कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जब से वायनाड सीट छोड़ने और प्रियंका गांधी को वहां से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है तब से राजनीतिक गलियारों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर राहुल गांधी ने प्रियंका को वायनाड भेजकर खुद रायबरेली को क्यों चुना है? राजनीतिक पंडितों का कहना है कि गांधी परिवार में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी एक साथ दो सीटों से चुनाव जीतीं थी लेकिन राहुल गांधी ने अपनी दादी के विपरीत फैसला लिया है। इंदिरा गांधी 1980 में रायबरेली और मेडक (अब तेलंगाना) सीट से जीती थी। इंदिरा ने उस समय उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट छोड़ दी थी। खास बात यह कि इंदिरा गांट्टाी ने भी इससे पहले 1977 में चुनाव हार के बाद जीत हासिल की थी। कुछ ऐसा ही राहुल गांधी के साथ हुआ है। लेकिन सीटें अलग हैं। 2019 में राहुल गांधी अमेठी से हार गए थे। जबकि 2024 में रायबरेली से बड़ी जीत दर्ज की है।
गांधी परिवार के अभी तक सभी सदस्यों ने उत्तर प्रदेश से ही राजनीति में एंट्री मारी है। जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा पहली सदस्य हैं, जो दक्षिण भारत से राजनीति की शुरुआत करने जा रही हैं। प्रियंका के दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने और राहुल गांधी को रायबरेली सीट अपने पास रखने की कई वजह हैं। सबसे पहला लोकसभा के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की फिर से वापसी हुई है। सपा के साथ चुनाव लड़ी कांग्रेस को इस बार 6 सीटों पर जीत हासिल हुई है। राहुल और प्रियंका कांग्रेस का गढ़ रही रायबरेली और अमेठी भी इस बार जीतने में सफल हुए हैं। इस कामयाबी से कांग्रेस को अच्छे दिनों की उम्मीद है इसलिए राहुल गांधी रायबरेली से सांसद रहकर उत्तर प्रदेश में पार्टी को पुनर्जीवित करना चाह रहे हैं तो वहीं कांग्रेस की नजर उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव और 2027 विधानसभा चुनाव पर है। इसकी वजह है करीब दो दशक से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सिमटती जा रही है। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव 2007 में 22, 2012 में 28 और 2022 में 2 ही सीटें हासिल हो पाई थी। ऐसे में राहुल गांधी यूपी की लोकसभा सीट से प्रतिनिधित्व करके विधानसभा चुनाव में भी लोकसभा चुनाव की तरह खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश करेंगे।
कुछ राजनीतिक जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी के रायबरेली सीट न छोड़ने की सबसे बड़ी वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। क्योंकि पीएम मोदी भी यूपी के वाराणसी से सांसद हैं। राहुल गांधी के निशाने पर नरेंद्र मोदी हमेशा रहते हैं। ऐसे में अगर राहुल गांधी रायबरेली सीट छोड़ देते तो भाजपा को उन्हें ‘भगोड़ा’ कहने का मौका मिल जाता। इसके अलावा आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की कमियों को उजागर कर राहुल 2027 के विधानसभा चुनाव को भुनाने की कोशिश भी करेंगे। राजनीतिक जानकारों के अनुसार प्रियंका गांधी को केरल के वायनाड से राजनीति में एंट्री को सुरक्षित सीट बता रहे हैं। क्योंकि यहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस 15 सीटों पर चुनाव लड़कर 8 जीती थी जबकि 2019 में 16 में 15 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। वहीं, इस बार भी कांग्रेस 14 सीटें जीतने में सफल रही है। ऐसे में प्रियंका गांधी की उपचुनाव में यहां से जीत सुनिश्तित मानी जा रही है। शायद यही वजह है कि राहुल गांधी अपनी बहन को पहला ही चुनाव बिना रुकावट जीताना चाह रहे

