वैभव लक्ष्मी लोक समवृद्धि संस्था नैनीताल के तत्वाधान में आयोजित सात दिवसीय विज्ञान मीडिया एवं लोक मीडिया कार्यक्रम में स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने प्रतिभाग किया। इस दौरान स्थानीय लोगों ने रैली निकाली जिसमें स्लोगनों के जरिए विषय आधारित जागरूकता पैदा की गई और उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया गया। अभियान दल में शामिल संदर्भ व्यक्तियों द्वारा महिला प्रतिभागियों को व्यावसायिक सुरक्षा, सतत् आजीविका, विज्ञान प्रौद्योगिकी, लोक मीडिया, डिजीटल मीडिया आदि विषयों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई। संदर्भ व्यक्तियों द्वारा बताया गया कि महिलाओं का विज्ञान मीडिया से जुड़ना जरूरी है
कैसे हम विज्ञान व लोक मीडिया के जरिए अपने व्यवसाय व आजीविका संबधी जानकारियों को बेहतर कर सकते हैं? इसके माध्यम से कैसे अपने अनुभवों को साझा करने के साथ ही आपसी संवाद कायम कर सकते हैं? कैसे अपनी आजीविका व व्यवसाय की निगरानी कर सकते हैं? कैसे हम विज्ञान मीडिया के जरिए जान सकते हैं कि आजीविका व व्यवसाय को लेकर हमारे आस-पास क्या हो रहा है? कैसे विज्ञान व लोक मीडिया द्वारा हम आजीविका संबंधी मुद्दों, कहानियों के जरिए अपना पक्ष रख सकते हैं? यह आजीविका व व्यवसाय संबधी तमाम स्थितियों से कुशलतापूर्वक निपटने में किस तरह हमारी मदद कर सकता है? किस तरह महिलाएं विज्ञान मीडिया व लोक मीडिया के जरिए बेहतर संचार कौशल व नेतृत्व क्षमता का विकास कर सकती हैं? ये तमाम जानकारियां विगत दिनों सात दिवसीय विज्ञान मीडिया व लोक मीडिया आधारित एक अभियान के दौरान प्रदान की गईं। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित ये अभियान गढ़वाल मंडल के नारायण नगर विकासखंड के ग्राम पंचायत सिमली, अंगतोली, सणकोट, दिवार, झिझौणी, बुडेेरा, भगोती, रैई, नामतोल में चलाया गया। इस अभियान का समापन ग्राम पंचायत खैनौली, मैदुनी, धारबास्म, गैरबारम में किया गया।
वैभव लक्ष्मी लोक समवृद्धि संस्था नैनीताल के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में स्थानीय ग्रामीणों ने जाना कि विकास, रोजगार, व्यवसाय जैसे कार्यक्रमों को समर्थन व बढ़ावा देने में लोक मीडिया का बहुमूल्य योगदान रहा है। इन अभियानों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने प्रतिभाग किया। अभियान के दौरान स्थानीय लोगों ने रैली निकाली जिसमें स्लोगनों के जरिए विषय आधारित जागरूकता पैदा की गई। बैठकों के जरिए स्थानीय लोगों से संवाद किया गया। उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया गया तथा अभियान दल में शामिल संदर्भ व्यक्तियों द्वारा महिला प्रतिभागियों को व्यावसायिक सुरक्षा, सतत आजीविका, विज्ञान प्रौद्योगिकी, लोक मीडिया, डिजीटल मीडिया, परंपरागत मीडिया, विज्ञान मीडिया, वैकल्पिक मीडिया के साथ ही महिला व्यवसाय, वित्तीय सशक्तीकरण, आजीविका प्रबंधन, स्वयं सहायता समूहों की भूमिका विषयों पर चर्चा-परिचर्चा की गई व इन विषयों के बारे में उन्हें विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई।
