यह ऊर्जा ही मेरा विश्वास है, मेरा अध्यात्म है, और यही मेरी आस्था का केंद्र। इस बार जब ‘उत्तराखण्ड एक आध्यात्मिक खोज’श्रृंखलाको आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी यकायक मुझ पर आन पड़ी, मुझे याद आया नैनीताल जनपद के कटघरिया में स्थित एक आश्रम जहां अभी कुछ अरसा पहले ही मेरी एक अभिन्न मित्र मुझे जबरन खींच कर ले गईं। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं, मैं बेमन से वहां गया। यह स्वीकारने में भी लेकिन कोई गुरेज नहीं कि मुझे इस स्थान पर असीमित अलौकिक ऊर्जा का अनुभव हुआ। ऐसा बहुत कम हुआ है कि किसी धार्मिक स्थान पर जाकर मेरा मन शांत हुआ हो और मैं गहरी ध्यान में चला गया हूं। हेड़ाखान बाबा के नाम से विख्यात संत के इस आश्रम में लेकिन ऐसा ही हुआ। इस स्तंभ की नियमित लेखिका का आलेख समय पर न मिल पाने के कारण मुझे ही श्रृंखला को आगे बढ़ाने के लिए सम्भवतः किसी अलौकिक ऊर्जा ने प्रेरित किया है। तो चलिए ले चलता हूं आपको मैं इस आश्रम में और इसके अलौकिक ऊर्जा संसार में जिसका अस्तित्व इस समय एक बड़ी बांध परियोजना चलते खतरे में आ गया है
मनुष्य ने अपने समाज की संरचना और नैतिकता को दिशा देने के लिए विभिन्न धर्मों की रचना की। ये धर्म समय और स्थान के अनुसार बदलते रहे, अलग-अलग मान्यताओं और परम्पराओं में बंधते गए। लेकिन जब हम इन बाहरी व्यवस्थाओं से परे जाकर ब्रह्मांड के रहस्यों को देखते हैं, तो हमें यह समझ आता है कि कोई अदृश्य, परंतु प्रभावी शक्ति इस समग्र सृष्टि को संचालित कर रही है। मैं इस शक्ति को ‘ऊर्जा’ कहता हूं- एक अनंत, असीम, निराकार सत्ता जो न किसी धर्म की सीमाओं में बंधी है और न किसी विशेष नियम-कायदों में जकड़ी हुई है। यह ऊर्जा ही इस सृष्टि की उत्पत्ति, विस्तार और परिवर्तन की मूल प्रेरणा है। यह न तो किसी मूर्ति में सीमित है, न किसी ग्रंथ में समाहित, बल्कि यह समस्त ब्रह्माांड में व्याप्त है- हर कण में, हर गति में, हर जीवन में, भौतिक विज्ञान भी इस विचार की पुष्टि करता है। ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती, यह केवल रूप बदलती है। सृष्टि का हर कण ऊर्जा से बना है और वही इसे गतिशील बनाए रखती है। विज्ञान की भाषा में इसे ‘काॅस्मिक एनर्जी’ या ‘यूनिवर्सल फोर्स’ कहा जाता है, जबकि आध्यात्मिक दृष्टिकोण इसे ‘चेतना’, ‘प्राणशक्ति’ या ‘ब्रह्मा’ कहता है।
इस ऊर्जा को पाने के लिए किसी बाहरी पूजा-पद्धति की आवश्यकता नहीं, बल्कि इसे अनुभव किया जा सकता है-शांत मन, गहरी ध्यान अवस्था, प्रकृति से जुड़कर और अपने भीतर झांककर। जब हम इस ऊर्जा के प्रवाह को समझते हैं तो हमें जीवन और मृत्यु के चक्र की गहराई का बोध होता है। हम स्वयं को केवल शरीर तक सीमित नहीं मानते, बल्कि इस विराट ब्रह्माांड का एक अभिन्न अंग समझते हैं। अतः धर्म चाहे किसी भी स्वरूप में हो, वह सीमित हो सकता है, लेकिन यह ऊर्जा अनंत है। इसे नाम, भाषा, जाति, संप्रदाय की आवश्यकता नहीं। यह वह शक्ति है जो सूर्य को प्रकाश देती है, नदियों को बहाती है, जीवन को जन्म देती है और मृत्यु के बाद भी अस्तित्व को किसी न किसी रूप में बनाए रखती है।
