Country

अस्थाई शांति बनाम श्रेय की राजनीति

मध्य पूर्व में पिछले दिनों इजरायल और ईरान के बीच छिड़ी 12 दिन की लम्बी लड़ाई अब थमती नजर आ रही है, लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक इसे अस्थायी शांति मान रहे हैं। इस युद्धविराम का श्रेय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प खुद को दे रहे हैं। ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक के बाद एक पोस्ट कर दावा किया है कि उन्होंने ही इस युद्ध को रुकवाया है और शांति स्थापित करवाई है। यह पहली बार नहीं है जब ट्रम्प ने खुद को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का नायक घोषित किया हो, इससे पहले भी वे भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने का श्रेय ले चुके हैं, जिसे भारत ने खारिज कर दिया था

तेरह जून 2025 को इजरायल ने ईरान के फोर्डो और नतनज में स्थित परमाणु सुविधाओं पर बमबारी कर युद्ध की शुरुआत की। इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम दिया गया था। इसके जवाब में ईरान ने मिसाइलों और ड्रोन के जरिए इजरायली ठिकानों पर हमला बोला। इस संघर्ष में यमन के हूती विद्रोहियों की भी भूमिका सामने आई, जिन्होंने रेड सी में इजरायली जहाजों को निशाना बनाया। इस दौरान कई नागरिक हताहत हुए, दर्जनों सैनिक मारे गए और खाड़ी क्षेत्र में हवाई और समुद्री यातायात बाधित हो गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें चढ़ गईं और क्षेत्रीय तनाव चरम पर पहुंच गया।

अमेरिकी हस्तक्षेप

22 जून को अमेरिका ने स्थिति में हस्तक्षेप करते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर बंकर बस्टर बम गिराए। इसे ‘मिडनाइट हैमर’ नामक ऑपरेशन के तहत अंजाम दिया गया। ट्रम्प प्रशासन ने इस सैन्य कार्रवाई को ‘आखिरी विकल्प’ बताया और दावा किया कि इससे ईरान की परमाणु क्षमताओं को निर्णायक रूप से कमजोर कर दिया गया है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था आईएईए के प्रमुख चाल्र्स ग्रोसी ने एक बयान में कहा कि हमले से परमाणु कार्यक्रम में कुछ महीने की देरी जरूर हो सकती है, लेकिन उसे पूरी तरह खत्म नहीं किया गया है।

ट्रम्प का दावा और राजनीतिक मंचन

युद्धविराम की घोषणा के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे अपनी व्यक्तिगत सफलता करार देते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में अमेरिका ने एक बड़े युद्ध को रोका है। ट्रम्प ने कहा, ‘‘इजरायल और ईरान नहीं जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं। हमने हस्तक्षेप कर सब ठीक कर दिया।’’

अंतत: बारह दिन बाद अमेरिका की पहल से थम गई लड़ाई

उन्होंने युद्धविराम को ‘अनलिमिटेड सीजफायर’ कहा और इसे ‘फोरएवर’ तक कायम रहने वाला बताया। उनकी इन टिप्पणियों पर अमेरिका और यूरोप के कई विश्लेषकों ने सवाल उठाए हैं कि क्या इस तरह के बयानों से वास्तव में शांति को मजबूती मिलती है या केवल मीडिया तमाशा बनता है। 24 जून को ट्रम्प ने घोषणा की कि इजरायल और ईरान दोनों ने युद्धविराम स्वीकार कर लिया है और अब क्षेत्र में शांति बहाल हो गई है। लेकिन इसी दिन कतर में स्थित अमेरिकी एयरबेस पर ईरानी मिसाइलें दागी गईं, जिन्हें कतर की सेना ने इंटरसेप्ट कर लिया। इस घटना से स्पष्ट हो गया कि जमीनी स्तर पर तनाव अभी भी बरकरार है। हालांकि अगले 24 घंटे में कोई नई सैन्य कार्रवाई नहीं हुई, जिससे अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे ‘फेज्ड सीजफायर’ करार दिया। लेकिन यह शांति कितनी स्थायी है, इसे लेकर संशय बना हुआ है। इजरायल की सरकार ने अमेरिकी मध्यस्थता की सराहना की है, वहीं ईरान ने अमेरिकी हमले के बावजूद अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने का दावा किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ट्रम्प सच में इस युद्ध के नायक हैं या फिर वे केवल अवसर का लाभ उठाकर नोबेल शांति पुरस्कार की ओर कदम बढ़ा रहे हैं?

ट्रम्प की कार्यशैली पर आलोचना

ट्रम्प की आलोचना करने वालों का कहना है कि वे बार-बार वैश्विक घटनाओं में खुद को केंद्रीय भूमिका में स्थापित करने का प्रयास करते हैं। वे लगातार नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में खुद को सबसे आगे दिखाना चाहते हैं। भारत-पाकिस्तान मामले से लेकर उत्तर कोरिया और अब ईरान-इजरायल संघर्ष तक, उन्होंने कई बार शांति स्थापित करने का दावा किया है, लेकिन स्थायित्व का प्रमाण कहीं भी नहीं है। विश्लेषकों का कहना है कि ट्रम्प की कार्यशैली ‘पब्लिसिटी-फस्र्ट, डिप्लोमेसी-लेटर’ जैसी है। वे पहले घोषणा करते हैं, बाद में नीतिगत आधार तलाशते हैं।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस सैन्य कार्रवाई को ‘‘ऐतिहासिक जीत’’ बताया है। उन्होंने दावा किया कि ईरान के परमाणु ठिकानों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया गया है और इससे उनके खतरे को कम किया गया है। वहीं ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि इस संघर्ष ने अमेरिका और इजरायल को दिखा दिया कि ईरान कमजोर नहीं है। उन्होंने इसे ‘‘राष्ट्रीय स्वाभिमान की विजय’’ कहा। हूती विद्रोहियों ने भी इसे ‘‘इस्लामिक प्रतिरोध की कामयाबी’ बताया है।

अमेरिका का रणनीतिक लाभ

इस युद्ध में अमेरिका ने अपनी ताकत का परिचय दिया, लेकिन बिना किसी पूर्ण युद्ध में शामिल हुए। यह ट्रम्प प्रशासन के लिए एक राजनीतिक लाभ है। उन्होंने न केवल हस्तक्षेप किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को शांति-निर्माता के रूप में पेश किया। यह उनके आगामी चुनाव अभियान का हिस्सा बन सकता है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि क्षेत्र में वास्तविक शांति बहाल हो गई है। मिसाइलें भले थम गई हों, लेकिन नफरत और अविश्वास की दीवारें जस की तस हैं। ट्रम्प भले इस युद्धविराम का श्रेय लें, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह स्थायी समाधान नहीं है। ईरान और इजरायल दोनों अपने-अपने मोर्चे पर तैयार हैं और एक छोटी सी चिंगारी फिर से युद्ध को भड़का सकती है। ट्रम्प के लिए यह एक कूटनीतिक जीत जरूर है, लेकिन जब तक वास्तविक संवाद और समझौते की प्रक्रिया शुरू नहीं होती, तब तक इसे ‘शांति’ कहना जल्दबाजी होगी।

You may also like

MERA DDDD DDD DD