मोदी का राजनीतिक उत्तराधिकारी बनने की अघोषित होड़ ने अमित शाह और योगी को एक-दूसरे के खिलाफ ला खड़ा किया है। हालांकि खुले तौर पर कोई भी वरिष्ठ भाजपा नेता इस मुद्दे पर बोलने को राजी नहीं लेकिन दबी जुबान से हर कोई स्वीकारता है कि पटेल दम्पति का बागी होना, गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से विधायक नंदकिशोर गुर्जर का योगी सरकार पर गौहत्या करने सरीखा गम्भीर आरोप लगाना, उपमुख्यमंत्री ब्रिजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्या संग योगी की लगातार तनातनी इत्यादि आने वाले समय में भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बनने जा रही है। इन नेताओं के बागी तेवरों को अमित शाह बनाम योगी के बीच जारी शीतयुद्ध संग जोड़कर देखा जा रहा है

उत्तर प्रदेश की राजनीति में कभी अपनी पहचान और पकड़ रखने वाले अपना दल के नेता सोनेलाल पटेल की वर्ष 2009 में एक सड़क हादसे में मौत के बाद उनकी बेटियों, अनुप्रिया पटेल और पल्लवी पटेल के बीच छिड़ी सियासी विरासत की जंग एक बार फिर सड़क पर आ गई है। सोनेलाल की पुत्री और अपना दल (एस) की सांसद अनुप्रिया केंद्र सरकार में मंत्री हैं जबकि पल्लवी पटेल समाजवादी पार्टी से विधायक। अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल यूपी की योगी सरकार में तकनीकी शिक्षा विभाग के मंत्री हैं। बीते कुछ दिनों से वे अपने विभाग में हुई नियुक्तियों में कथित गड़बड़ियों के आरोपों का सामना कर रहे हैं। पल्लवी ने हाल में तकनीकी शिक्षा विभाग में विभागाध्यक्ष के पदों पर हुई नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उनका आरोप था कि मौजूदा सर्विस नियमों की जगह पुराने नियमों के आधार पर भर्ती कर ‘घोटाला’ किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि आशीष के मंत्री रहते हुए कम से कम 250 लेक्चरर्स को अवैध प्रमोशन दिया गया और अलग-अलग कॉलेजों में प्रिंसिपल बनाया गया।

क्या है पूरा मामला

आशीष पटेल यूपी सरकार में प्राविधिक शिक्षा विभाग के मंत्री हैं। प्राविधिक शिक्षा विभाग के अधीन तीन यूनिवर्सिटी और 14 राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज आते हैं। पिछले साल जुलाई में बीजेपी विधायक देवेंद्र सिंह लोधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राजकीय कॉलेजों में विभागाध्यक्षों की गलत प्रोन्नति प्रक्रिया की शिकायत की थी। इस शिकायत के चार महीने बाद दो और विधायक पल्टू राम और मीनाक्षी सिंह ने सीएम योगी से कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए विभागाध्यक्ष की सीधी भर्ती के पदों पर अयोग्य शिक्षकों की पदोन्नति की शिकायत की।

सीएम योगी से की गई अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक पल्टू राम और और मीनाश्री सिंह ने विभागाध्योंक्ष की नियुक्ति के नाम पर करप्शन के जरिए हर साल 50 करोड़ रुपए की कमाई का आरोप लगाया। बीजेपी विधायकों के बाद सपा विधायक पल्लवी पटेल ने मंत्री आशीष पटेल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पल्लवी ने भी सीएम योगी से शिकायत की कि ‘इंजीनियरिंग कॉलेज और यूनिवर्सिटी में विभागाध्यक्ष के पद प्रोन्नति के माध्यम से भर दिए गए हैं जो यूपी लोक सेवा आयोग द्वारा सीधी भर्ती के माध्यम से भरे जाने थे और इसकी एसआईटी जांच होनी चाहिए।’ इस मामले को शीतकालीन सत्र के दौरान सपा विधायक पल्लवी पटेल ने विधानसभा में भी उठाने की कोशिश की लेकिन स्पीकर सतीश महाना ने नियमों का हवाला देते हुए इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद पल्लवी पटेल धरने पर भी बैठी थीं। बावजूद इसके उन्हें यह मामला विधानसभा में उठाने की इजाजत नहीं मिली। एक जनवरी को पल्लवी पटेल ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की और पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर डाली।