यह ऊर्जा ही मेरा विश्वास है, मेरा अध्यात्म है, और यही मेरी आस्था का केंद्र। इस बार जब ‘उत्तराखण्ड एक आध्यात्मिक खोज’ श्रृंखला को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी यकायक मुझ पर आन पड़ी, मुझे याद आया नैनीताल जनपद के कटघरिया में स्थित एक आश्रम जहां अभी कुछ अरसा पहले ही मेरी एक अभिन्न मित्र मुझे जबरन खींच कर ले गईं। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं, मैं बेमन से वहां गया। यह स्वीकारने में भी लेकिन कोई गुरेज नहीं कि मुझे इस स्थान पर असीमित अलौकिक ऊर्जा का अनुभव हुआ। ऐसा बहुत कम हुआ है कि किसी धार्मिक स्थान पर जाकर मेरा मन शांत हुआ हो और मैं गहरी ध्यान में चला गया हूं। हेड़ाखान बाबा के नाम से विख्यात संत के इस आश्रम में लेकिन ऐसा ही हुआ। इस स्तंभ की नियमित लेखिका का आलेख समय पर न मिल पाने के कारण मुझे ही श्रृंखला को आगे बढ़ाने के लिए सम्भवतः किसी अलौकिक ऊर्जा ने प्रेरित किया है। तो चलिए ले चलता हूं आपको मैं इस आश्रम में और इसके अलौकिक ऊर्जा संसार में जिसका अस्तित्व इस समय एक बड़ी बांध परियोजना चलते खतरे में आ गया है।
उत्तराखण्ड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का धनी है, बल्कि यह आध्यात्मिकता की भूमि भी है। इस पवित्र भूमि में अनेक संतों और सिद्ध पुरुषों ने अपनी तपस्या की, जिनमें हैड़ाखान बाबा का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। बाबा का कटघरिया आश्रम सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र है, जहां अनगिनत भक्तों ने शांति, प्रेम और सत्य की अनुभूति की है। लेकिन अब, इस ऐतिहासिक धरोहर पर संकट मंडरा रहा है। जमरानी बांध परियोजना के कारण यह क्षेत्र जलमग्न होने वाला है और बाबा का यह पावन स्थल अब केवल स्मृतियों में रह जाएगा। यह खबर न केवल बाबा के भक्तों के लिए, बल्कि आध्यात्मिक धरोहरों की रक्षा के प्रति सचेत हर व्यक्ति के लिए हृदयविदारक है।
बाबा हैड़ाखान को शिव का अवतार माना जाता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में कटघरिया और हैड़ाखान में आश्रमों की स्थापना की, जो आज भी उनकी दिव्यता का प्रमाण हैं। अपने अद्भुत अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि कटघरिया आश्रम केवल एक संरचना नहीं, बल्कि एक असीमित ऊर्जा का केंद्र है, जहां वर्षों से साधना, सेवा और भक्ति का प्रवाह बहता आया है। यह स्थान न जाने कितने भक्तों के लिए आस्था का केंद्र रहा है। मान्यता अनुसार जून 1970 की एक सुबह, एक युवा संन्यासी गंगा किनारे बसे हैड़ाखान गांव की एक पथरीली गुफा में प्रकट हुआ। उसकी आयु लगभग 27-28 वर्ष प्रतीत हो रही थी, लेकिन उनके चेहरे का तेज लोगों को आकर्षित कर रहा था। सितम्बर में इस युवा संन्यासी ने 45 दिनों की समाधि ली, जिसके बाद लोग उन्हें हैड़ाखान बाबा के नाम से जानने लगे। कई लोगों ने उन्हें महावतार बाबा का अवतार माना, जो युगों से हिमालय में निवास कर रहे थे। इस आश्रम के प्रबंधन ने मुझे बताया कि हैड़ाखान बाबा ने उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों पर वास किया और आध्यात्मिक गतिविधियां संचालित कीं। उन्होंने हैड़ाखान गांव में एक शिव मंदिर और छोटी धर्मशाला का निर्माण किया। इसके अलावा, चिलियानौला (रानीखेत) में स्थित विश्वमहाधाम हैड़ाखान मंदिर भी उनकी उपस्थिति का प्रमाण है।
