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क्या गुल खिलाएगी किम-पुतिन की दोस्ती

अटकलें लगाई जा रही हैं कि जल्द ही उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मुलाकात कर सकते हैं और हथियारों को लेकर डील भी। ऐसे में पूरी दुनिया के जेहन में यह सवाल घूम रहा है कि पुतिन को उत्तर कोरिया से हथियार मांगने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी? दोनों देशों के बीच ऐसी कौन सी पुरानी दोस्ती है, जिसकी वजह से पुतिन उत्तर कोरिया पर पूरा यकीन करते हैं और आज हथियार मांग रहे हैं? पुतिन का उत्तर कोरिया से हथियार मांगना इस बात की पुष्टि कर रहा है कि रूस, उत्तर कोरिया और चीन का गठजोड़ तेजी से एक्टिव हो रहा है। पुतिन और किम की मुलाकात ऐसे वक्त में सामने आई हैं, जब बीते हफ्ते ही अमेरिका ने रूस को उत्तर कोरिया से गुप्त बातचीत को लेकर चेतावनी दी थी। अमेरिका ने कहा था कि अगर उत्तर कोरिया और रूस के बीच कोई सैन्य गठजोड़ होता है तो बड़ा आश्चर्य नहीं होना चाहिए

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग परमाणु मिसाइलों के परीक्षण को लेकर हमेशा से ही सुर्खियों में बने रहते हैं। दुनिया के लिए खतरनाक साबित होने वाली कई बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किम जोंग करते रहते हैं जिसके चलते संयुक्त राष्ट्र द्वारा उत्तर कोरिया पर कड़े प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। गौरतलब है कि साल 2006 में संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे, जब उसने पहली बार परमाणु परीक्षण किया था। प्रतिबंधों में देश के अधिकांश निर्यात पर प्रतिबंध लगाना और आयात को बहुत हद तक सीमित करना शामिल था। प्रतिबंधों का मकसद उत्तर कोरिया को परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइलों से उत्पादन के लिए रोकना था। प्रतिबंधों में हथियारों के निर्यात और आयात पर प्रतिबंध भी शामिल है। बावजूद इसके उत्तर कोरिया रूस को हथियार सप्लाई करने वाला है।

अटकलें लगाई जा रही हैं कि जल्द ही उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मुलाकात कर सकते हैं और हथियारों को लेकर डील भी। ऐसे में पूरी दुनिया के जेहन में यह सवाल घूम रहा है कि पुतिन को उत्तर कोरिया से हथियार मांगने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी? दोनों देशों के बीच ऐसी कौन सी पुरानी दोस्ती है, जिसकी वजह से पुतिन उत्तर कोरिया पर पूरा यकीन करते हैं और आज हथियार मांग रहे हैं? पुतिन का उत्तर कोरिया से हथियार मांगना इस बात की पुष्टि कर रहा है कि रूस, उत्तर कोरिया और चीन का गठजोड़ तेजी से एक्टिव हो रहा है। रूस-उत्तर कोरिया की मुलाकात पर रिपोर्ट ऐसे वक्त में सामने आई हैं, जब बीते हफ्ते ही अमेरिका ने रूस को उत्तर कोरिया से गुप्त बातचीत को लेकर चेतावनी दी थी। अमेरिका ने कहा था कि अगर उत्तर कोरिया और रूस के बीच कोई सैन्य गठजोड़ होता है तो बड़ा आश्चर्य नहीं होना चाहिए। उत्तर कोरिया से रूस को हथियारों की सप्लाई होती है तो ऐसे में अमेरिका और पश्चिमी देशों का सिरदर्द बढ़ सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध और भयंकर स्थिति में पहुंच जाएगा। जिसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ेगा।

उत्तर कोरिया के हथियारों का यूक्रेन ने किया इस्तेमाल

पहले भी अमेरिका आरोप लगा चुका है कि उत्तर कोरिया रूस को हथियार सप्लाई कर रहा है। जो रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किए जाने थे। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर कोरिया के हथियारों को यूक्रेन भेजे जाने से पहले जब्त कर लिया गया था। ये हथियार रूसी खेमे से जब्त किए गए थे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या किम जोंग उन रूस की सहायता कर रहे हैं। अमेरिका का कहना है कि उत्तर कोरिया द्वारा रूस को लगातार हथियार उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिसमें समुद्र के माध्यम से भेजे गए शिपमेंट भी शामिल है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन ने रूसी सेना पर हमला करने के लिए नॉर्थ कोरियाई रॉकेट का इस्तेमाल किया है। अमेरिका का दावा है कि ये वही हथियार हैं जिसे रूसी खेमे से जब्त किया गया था। रूस और यूक्रेन युद्ध पर अब तक किम जोंग उन की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है लेकिन इतिहास में नॉर्थ कोरिया की नजदीकी चीन और रूस के साथ रही है। यह ऐसा तथ्य है जिसे अमेरिका आसानी से अनदेखा नहीं कर सकता है।

रूस जाने को तैयार किम जोंग
यह मीटिंग रूस के बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक में होने की संभावना जताई जा रही है। यह जगह उत्तर कोरिया के करीब है और इसलिए इसे मीटिंग के लिए चुना गया है। किम, जो राजधानी प्योंगयांग से शायद ही कभी बाहर निकलते हैं, अब रूस के प्रशांत तट पर बख्तरबंद ट्रेन से यात्रा करने को तैयार हैं। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अमेरिकी सैन्य खुफिया सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। व्लादिवोस्तोक में 10 से 13 सितंबर तक ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम का आयोजन होना है। इस कार्यक्रम में ये दोनों नेता भाग लेने वाले हैं।