आशीष पटेल का पलटवार
आशीष पटेल ने 31 दिसम्बर को सोशल मीडिया पर लिखा था कि उत्तर प्रदेश के सबसे ईमानदार आईएएस अधिकारी और तकनीकी शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव एम देवराज की अध्यक्षता में हुई विभागीय पदोन्नति समिति की सिफारिश और शीर्ष स्तर पर सहमति के आधार पर प्रमोशन हुआ। इसके बावजूद राजनीतिक चरित्र हनन के लिए लगातार मीडिया ट्रायल अस्वीकार्य है। ‘मैंने पहले भी कहा है और एक बार फिर कह रहा हूं कि मुख्यमंत्री जी यदि उचित समझें तो बार-बार के मीडिया ट्रायल, झूठ और फरेब के जरिए किए जा रहे मेरे राजनीतिक चरित्र हनन के इस दुष्प्रयास पर स्थायी विराम के लिए बतौर मंत्री मेरे द्वारा अब तक लिए गए सभी फैसलों की सीबीआई जांच करा सकते हैं। अगर यह विभागीय प्रमोशन गलत है तो सूचना विभाग की तरफ से स्पष्टीकरण देना चाहिए। राज्य सरकार का कैबिनेट मंत्री कुछ कह रहा है तो उसका कोई आधार तो होगा ही।’ सूचना विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधीन है। हालांकि इस पर सूचना विभाग या मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।

आशीष पटेल अब योगी सरकार को खुली चुनौती देने लगे हैं। प्रेस वार्ता के दौरान आशीष ने कहा कि ‘ये एनडीए का अलायंस है। ये अलायंस रहेगा। मेरे विभाग में डीपीसी हुई। सबसे ईमानदार अधिकारी की अध्यक्षता में बैठक के बाद फैसला हुआ। डीपीसी की फाइल सीएम कार्यालय भी गई। सूचना विभाग बताए कि डिपीसी सही थी या गलत। किसी अधिकारी ने कॉल करके धरना मास्टर से सम्पर्क किया था। मुझ पर खतरा है। सुरक्षा की मांग किससे करेंगे? मेरी पीड़ा है, अगर मैंने गलती की है तो स्पष्टीकरण सूचना को देना होता है। इस्तीफा डरपोक देते हैं। हिम्मत है तो बर्खास्त कर दें।’ उन्होंने पल्लवी पटेल के धरना देने के रवैये को राजनीतिक खेल करार दिया और कहा कि यह सब केवल सत्ता की होड़ में किया जा रहा है।

एसटीएफ पर साधा निशाना
आशीष पटेल ने उत्तर प्रदेश एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) को भी अपने निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा ‘तुम मेरे पैर पर गोली मारते हो, लेकिन अगर हिम्मत है, तो मेरे सीने पर गोली मारो। आपके पास तंत्र है, लेकिन मेरे पास जनतंत्र है। जब जनतंत्र मेरे साथ है तो मुझे तंत्र से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। मुझे किसी से या किसी परिणाम से डर नहीं है लेकिन एसटीएफ से खतरा है। आशीष ने कहा कि पल्लवी किसी के इशारे पर काम कर रही थीं। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस मामले पर विधानसभा सत्र के दौरान पल्लवी के धरने में सदन परिसर बाहरी लोगों के लिए वर्जित होने के बावजूद दो लोगों को उसके साथ जाने की अनुमति दी गई थी। कुछ लोगों को ओबीसी और वंचित वर्गों को मिलने वाले लाभ पसंद नहीं है। मैं अपने शुभचिंतकों को बताना चाहता हूं कि सामाजिक न्याय की इस लड़ाई में अगर मेरे साथ कोई साजिश, घटना होती है तो इसके लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स जिम्मेदार होगी।