बाबा ने सर्वधर्म सम्भाव का संदेश दिया, यह बताते हुए कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं। उन्होंने मानवता के लिए प्रेम, सत्य और सरलता पर जोर दिया। उनका मानना था कि आने वाले समय में महाक्रांति होगी, जिसमें भूकंप, बाढ़, हादसे और युद्ध शामिल होंगे। इसलिए, उन्होंने अपने अनुयायियों को साहस और प्रेम के साथ सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
बाबा हैड़ाखान का उत्तराखण्ड से गहरा लगाव था, जिसे उनके जीवन और कार्यों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उत्तराखण्ड, जिसे ‘देवभूमि’ के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन काल से ही आध्यात्मिक साधना और तपस्या का केंद्र रहा है। हिमालय की शांत और पवित्र वादियां साधकों को ध्यान और साधना के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करती हैं। बाबा हैड़ाखान ने इसी भूमि को अपनी आध्यात्मिक गतिविधियों का मुख्य स्थल चुना। अपने भक्तों को तीन मुख्य सिद्धांतों पर चलने की प्रेरणा दी। सत्य का अनुसरण करना, जीवन में नैतिकता बनाए रखना, जीवन को सरल और निष्कपट बनाए रखना तथा निःस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करना और प्रेमभाव बनाए रखना। बाबा का संदेश ‘सत्य, सरलता और प्रेम’ आज भी उनके भक्तों के जीवन में प्रेरणा बना हुआ है।
बाबा हैड़ाखान के जीवन से जुड़ी एक रहस्यमय घटना के अनुसार वे कटघरिया आश्रम से अचानक एक गुफा के माध्यम से कैलाश पर्वत की ओर प्रस्थान कर गए थे। हालांकि इस घटना का विस्तृत विवरण उपलब्ध स्रोतों में नहीं मिलता है। यह कथा बाबा की अलौकिक शक्तियों और हिमालय से उनके गहरे सम्बंध को दर्शाती है। 1984 में हैड़ाखान बाबा ने देह त्याग दिया। उनकी मृत्यु के बाद, उनके अनुयायियों ने उनके संदेश और शिक्षाओं को आगे बढ़ाया।
बाबा के अनुयायियों में फिल्म अभिनेता शम्मी कपूर प्रमुख थे। 1974 में शम्मी कपूर ने बाबा से मुलाकात की, जिससे उनके जीवन में आध्यात्मिक परिवर्तन आया। बाबा ने उन्हें ‘महात्मा जी’ कहकर सम्बोधित किया। शम्मी कपूर इसके बाद आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर हुए। उन्होंने बाबा के दर्शन को अपने जीवन का हिस्सा बनाया और बाबा के संदेश को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे बाबा के कठघरिया और हैड़ाखान आश्रम में नियमित रूप से आते थे। उन्होंने बाबा की शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात किया और अंत समय तक बाबा के प्रति श्रद्धा रखते रहे।
आनंदमयी मां, जो भारत की एक प्रसिद्ध संत थीं, वे भी बाबा हैड़ाखान की दिव्यता और शक्तियों को मानती थीं। उन्होंने बाबा को भगवान शिव का अवतार माना और उनके प्रति गहरी श्रद्धा रखी। एलिजाबेथ (सिया) लिन (Elizabeth ‘Sita’ Linn)। एलिजाबेथ लिन, जिन्हें बाबा ने ‘सिया’ नाम दिया, वे बाबा के विदेशी भक्तों में से एक थीं। उन्होंने बाबा के संदेश को पश्चिमी देशों में फैलाने का कार्य किया। बाबा की शिक्षाओं के प्रति उनकी गहरी निष्ठा थी और वे कई वर्षों तक बाबा के साथ रहीं। बाबा की शिक्षाएं न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हुईं। जर्मनी, अमेरिका, इटली और अन्य देशों के कई लोग बाबा से प्रभावित हुए और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन का हिस्सा बनाया। बाबा के विदेशी अनुयायियों ने हैड़ाखान मिशन को आगे बढ़ाने के लिए आश्रमों और मंदिरों की स्थापना की। बाबा के संदेश को किताबों, सेमिनारों, और ऑनलाइन माध्यमों से लोगों तक पहुंचाया।
