर का आगाज वर्ष 1994 मे शेखर कपूर निर्देशित फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ से किया था लेकिन बॉलीवुड में पहचान 1996 में राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘सत्या’ से मिली। फिल्म ‘भैया जी’ के साथ ही फिल्मों की सेंचुरी लगा डाली है
भारतीय सिनेमा के सुपर स्टार मनोज वाजपेयी इन दिनों अपनी 100वीं फिल्म ‘भैया जी’ को लेकर सुर्खियों में हैं। इससे पहले वाजपेयी ‘सत्या’, ‘शूल’, ‘अलीगढ़’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘द फैमिली मैन’ जैसी हिट फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। उनकी ऐसी कई फिल्में हैं जिनको पुरस्कृत गया है। साथ ही कला के क्षेत्र में उनको पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। वो इन दिनों अपनी हाल ही में रीलीज हुई अपनी फिल्म ‘भैया जी’ के प्रचार- प्रसार में व्यस्त हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘मैं भाग्यशाली हूं कि अपूर्व सिंह कार्की द्वारा निर्देशित फिल्म ‘भैया जी’ उनकी 100वीं फिल्म है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे 10 फिल्में भी करने का मौका मिलेगा, लेकिन आज मैं 100 फिल्मों तक पहुंच गया हूं। यदि आप निरंतर काम करते हैं तो मुंबई आपको कुछ समय बाद अपना लेती है। मेरे पास जो कुछ है, उसके लिए मैं भगवान और दर्शकों का आभारी हूं।’
गौरतलब है कि फिल्मी करियर की शुरुआत मनोज वाजपेयी ने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘स्वाभिमान’ से की थी। इसके बाद वर्ष 1994 में शेखर कपूर की ‘बैंडिट क्वीन’ में अहम
किरदार निभाया। लेकिन सफलता उनको 1998 में रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘सत्या’ से मिली थी। मनोज वाजपेयी ने इस फिल्म में भीखू म्हात्रे (डॉन) का किरदार निभाया था। समंदर किनारे खड़ा डॉन भीखू म्हात्रे जिसने अपने दुश्मनों का खात्मा कर दिया और खुशी के मारे वो समंदर किनारे आकर चिल्ला रहा होता है मुम्बई का किंग कौन, भीखू म्हात्रे। 30 सकेंड के इस सीन ने मनोज वाजपेयी को रातों-रात स्टार बना दिया था जिसके लिए उनको राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। इसके बाद 1999 में ‘शूल’ फिल्म रीलीज हुई थी जिसको हिंदी सिनेमा की कल्ट फिल्म भी माना जाता है। मनोज वाजपेयी इस फिल्म में पुलिस इंस्पेक्टर समर प्रताप सिंह के रोल में नजर आए थे। हाल ही में मनोज वाजपेयी ने ‘बॉलीवुड हंगामा’ के साथ बातचीत में खुलासा किया कि मैं इंस्पेक्टर समर प्रताप सिंह के किरदार में इस तरह खो गया था कि फिल्म की शूटिंग पूरी होने के बाद भी यह किरदार मुझ पर काफी दिनों तक हावी रहा था। अंत में जाकर डॉक्टर्स के परामर्श और थेरेपी की मदद से इस परेशानी से राहत मिली थी। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड से नवाजा गया था। इसी वर्ष उनकी एक और फिल्म रीलीज हुई थी ‘कौन’। जिसकी शूटिंग मात्र 15 दिनों में पूरी हुई थी।
यह एक सस्पेंस और रोमांचक फिल्म थी। मनोज वाजपेयी और उर्मिला मातोंडकर इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे। 2 करोड़ रुपए में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 6 करोड़ रुपए की कमाई की थी। फिल्म ‘पिंजर’ में शानदार अभिनय के लिए मनोज वाजपेयी को राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड से सम्मानित किया गया था। अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ को भी कल्ट का दर्जा मिला हुआ है। इस फिल्म में मनोज ने सरदार खान नाम के एक गैंगस्टर की भूमिका निभाई थी। उनकी अदाकारी के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के कई नामांकन भी मिले थे। इसके बाद उन्होंने ‘स्पेशल 26’, ‘गली गुलिया’, ‘अलीगढ’ जैसी कई शानदार फिल्मों में अभिनय किया है।
वेबसीरीज में भी छाया मनोज का जलवा
मनोज वाजपेयी अपनी अदाकारी से बड़े परदे पर तो धमाल मचा ही चुके हैं साथ ही वेबसीरीज ‘फैमिलीमैन’ से डेब्यू कर ओटीटी प्लेटफार्म पर भी छाए हुए हैं। उनकी इस वेब सीरीज के सारे ऐपिसोड हिट रहे थे जिसके बाद इसके दूसरे भाग ‘फैमिली मैन 2’ के भी सारे ऐपिसोड सुपर हिट रहे। मनोज वाजपेयी ने इस सीरीज में श्रीकांत का किरदार निभाया था। इस सफलता के चलते इस वेबसीरीज के तीसरे पार्ट की शूटिंग भी शुरू हो चुकी है।
‘सिर्फ एक बंदा ही काफी है’
फैमिली मैन की सफलता के बाद मनोज वाजपेयी की ओटीटी प्लेटफार्म पर डिमांड बढ़ गई है। इनकी अदाकारी के लोग इतने दीवाने हैं कि अगली वेब सीरीज का इंतजार करते हैं। ‘फैमिली मैन’ की सफलता के ठीक बाद उनकी फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा ही काफी है’ सुपरहिट हो गई। इस कहानी आश्रम में हुए एक बच्ची के साथ हुए यौन अत्यचार की घटना पर आधारित है। इसके डायरेक्टर अपूर्व सिंह कार्की हैं। मनोज वाजपेयी इसमें वकील का रोल निभा रहे हैं जो पीड़ित बच्ची का केस लड़ते हैं। इसमें ज्यादातर सीन कोर्ट रूम के ही हैं। यह फिल्म 23 मई 2023 को रिलीज हुई थी।
