राजस्थान भाजपा में अंतर्कलह अपने चरम पर जा पहुंची है। भारी बहुमत के साथ राज्य की सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा तमाम प्रयास करने के बावजूद इस अंतर्कलह को न तो थाम पा रही है और न ही मीडिया में इसे चर्चा का विषय बनने देने से रोक पा रही है। हालांकि राजस्थान भाजपा के प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल ऐसी किसी भी आंतरिक कलह को सिरे से खारिज करने का जी-तोड़ प्रयास जरूर कर रहे हैं लेकिन सात विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव से वसुंधरा राजे सिंधिया का दूरी बनाना इस बात को प्रमाणित कर रहा है कि पूर्व सीएम एक बार फिर से कोपभवन में जा बैठी हैं। गौरतलब है कि भाजपा ने वसुंधरा राजे को इन चुनावों में स्टार प्रचारक बनाया है लेकिन वे कहीं भी प्रचार करने के लिए नहीं गईं हैं। सूत्रों की मानें तो सिंधिया सही समय की प्रतीक्षा कर रही हैं। यदि संघ के दबाव को दरकिनार कर मोदी-शाह उन्हें नड्डा के स्थान पर भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनाते हैं तो महारानी जल्द ही कोई बड़ा राजनीतिक फैसला ले सकती हैं।
फिर कोपभवन में वसुंधरा