जमरानी बांध – विकास अथवा…
बाबा ने स्वयं कहा था कि यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है और यहां बड़े बदलाव होंगे। सरकार द्वारा प्रस्तावित जमरानी बांध परियोजना को नैनीताल और ऊधमसिंह नगर के कई क्षेत्रों के लिए जल संकट समाधान के रूप में देखा जा रहा है। इस बांध से जल आपूर्ति और सिंचाई की सुविधा तो बढ़ेगी, लेकिन इसके दुष्परिणाम भी अनदेखे नहीं किए जा सकते। कटघरिया आश्रम डूब जाएगा, जिससे बाबा के भक्तों का एक महत्वपूर्ण केंद्र समाप्त हो जाएगा। यह स्थान केवल धार्मिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है, जिसका लुप्त होना हमारी आध्यात्मिक धरोहर की क्षति होगी।
यहां मिले एक संन्यासी के अनुसार बाबा ने कहा था कि यहां एक बड़ा बांध बनेगा, लेकिन यह स्थिर नहीं रहेगा। क्या यह उनके दिव्य दृष्टिकोण का संकेत था? क्या यह भविष्य में किसी आपदा की ओर इशारा कर रहा है? मैं यह सोचकर व्यथित हूं कि जिस स्थान पर बाबा ने वर्षों तक साधना की, जहां भक्तों ने असीम शांति और दिव्यता का अनुभव किया, वह अब जल में विलीन हो जाएगा। क्या यह सच में विकास की दिशा में उठाया गया सही कदम है या फिर हमारी प्राचीन धरोहरों की बलि चढ़ाने की परम्परा का एक और उदाहरण? कटघरिया आश्रम से मेरी भी व्यक्तिगत भावनाएं जुड़ी हैं। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि मेरे आत्मिक उत्थान का स्थान है। जब मैं यहां आया, एक अलौकिक शांति का अनुभव किया। क्या अब यह सब स्मृतियों तक सीमित रह जाएगा? क्या हम विकास के नाम पर अपनी पहचान खोते जा रहे हैं? बाबा का कथन कि यहां बांध तो बनेगा, लेकिन यह स्थिर नहीं रहेगा, क्या किसी भविष्य की प्राकृतिक आपदा का संकेत था? क्या हमें इस परियोजना के प्रभावों पर पुनर्विचार नहीं करना चाहिए?
निजी तौर पर मैं टिहरी अथवा अब जमरानी सरीखी बांध परियोजनाओं का समर्थक नहीं हूं। हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के यूरेशियन प्लट से टकराने के कारण हुआ और यह टकराव अभी भी जारी है जिसके चलते उत्तराखण्ड भारतीय महाद्वीप के सबसे संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्रों में एक है। इस दृष्टि से भी जमरानी सरीखी विशाल बांध परियोजनाओं की स्थिरता का प्रश्न आशंकित करता है। मेरे लिए और मुझ सरीखे बहुत सारों के लिए हैड़ाखान आश्रम का डूब जाना। एक भौगोलिक परिवर्तन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक धरोहर का लोप है। बाबा की यह भूमि अब पानी में डूब जाएगी, लेकिन क्या उनकी दिव्य उपस्थिति और उनकी शिक्षाएं भी विलीन हो जाएंगी? नहीं! बाबा के अनुयायियों के हृदय में उनकी उपस्थिति अमर रहेगी। चाहे जमरानी बांध इस क्षेत्र को बदल दे, लेकिन बाबा की ऊर्जा, उनका प्रेम और उनका संदेश कभी डूब नहीं सकता।