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किसके सिर सजेगा कांग्रेस के अध्यक्ष का ताज

दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक लगातार चल रही है और कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा इसपर पार्टी के  उम्मीदवारों को लेकर महामंथन शुरू है। पार्टी के इस अहम बैठक में लगभग 200 नेताओं ने भाग लिया है।
कांग्रेस पार्टी, आम सहमति की पार्टी थी। पहले नेहरू से लेकर इंदिरा तक यह दौर चला। लेकिन अब स्तिथि यह है कि पार्टी के सदस्यों को ही नहीं मालूम कि पार्टी का राष्ट्रीय मुद्दों पर स्टैंड क्या है।
इस महामंथन में जो कांग्रेस अध्यक्ष के दो प्रमुख उम्मीदवार हैं, वह हैं अशोक गहलोत और दूसरे हैं सचिन पायलट । इस मीटिंग के दौरान आ रही प्रतिक्रियाओं में कांग्रेस वर्किंग कमिटी दो गुटों में बटी नजर आ रही है। कांग्रेस का एक वर्ग अशोक गहलोत को अध्यक्ष बनाने के लिए दलीलें दे रहा है तो दूसरा कह रहा है कि कांग्रेस को युवा नेतृत्व की आवश्यकता है और सचिन पायलट को कांग्रेस अध्यक्ष बनाना चाहिए।
इसके पहले भी अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष को लेकर सोनिया गांधी से कई बार मुलाकात कर चुके हैं और उनकी राजनीतिक इच्छा किसी से छुपी नहीं है। इन सब ऊहापोह के बीच पार्टी में एक मजबूत और शक्तिशाली आवाज़ उभर कर सामने आई है, वो है कैप्टन अमरिंदर की जिन्होंने ट्वीट के माध्यम से अपना पूर्ण समर्थन सचिन पायलट को दिया है।
क्या कैप्टन अमरिंदर का इशारा नॉन कांग्रेसी अध्यक्ष बनाने की ओर है या वो यह समझ चुके हैं कि कांग्रेस की नैया युवा सचिन पायलट ही पार कर सकते हैं।
उन्होंने स्पष्ठ कहा कि किसान नेता राजेश पायलट के पुत्र सचिन पायलट ही इस पद के लिये बेस्ट चॉइस होंगे।
हालांकि सूत्रों के अनुसार कांग्रेस वर्किंग कमिटी, आज की बैठक के निर्णयों को 10 अगस्त की बैठक में बताये जाने की बात कर रही है।
अब यह देखना होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष, कोई नॉन गांधी होगा या फिर इस रेस में कहीं प्रियंका गांधी न अव्वल आ जाएं।
सचिन पायलट का कांग्रेस अध्यक्ष बनना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि इस कतार में राहुल गांधी के करीबी माने जा रहे डॉ सीपी जोशी भी खड़े हैं। हालांकि अभी भी तक यह रिपोर्ट आ रही है कि पार्टी अशोक गहलोत पर अपना मुहर लगा सकती है ।
यह कहना अभी भी मुश्किल है कि कांग्रेस अध्यक्ष अशोक गहलोत ही होंगे क्योंकि कैप्टन अमरिंदर ने अपना अनुभवी दांव चल दिया है कि युवा नेतृत्व को अगला अध्यक्ष होना चाहिए।
कांग्रेस में अनुच्छेद 370 का फ़ैसला आने के बाद से ही कई बगावती सुर सामने आने शुरू हो गए थे और कांग्रेस वर्किंग कमिटी इस पर विचार भी कर रही है कि कमिटी भंग किया जाए और सर्वसम्मिति से इसका पुनर्गठन किया जाए। तमाम नेता जो भी कहें पर कांग्रेस में वही होता है जो सीडब्ल्यूसी का फैसला होता है और अभी तक सीडब्ल्यूसी ने राहुल गांधी का इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया है।
अब इंतज़ार करना होगा कि आने वाले कुछ समय में मंथन का सार क्या होगा और कौन होगा कांग्रेस का अगला कैप्टन?

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