‘साइलेंस’
सस्पेंस और रोमांचक वेबसीरीज ‘साइलेंस कैन यू हियर ईट’ को दर्शकों का अच्छा समर्थन मिला था। इस सीरीज की सफलता के बाद इसका दूसरा भाग भी आ चुका है। इसमें मनोज वाजपेयी ने एसीपी अविनाश के किरदार को बखूबी परदे पर उतारा है।
पद्मश्री से नवाजे गए मनोज
मनोज वाजपेयी अपने फिल्मी करियर में अभी तक इतने सारे अवार्ड और पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं जो किसी भी अभिनेता के लिए काबिले तारीफ हैं। खासकर पद्मश्री से सम्मानित किया जाना बड़े गर्व की बात है। मनोज वाजपेयी को 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनको ये सम्मान कला के क्षेत्र में योगदान के लिए दिया गया था। इससे पहले उन्हें 2 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
इस समय के लिए की बहुत मेहनत
एक साक्षात्कार के दौरान मनोज वाजपेयी ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में हम जैसे अभिनेता के लिए बहुत बढ़िया समय चल रहा है। इस समय के लिए हमने एक लंबी लड़ाई लड़ी है। कई लोगों का योगदान रहा है। मैंने भी अपने लेवल पर इसके लिए बहुत मेहनत की है। ऐसा भी समय था जब इंडस्ट्री में हमें घुसने तक नहीं दिया जाता था। हमारे लिए रोल नहीं हुआ करते थे। हमें तो हीरो का भाई या दोस्त भी नहीं बना सकते थे। आज इतना संघर्ष कर हम यहां तक पहुंचे हैं, ऐसे बहुत सारे एक्टर हैं जो बहुत नाम कमा रहे हैं। वे सब हम जैसे एक्टर्स अब स्टार्स के बराबर आकर खड़े हो गए हैं। आज जो यह समय है, इसके पीछे बहुत जद्दोजहद रही है। मैं इसका क्रेडिट गोविंद निहलानी, श्याम बेनेगल, राम गोपाल वर्मा, ओमपुरी, नसीरुद्दीन शाह, मणिरत्नम को देना चाहूंगा। वहीं आज की ब्रिगेड में अनुराग कश्यप, नीरज पांडे जैसे नाम हैं जिन्होंने इसका बीड़ा उठाया है। गौरतलब है कि मनोज वाजपेयी भारतीय सिनेमा के एक जाने-माने अभिनेता हैं और प्रयोगकर्मी अभिनेता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपना फिल्मी सफर का आगाज वर्ष 1994 में शेखर कपूर निर्देशित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ से किया था। लेकिन उनकी पहचान 1998 में राम गोपाल वर्मा निर्देशित ‘सत्या’ फिल्म से बनी। इस फिल्म ने वाजपेयी को उस दौर के अभिनेताओं के समकक्ष ला खड़ा किया। इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। इसके बाद साल 2019 में 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए मनोज वाजपेयी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया।
अब तक का सफर
मनोज वाजपेयी का जन्म 23 अप्रैल 1969 को बिहार के पश्चिमी चम्पारण के बेलवा गांव बहुअरी में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा के.आर. हाई स्कूल, बेतिया से हुई। इसके बाद मनोज ने दिल्ली के रामजस कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई की। उन्हें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय मे तीन कोशिशों के बावजूद प्रवेश नहीं मिल सका था। इसके बाद उन्हांेने बैरी जॉन के साथ रंगमंच किया। मनोज ने बैरी जॉन के मार्गदर्शन में स्ट्रीट चिल्ड्रेन के साथ काफी काम किया है।
मनोज वाजपेयी ने अपना फिल्मी करियर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक स्वाभिमान के साथ शुरू किया। इसी धारावाहिक से आशुतोष राणा और रोहित रॉय को भी पहचान मिली। फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ की कास्टिंग के दौरान तिग्मांशु धूलिया ने मनोज को पहली बार शेखर कपूर से मिलवाया था। इस फिल्म मे मनोज ने डाकू मान सिंह का रोल निभाया था। 1994 में प्रदर्शित फिल्म ‘द्रोह काल’ और 1996 में ‘दस्तक’ फिल्म मे भी मनोज ने छोटे किरदार निभाए। 1997 में मनोज ने महेश भट्ट निर्देशित फिल्म ‘तमन्ना’ में काम किया। इसी साल राम गोपाल वर्मा निर्देशित और संजय दत्त अभिनीत फिल्म ‘दौड़’ में भी मनोज दिखे। 1998 में राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘सत्या’ के बाद मनोज ने उड़ान भरनी शुरू कर दी थी। खासकर इस फिल्म में उनके द्वारा निभाए गए भीखू म्हात्रे के किरदार के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले जिसमें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार शामिल हैं। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वर्ष 2010 में प्रदर्शित हुई प्रकाश झा की फिल्म ‘राजनीति’ में मनोज के द्वारा निभाए गए वीरेंद्र प्रताप उर्फ वीरू भैया ने अभिनय की एक नई परिभाषा गढ़ दी। यह किरदार महाभारत के पात्र दुर्योधन से काफी मिलता-जुलता है। 2012 में आई ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर/भाग-1’ फिल्म में मनोज सरदार खान के किरदार में दिखे। इस फिल्म को और मनोज के किरदार को समीक्षकों की तरफ से काफी सराहना मिली थी जो आज भी जारी है।

