महाराष्ट्र की राजनीति में एनसीपी (अजित पवार गुट) के भीतर असंतोष तेजी से गहराता जा रहा है। जुलाई 2023 में अजित पवार ने शरद पवार से अलग होकर भाजपा-शिवसेना गठबंधन में शामिल होकर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तब से अब तक उनकी रणनीति अस्पष्ट रही है, न वे पूरी तरह भाजपा के साथ खड़े दिखे, न शरद पवार से अलग। इसी संतुलन और नरमी की राजनीति से उनके समर्थक नेता अब नाराज हैं। वे चाहते हैं कि पार्टी अब आक्रामक रुख अपनाए, भाजपा के साथ स्पष्ट तरीके से आगे बढ़े और सत्ता में अपनी स्थिति को सशक्त करे। खबर गर्म है कि अब यह असंतोष एक निर्णायक मोड़ पर आ पहुंचा है। दूसरी तरफ महाराष्ट्र कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें फिर से तेज हो गई हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदेश अध्यक्ष की निष्क्रियता और चुनावी असफलता को लेकर असंतुष्ट हैं। एक नया चेहरा लाने की मांग हाईकमान तक पहुंच चुकी है। हालांकि सोनिया और राहुल गांधी इस पर अब तक चुप हैं। यदि बदलाव नहीं हुआ तो पार्टी और कमजोर हो सकती है।

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