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योगी सरकार में समाधान दिवस का सच

राजधानी लखनऊ की तहसील मोहनलालगंज। विधानसभा से दूरी महज 22 किलोमीटर। अधिकारियों का आवागमन और गतिविधियां लगभग रोजाना, फिर भी यह तहसील और क्षेत्र में पड़ने वाले गांव बाहुबलियों की गतिविधियों से हलकान हैं और वह भी तब जब मौजूदा योगी सरकार ने ‘एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स’ का गठन कर रखा है। स्थिति यह है कि किसी बाहुबली ने किसी निर्बल की जमीन पर जबरिया कब्जा जमा रखा है तो किसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को धता बताते हुए तालाब को पाटकर निर्माण करवा रखा है। चक मार्गों से लेकर ग्राम समाज की जमीनें और कुंए तक बाहुबलियों के कब्जों में हैं। चूंकि निर्बल और गरीब वर्ग के ग्रामीण 22 किलोमीटर का सफर तय करके राजधानी लखनऊ में बैठे आला अधिकारियों तक अपनी फरियाद नहीं पहुंचा पाते हैं लिहाजा वे मोहनलालगंज की तहसील में आयोजित होने वाले ‘समाधान दिवस’ पर ही न्याय की उम्मीद में रहते हैं। समाधान दिवस में मौजूद अधिकारी इन गरीब ग्रामीणों के लिए किसी भगवान से कम नहीं होते। ये जो फैसला सुना देते हैं वे उसी में खुश हो जाते हैं। या यूं कह लीजिए के उनके समक्ष अधिकारियों के आदेश को मानने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है तो शायद यह गलत नहीं होगा।
अब ‘समाधान दिवस’ की हकीकत पर भी एक नजर डाल लेते हैं। ग्रामीणों की मानें तो ‘समाधान दिवस’ महज टाइम पास और सरकारी खर्च पर मौजमस्ती का साधन मात्र रह गया है। चाय-नाश्ते संग गपशप करते हुए अनमने ढंग से ग्रामीणों की शिकायत पर चन्द अक्षर उकेर कर अपनी जिम्मेदाारियों से पल्ला झाड़ लेना ‘समाधान दिवस’ का शगल बन चुका है। वैसे तो समाधान दिवस पर जिलाधिकारी का मौजूद रहना जरूरी रहता है लेकिन वे अक्सर राजधानी लखनऊ में अन्य विभागों के अधिकारियों और मंत्रियों संग मीटिंग में ही व्यवस्त रहते हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि समाधान दिवस का आयोजन इसलिए किया जाता है ताकि इलाकाई ग्रामीणों की समस्याओं का निदान उनके ही इलाकों में बिना किसी दौड़-भाग के हो सके और उन्हें कोर्ट-कचेहरी का चक्कर भी न लगाना पडे़। मौजूदा स्थिति यह है कि ‘समाधान दिवस’ अवसर पर अधिकारी ग्रामीणांे की दरख्वास्त पर सम्बन्धित अधिकारियों को आदेश तो दे देते हैं लेकिन मातहत अधिकारी मामले को सुलझाने के बजाए इतना उलझा देते हैं कि ग्रामीणों के समक्ष कोर्ट के चक्कर लगाने के अलावा कोई और चारा शेष नहीं बचता। ग्रामीणों की मानें तो मातहत अधिकारी इस मामले को इसलिए भी उलझा देते हैं ताकि अवैध कमाई हो सके। इस मामले में स्थानीय पुलिस का आचरण और भी चैंकाने वाला है। अधिकारियों की टिप्पणी अंकित किए जाने के बावजूद पुलिस उन्हीं ग्रामीणों को परेशान करती है जो शिकायत लेकर समाधान दिवस में हाजिरी लगाने आते हैं। ग्रामीणों का यहां तक कहना है कि यदि सही मायने में देखा जाए तो ‘समाधान दिवस’ स्थानीय पुलिस की कमाई का एक जरिया मात्र बन चुका है।
ग्राम खुजेहटा (तहसील मोहनलालगंज, लखनऊ) निवासी उदय प्रताप सिंह ने विगत 17 जुलाई यानी लगभग एक माह पूर्व ‘समाधान दिवस’ के अवसर पर ग्राम खुजेहटा स्थित खेल-कूद मैदान और उसके पास स्थित पुराने कुंए और तालाब को कथित भूमाफियाओं के कब्जे से मुक्त करवाए जाने की गुहार लगायी थी। प्रार्थना पत्र पर सम्बन्धित अधिकारियों ने जांच के बाद कार्रवाई किए जाने की टिप्पणी तो अंकित कर दी परन्तु समाधान दिवस समाप्त होते ही टिप्पणी अंकित फाइल और उसमें नत्थी प्रार्थना पत्र फाइलों में दबा दिया गया। रही बात कार्रवाई की तो तमाम बार मातहत अधिकारियों के चक्कर लगाए जाने के बावजूद कार्रवाई की दिशा तक तय नहीं हो पायी।
ऐसा ही एक मामला मोहनलालगंज तहसील अन्तर्गत खरेहना गांव से सम्बन्धित है। लगभग एक माह पूर्व 17 जुलाई को एक प्रार्थना पत्र समाधान दिवस के अवसर पर अधिकारियों को दिया गया था। यह पत्र आम रास्ते पर कब्जे से सम्बन्धित था। सम्बन्धित अधिकारी ने उक्त पत्र पर कार्रवाई के बाबत टिप्पणी अंकित कर दी और एसएचओ को निर्देश दिया कि जांच कर प्रभावी कार्यवाही की जाए और यदि आवश्यक हो तो धारा 133 में कार्रवाई करें। इस आदेश को भी लगभग एक माह से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन स्थिति यह है कि समाचार लिखे जाने तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी थी।
खुजेहटा गांव निवासी 75 वर्षीय उदय प्रताप सिंह की जमीन पर कुछ दबंग कब्जा करने की लगातार कोशिशें कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में स्थानीय कोतवाली को सूचना देने पर भी जब किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी तो बुजुर्ग उदय प्रताप सिंह ने समाधान दिवस का सहारा लिया। समाधान दिवस में उनके पत्र पर टिप्पणी तो अंकित कर दी गयी लेकिन कार्रवाई दूर-दूर तक नजर नहीं आती।
उक्त मामले तो महज एक बानगी भर हैं जबकि सच्चाई यह है कि प्रत्येक समाधान दिवस में क्षेत्रीय जनता भारी तादाद में न्याय की उम्मीद लेकर आती है। अधिकारी प्रार्थना पत्र पर सम्बन्धित अधिकारी को कार्रवाई के बाबत टिप्पणी भी लिख देते हैं लेकिन समाधान दिवस समाप्त होते ही सब कुछ बिसार दिया जाता है। कहना गलत नहीं होगा कि अंतिम पायदान पर खडे़ हर व्यक्ति की शिकायत पर कार्रवाई की बात करने वाले मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में भी अधिकारियों के चाल और चरित्र में कोई बदलाव नहीं आया।

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