“यह मौसम ही है ऐसा, आतुर है परिंदे, घोंसला बदलने के लिए।”
यह ट्वीट किया है राजस्थान के राज्यमंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने। सुभाष गर्ग को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गुट का माना जाता है। गर्ग ने यह ट्वीट सचिन पायलट पर कटाक्ष के तौर पर किया है।
हालांकि इस ट्वीट के बाद पलटवार पायलट खेमे की तरफ से हुआ । पायलट खेमे के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने ट्वीट करते हुए कहा कि “कुछ परिंदे खुद का घोंसला कभी बनाते ही नहीं है। वह दूसरों के बनाए घोसले पर ही कब्जा करते हैं। खुद का मतलब पूरा हो जाने पर फिर उड़ जाते हैं। अगले सीजन में फिर किसी का घोंसला कब्जा लेते हैं।”
कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के भाजपा में चले जाने के बाद अब पायलट को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। कहां जा रहा है कि अगर कांग्रेस ने पायलट की नहीं सुनी तो वह भी सिंधिया और जितिन प्रसाद की तरह कांग्रेस में जा सकते हैं।

फिलहाल राजस्थान की राजनीति में चर्चाओं का दौर है । यह चर्चाओं का दौर पिछले 10 महीने से हैं। 10 माह पूर्व पायलट गुट के विधायकों का फोन टेप होने की सूचना के बाद पायलट गुट के विधायकों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति आक्रोश पैदा हो गया था। तब पायलट और उनके गुट के 19 विधायकों ने बगावत की तरफ कदम बढ़ा दिया था।
कांग्रेस के केंद्रीय आलाकमान द्वारा तब एक 3 सदस्य कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी में अहमद पटेल के साथ ही एआईसीसी के जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल और राजस्थान के प्रभारी अजय माकन शामिल किए गए थे। कमेटी का पायलट गुट के विधायकों को आश्वासन दिया गया था कि वह उनके साथ न्याय करेंगे और जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियां की जाएंगी। लेकिन ना तो 10 माह बाद पायलट गुट के विधायकों के साथ न्याय हुआ और ना ही राजनीतिक नियुक्तियां की गई।
हालांकि इस दौरान कमेटी के एक सदस्य अहमद पटेल की कोरोना की चपेट में आने के कारण मौत हो गई। इसके बाद कमेटी के दोनों सदस्यों के द्वारा पायलट गुट को आश्वासन दिया जाता रहा कि वह जल्द ही निर्णय लेगी । गत दिनों पायलट गुट के कई विधायकों ने एक सुर में कहा कि जब 10 दिन में पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू की सुनी जा सकती है तो 10 महीने में सचिन पायलट की क्यों नहीं? मतलब सीधा है कि कहीं ना कहीं पायलट का राजस्थान की राजनीति में कद कम करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है । जबकि सचिन पायलट भी बार-बार कहते रहे हैं कि 10 महीने पहले बनी कमेटी का निर्णय जल्द आना चाहिए।
गहलोत सरकार में इस समय 21 मंत्री हैं। अभी 9 मंत्री और शामिल हो सकते हैं। राजस्थान सरकार पर फिलहाल सचिन पायलट दबाव डाल रहे हैं कि नए बनने वाले 9 मंत्रियों में से 6 मंत्री उनके समर्थक विधायक बनने चाहिए। बहरहाल, पायलट की यह प्रेशर पॉलिटिक्स कांग्रेस के लिए मुश्किल बन सकती है। क्योंकि कांग्रेस को निर्दलीय और बसपा के विधायकों को भी मंत्रिमंडल में समायोजित करना है।
कहा जाता है कि जब केंद्र में किसी पार्टी की सरकार नहीं होती है तो केंद्रीय आलाकमान राज्य के मुख्यमंत्रियों के सामने असहाय हो जाता है । कुछ ऐसा ही हाल फिलहाल राजस्थान में हो रहा है । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्रीय आलाकमान की पायलट मामले पर बात मानने को बिल्कुल भी सहमत नहीं है।

पिछले दिनों 10 जून को 8 विधायकों ने सचिन पायलट के साथ एक बैठक की । इस बैठक के बाद केंद्रीय कांग्रेस के आलाकमान चिंतित होते हो उठे। उनकी चिंता सचिन पायलट को लेकर है । कहीं सचिन पायलट भाजपा के हेलीकॉप्टर में सवार ना हो जाए? इस चिंता के चलते हैं सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश की महासचिव प्रियंका गांधी को सचिन पायलट को मनाने के लिए लगा दिया है।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि प्रियंका गांधी ने एक साल पहले भी सचिन पायलट को उस समय मनाया था जब वह उनके बारे में यह चर्चा जोरों पर थी कि वह भाजपा में जा सकते हैं। प्रियंका के समझाने के बाद पायलट ने घोषणा की कि वह कांग्रेस में ही रहेंगे ।
एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान प्रियंका के जरिए पायलट को मनाने में कामयाब होगा या नहीं यह देखना बाकी होगा । सचिन पायलट पिछले 3 दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं । कल तक उनकी प्रियंका गांधी से मुलाकात नहीं हो पाई थी। क्योंकि प्रियंका शिमला गई हुई है। कल उन्हें आना था । लेकिन वह मौसम खराब होने की वजह से दिल्ली नहीं आ सकी। आज संभवतः प्रियंका और पायलट की मुलाकात होगी। इस मुलाकात के बाद राजस्थान की राजनीति में पायलट को तथा पायलट गुट के विधायकों को महत्व दिए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। बहरहाल, कांग्रेस आलाकमान द्वारा यह आश्वासन दिया जा रहा है कि राजस्थान में राजनीतिक नियुक्ति जल्द ही की जाएंगी। राजनीतिक नियुक्ति का मतलब प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार होना है।