हिम्मत है तो बर्खास्त करें
आशीष पटेल ने कहा कि इस तरह से षड़यंत्रों से मैं डरने वाला नहीं हूं। मुझे बदनाम करने में पूरी ताकत लगाई जा रही है। मेरा सकारात्मक हिस्सा छुपाया जाता है, नकारात्मक दिखाया जाता है। अब लड़ना है या डरना है, मैं सरदार पटेल का बेटा हूं, लडूंगा अब डरूंगा नहीं। मैने गलत किया है तो सीबीआई से जांच करा ली जाए। अब मैं भी चुप नहीं बैठूंगा, ईंट का जवाब पत्थर से दूंगा, थप्पड़ खाकर चुप नहीं बैठूंगा। मेरे पास जनतंत्र है, इसलिए किसी भी तंत्र से डरने वाला नहीं हूं। अगर हिम्मत है, तो मुझे मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया जाए।

दिल्ली को सारा सच पता है
लखनऊ में अपना दल (एस) की बैठक में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बिना नाम लिए योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अपना दल को किसी भी षड्यंत्र से डराया नहीं जा सकता है। हम षड्यंत्रों का जवाब देंगे लेकिन संगठन की ताकत से। दिल्ली को सारा सच पता है कि ये कौन कर रहा है। ‘मंत्री जी’ (आशीष पटेल) ने जो कहा वो बिल्कुल सच कहा है। ‘मुझे लगता है मैंने अपनी बात स्पष्ट कर दी है। बात प्रतिष्ठा पर आएगी तो हम समझौता नहीं करेंगे। पिछले दिनों जो बात सामने आई वो हम जानते हैं कि किसके इशारे पर ये सब किया गया है। हम पिछड़ों, दलितों की लड़ाई लड़ते रहेंगे।’ इसके बाद से कहा जा रहा है कि अनुप्रिया पटेल इशारों में योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल उठा रही हैं, क्योंकि आशीष पटेल ने भी सीधे-सीधे एसटीएफ को घेरा था।

मोदी पर भरोसा
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पटेल दम्पति ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर अपनी आस्था खुलकर सामने रखी। आशीष पटेल ने कहा कि ‘हमारे नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हैं। अपना दल एस 2014 से एनडीए का अटूट हिस्सा रही है। ‘प्रधानमंत्री गृह मंत्री के नेतृत्व में जब तक वह दलित पिछड़ों-वंचितों के हितों की बात हमारे नेता के कहने पर मानते रहें और तब तक हम उनके साथ मजबूती से खड़े रहेंगे।’ अगर पीएम मोदी कहेंगे तो मैं मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दूंगा। मैं प्रधानमंत्री के बारे में एक बात कहना चाहूंगा। वह सिर्फ भाषण नहीं देते हैं। वह केंद्रीय विद्यालय में, नवोदय विद्यालय में, सैनिक स्कूल में, नीट की परीक्षा में, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और क्रीमी लेयर की लिमिट बढ़ाने, जब भी हमारे नेता ने विषय रखा है तब प्रधानमंत्री ने उस पर तुरंत निर्णय लेते हुए काम किया है। हम प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को उनकी स्थिति के लिए और सकारात्मक निर्णय के लिए पूरे अपना दल परिवार की ओर से हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। पिछले कुछ दिनों से मैं अखबारों में ज्यादा छप रहा हूं, मेरा सकारात्मक वाला पक्ष रोक नकारात्मक वाला पक्ष छाप दिया जाता है। लोगों से पूछा लड़ना है या डरना है, लोगों ने कहा लड़ना है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भाजपा और उसके अन्य सहयोगी दलों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।’

