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कौन होगा अखिलेश का सियासी वारिस?

उत्तर प्रदेश में आए लोकसभा के चुनावी नतीजों ने सपा को एक नई सियासी उम्मीद जगा दी है। सूबे की 80 सीटों में से 37 सीटें जीतने में कामयाब रही सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद लखनऊ के बजाय दिल्ली को सियासी मैदान चुन लिया है। उनके इस्तीफे के बाद करहल विधानसभा सीट खाली हो गई है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि करहल विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में अखिलेश यादव का सियासी वारिस में कौन होगा? गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने करहल सीट से 2022 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था और वे विधायक चुने गए थे, लेकिन अब कन्नौज से सांसद बनने के बाद उन्होंने विधानसभा सीट छोड़ दी है। उनके इस्तीफे के बाद करहल उपचुनाव में सपा के उम्मीदवारों की दावेदारी भी तेज हो गई है। जातिगत गणित से हर बार करहल की सियासत सपा के अनुकूल रही है। अब करहल उपचुनाव के लिए सपा उम्मीदवार को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं। मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट यादव बाहुल्य है। ऐसे में सपा हमेशा जातिगत कार्ड ही खेलती रही है तो साफतौर पर तय है कि अखिलेश यादव अपनी जगह किसी न किसी यादव समुदाय के नेता को ही करहल सीट से प्रत्याशी बनाने का दांव चलेंगे। करहल उपचुनाव के लिए सपा उम्मीदवारी की रेस में कई नाम शामिल हैं। लेकिन सबसे बड़ा दावेदार के रूप में पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को माना जा रहा है। तेज प्रताप उनके चचेरे भतीजे हैं और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं। लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से तेज प्रताप की जगह अखिलेश खुद मैदान में उतर गए थे। ऐसे में तेज प्रताप यादव को करहल से प्रत्याशी बनाने का दांव सपा चल सकती है।

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