संदर्भ व्यक्तियों द्वारा बताया गया कि महिलाओं का विज्ञान मीडिया से जुड़ना बेहद जरूरी है, क्योंकि आज दुनिया को विज्ञान व विज्ञान को महिलाओं की जरूरत है। प्रौद्योगिकी के माध्यम से महिलाओं का संचार करना आवश्यक है। महिलाओं का विज्ञान संचार से जुड़ना जरूरी है। महिलाओं का डिजीटल माध्यमों को जीवन में अपनाना भी आवश्यक है। इस दौरान प्रतिभागियों ने जाना कि प्रौद्योगिकी के माध्यम से कैसे संचार किया जाता है। जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्यों जरूरी है। वैज्ञानिक सोच कैसे मानव जीवन में परिवर्तन लाती है। विज्ञान मीडिया के जरिए ही महिलाएं जागरूक हो सकती हैं। क्योंकि यह तर्क-वितर्क करने की संस्कृति को पैदा करता है। भ्रामक सूचनाओं व असंख्य जानकारियों से इससे मुक्ति मिलती है। विज्ञान मीडिया अवैज्ञानिक बातों को मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही महिला प्रतिभागियों ने स्थानीय भाषा, लोक कला, परंपराओं, लोक संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, हस्तशिल्प, स्थानीय नक्काशी, पारंपरिक खान-पान, तीज-त्यौहारों पर चर्चा की। महिलाएं स्वयं सहायता समूह द्वारा उत्पादित अपने उत्पादों व सेवाओं की प्रक्रिया को कैसे इसके माध्यम से सरल बना सकती हैं। इसके माध्यम से वह अपने लिए एक आसान बाजार ढूंढ़ सकती हैं। इसके माध्यम से महिलाएं अपने आस-पास रोजगार व आजीविका के साधन ढूंढ सकती हैं। अपने ज्ञान का निर्माण कर सकती हैं। अपना संचार व तकनीकी कौशल विकसित कर अपने उत्पादों की बिक्री के लिए ऑन लाइन संवाद कर सकते हैं। ईमेल, संदेश, वीडियो, बेवसाइट, फोटो, स्लाइड शो के जरिए आजीविका संबंधी कहानियां आगे बढ़ाई जा सकती हैं।
इन समूहों ने किया प्रतिभाग
जय भूमियाल, जय मां भगवती, श्रीकृष्ण समूह नन्दादेवी, खॉखरदेव जायका, भैरवनाथ समूह, खॉकरेश्वर महादेव, घण्टेश्वर महादेव, मां भगवती जायका, जय दुर्गा मां भगवती, सुधा, संतोषी, जय दिवाली देवता स्वयं सहायता समूह, नागनीमाता स्वयं सहायता समूह (गोरज्या), जय मां भगवती, राज राजेश्वरी, पाण्डव देवता, भैरवनाथ समूह आदि।
बात अपनी-अपनी
हमारे इस अभियान का मुख्य उद्देश्य था कि महिलाएं किस तरह से व्यावसायिक व आजीविका योजनाओं से जुड़ सकती हैं। उसमें सहभागिता कर सकती हैं। अपनी हिस्सेदारी निभा सकती हैं। फैसले ले सकती हैं। महिलाएं कैसे अपनी बेहतरी के रास्ते ढूंढ सकती हैं। इन सब में विज्ञान व लोक मीडिया की क्या भूमिका हो सकती है। इसके लिए कैसे महिलाओं को शिक्षित व प्रशिक्षित किया जा सकता है।
श्रीमती हेमा हयांकी, परियोजना समन्वयक
अभियान के तहत महिलाओं के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का लोकप्रियकरण किया गया। महिलाओं के लिए आजीविका इसलिए जरूरी है क्योंकि यह जीविकोपार्जन व व्यवसाय का रास्ता है। आजीविका प्राप्त व्यक्ति की आर्थिक उन्नति तो होती ही है वहीं उसकी सामाजिक हैसियत भी बढ़ती है। यह दूसरों पर आर्थिक तौर पर निर्भरता को कम करता है। इससे जीवन में अवसर बनते हैं।
सौरभ जोशी, मुख्य संदर्भकर्ता