क्या चाहते हैं पुतिन
किम जौंग सम्मेलन से अलग उस पिअर 33 का दौरा करेंगे जहां रूस के प्रशांत बेड़े के नौसैनिक जहाज रुकते हैं। दोनों नेता इससे पहले आखिरी बार साल 2019 में मिले थे। कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं का मकसद आपसी सैन्य और आर्थिक सहयोग में इजाफा करना है। रूस और उत्तर कोरिया दोनों ही यूक्रेन पर हमले और बैलिस्टिक मिसाइल के साथ ही साथ परमाणु हथियार कार्यक्रमों के कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अलग-थलग हैं। पुतिन उत्तर कोरिया से तोप के गोले और टैंक रोधी मिसाइलों को हासिल करने के इच्छुक हैं। जबकि किम उम्मीद कर रहे हैं कि क्रेमलिन उपग्रहों और परमाणु से चलने वाली पनडुब्बियों के लिए टेक्नोलॉजी मुहैया कराएगा।

रूस करेगा खाद्यान्न की आपूर्ति
उत्तर कोरिया ने मई और अगस्त के अंत में प्रत्येक में एक सैन्य टोही उपग्रह लेकर दो अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहन को असफल रूप से दागा था। दक्षिण कोरिया के योनहाप समाचार एजेंसी ने कहा था कि उत्तर कोरिया ने अक्टूबर में एक और मिसाइल लॉन्च की तैयारी की है। उत्तर कोरिया इस समय खाद्यान्न संकट से भी जूझ रहा है। कई रिपोर्ट्स में यह बात कही गई है कि उत्तर कोरिया के बच्चों में कुपोषण की उच्च दर है। माना जा रहा है कि रूस इस मोर्चे पर देश की मदद कर सकता है। साथ ही यात्रा के बीच में अटकलें हैं कि रूस ने उत्तर कोरिया को चीन के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने का प्रस्ताव दिया है।

उत्तर कोरिया से रूस खरीदेगा मिसाइलें!
अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता एड्रियन वाटसन ने कहा कि ‘अमेरिका पहले ही ये सार्वजनिक रूप से चेतावनी दे चुका है कि डीपीआरके और रूस के बीच हथियार डील को लेकर बातचीत चल रही है। दरअसल, रूस लंबी दूरी की मिसाइलें उत्तर कोरिया से खरीद सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर कोरिया भी इस डील को लेकर उत्सुक है। यही वजह है कि उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन, जो आमतौर पर देश से बाहर नहीं जाते हैं, वह इस महीने रूस का दौरा कर सकते हैं।

वैगनर ग्रुप के लिए पहले भी खरीदे गए थे हथियार
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उत्तर कोरिया ने बीते साल भी रूस को रॉकेट और मिसाइल की सप्लाई की है। जिनका इस्तेमाल वैगनर ग्रुप द्वारा किया गया था। रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई सोइगु ने भी बीते महीने उत्तर कोरिया का दौरा किया था। बीते हफ्ते संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और जापान ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि कोई भी डील जो रूस और उत्तर कोरिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाती है उसे सुरक्षा परिषद प्रस्ताव का उल्लंघन माना जाएगा। हैरत की बात यह है कि रूस ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।

सक्रिय हो रहा रूस, उत्तर कोरिया और चीन का गुट
अमेरिका और पश्चिमी देशों की काट में रूस, चीन और उत्तर कोरिया का गुट अब सक्रिय हो रहा है। हाल ही में खबरें आईं कि चीन के सहयोग के लिए रूसी जंगी जहाज हिंद प्रशांत क्षेत्र में नजर आए। चीन के जहाजों के साथ रूसी जहाजों ने भी कई हजार किलोमीटर की गश्त की और इस इलाके में अपना अघोषित दबदबा दिखाया। रूसी सहयोग से इतर, चीन भी अब यूक्रेन से जंग के बीच रूस का औपचारिक समर्थन करने लगा है। पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस यात्रा, फिर चीन के रक्षा मंत्री की रूस यात्रा से यह स्पष्ट हो गया है कि चीन अब पूरी तरह रूस के सपोर्ट में आ गया है। इस तरह उत्तर कोरिया, चीन और रूस का एक गठजोड़ तेजी से विश्व में उभर रहा है।

रूस और उत्तर कोरिया की दोस्ती का इतिहास
उत्तर कोरिया और रूस की दोस्ती आज की नहीं है। शीत युद्ध के समय से ही दोनों देशों के बीच संबंध मधुर ही रहे हैं, बल्कि जब शीत युद्ध चला, तब उत्तर कोरिया को बनाने वाला ही रूस (तब सोवियत संघ) था। सोवियत संघ उत्तर कोरिया का समर्थक था, जो कि समाजवादी देश था। वहीं दक्षिण कोरिया का समर्थक अमेरिका था, जो कि पूंजीवादी देश था। उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की लड़ाई के बहाने अमेरिका और सोवियत संघ आमने सामने थे। यह वो समय था जब ताकतवर सोवियत संघ पूरी तरह उत्तर कोरिया के साथ खड़ा था। आज वक्त बदल गया है। लेकिन दोनों के बीच दोस्ती कायम है। 1990 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस बना। रूस और उत्तर कोरिया के संबंधों के इतिहास को देखते हुए आज रूसी राष्ट्रपति पुतिन जंग के बीच उत्तर कोरिया से हथियारों सहायता मांग रहे हैं, तो इसमें आश्चर्यजनक कुछ भी नहीं है।

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