विभागीय लेटर के जरिए दी सफाई
आरोपों के बीच मंत्री आशीष पटेल ने एक विभागीय लेटर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर शेयर किया। इस लेटर में बताया गया कि 30 मई 2024 को हुई डीपीसी बैठक के दौरान 177 कार्मिक विभागाध्यक्ष के पद पर प्रोन्नत किए गए थे। इसमें उनकी जाति का भी जिक्र था जिसमें सामान्य जाति के 39, पिछड़ा वर्ग के 78, अनुसूचित जाति के 58 और अनुसूचित जनजाति के 2 कार्मिकों को प्रमोशन दिया गया था। इस लेटर के जरिए आशीष पटेल ने अपना बचाव किया था। इस लेटर के बाद आशीष पटेल ने एक और लेटर शेयर किया जिसमें तीनों यूनिवर्सिटी और 14 इंजीनियरिंग कॉलेज के कुलपति या प्रिसिंपल के आंकड़े थे।

मोदी को मान लें नेता, पार्टी में शामिल हो जाएं
पल्लवी का नाम लिए बगैर आशीष ने कहा कि ‘मेरी छवि धूमिल करके, झूठे आरोप लगाकर सत्ता के करीब पहुंचने की फितरत सब समझते हैं। सुझाव भी दिया कि अगर वह पीएम मोदी को अपना नेता मान पार्टी में शामिल हो जाएं तो स्वागत है। उन्होंने कहा, ‘जहां खाया, वहीं छेद कर दिया।’ हमारी नेता की सम्पत्ति ले गईं, वो चुप हैं, छोटी बहन ने मुकदमा किया। आज तक केंद्रीय मंत्री की शिकायत पर कोई जांच नहीं हुई। उनका धरना प्रायोजित है, ‘जितनी चाभी भरी राम ने उतना चला खिलौना।’

गौरतलब है कि इस घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई हलचल को जन्म दे दिया है। पल्लवी पटेल और आशीष पटेल के बीच यह विवाद राजनीतिक दलों और उनके समर्थकों के बीच गहरी खाई पैदा कर सकता है। अब देखना यह होगा कि इस विवाद का क्या परिणाम निकलता है और क्या ये आरोप-प्रत्यारोप आगे बढ़ते हैं या इस पर कोई ठोस कार्रवाई की जाती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला न केवल व्यक्तिगत आरोपों तक सीमित रहेगा, बल्कि इससे राज्य की राजनीति में व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने बड़ा खुलासा किया है। उनके दावे के मुताबिक मामला करप्शन और आरक्षण का नहीं, बल्कि राजनीतिक विरासत का है। इसको लेकर लड़ाई हो रही है। आशीष पटेल आगे निकले और मंत्री बन गए। उन्होंने डॉक्टर सोनेलाल पटेल की विरासत को आगे बढ़ाया है। अब उस विरासत को लेकर लड़ाई हो रही है।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो आशीष और पल्लवी पटेल के बागी तेवरों का तार सीधे-सीधे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मध्य लम्बे अर्से से चले आ रहे शीतयुद्ध से जुड़ा है। गौरतलब है कि मोदी का राजनीतिक उत्तराधिकारी बनने की अघोषित होड़ ने अमित शाह और योगी को एक-दूसरे के खिलाफ ला खड़ा किया है। हालांकि खुले तौर पर कोई भी वरिष्ठ भाजपा नेता इस मुद्दे पर बोलने को राजी नहीं लेकिन दबी जुबान से हर कोई स्वीकारता है कि पटेल दम्पति का बागी होना, गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से विधायक नंदकिशोर गुर्जर का योगी सरकार पर गौहत्या करने सरीखा गम्भीर आरोप लगाना, उपमुख्यमंत्री ब्रिजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्या संग योगी की लगातार तनातनी इत्यादि का आने वाले समय में भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बनना तय है।

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