शीतकालीन सत्र में विपक्ष द्वारा राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किए जाने की आलोचना की गई थी और कहा गया था कि विपक्ष संसद के अगले सत्र में यानी बजट सत्र में फिर से सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगा। ऐसे में देश की सबसे बड़ी पंचायत में इन दिनों बजट सत्र चल रहा है तो सवाल उठ रहे हैं कि अविश्वास प्रस्ताव का क्या हुआ? राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण, आर्थिक सर्वे और दूसरे दिन बजट की वजह से विपक्ष ने इस पर चर्चा नहीं की और अभी तक विपक्ष की ओर से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है। ऐसी स्थिति में देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इस बार सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाता है या नहीं। हालांकि विपक्षी गठबंधन में भी पहले जैसी एकजुटता नहीं है और न सत्र से पहले कोई ऐसा मुद्दा आया है जिस पर विपक्ष एकजुट हो सके और न ही इंडिया ब्लॉग के सहयोगी दल मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का साथ देने के मूड में है। तो कम से कम बजट सत्र के पहले चरण में अविश्वास प्रस्ताव की सम्भावना कम दिख रही है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा शुरू होने पर विपक्ष के प्रति सभापति का क्या रवैया रहता है और किस तरह से सदन का कामकाज चलता है उस पर निर्भर करेगा कि विपक्ष आगे क्या करेगा। गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में उम्मीद से ज्यादा सीटें हासिल करके मजबूत हुईं विपक्षी पार्टियों ने पिछले दो सत्रों में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन सत्र के आखिरी दिन उसे खारिज कर दिया गया। तब कहा गया था कि विपक्ष संसद के अगले सत्र में फिर से सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगा।

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